मैंने कुछ ही दिन पहले अपना कमरा चेंज किया था… काफ़ी अरसे बाद घर में ऊल-ज़ुलूल नौकरानियों के स्थान पर एक बहुत ही सुंदर और सेक्सी नौकरानी काम पर लगी.
उसकी 22-23 साल की उमर होगी।
सांवला सा रंग था.
मीडियम हाईट और सुडौल चूचियाँ..शादी शुदा थी.
उसका पति कितना किस्मत वाला था, साला खूब चोदता होगा।
यही सोच कर मैं झड़ जाता था। चूचियाँ ऐसी कि बस दबा ही डालो।
ब्लाउज़ में समाती ही नहीं थी.


कितनी भी वो अपनी साड़ी से ढकती, इधर उधर से ब्लाउज़ से उभरती हुई उसकी चूचियाँ दिख ही जाती थी।
झाड़ू लगाते हुए जब वो झुकती तब ब्लाउज़ के गले से चूचियों के बीच की दरार छुप न पाती।
एक दिन जब मैंने उसकी इस दरार को तिरछी नज़र से देखा तो पता लगा कि उसने ब्रा तो पहनी ही नहीं थी।
कहाँ से पहनती, ब्रा पर बेकार पैसे क्यों खर्च किये जायें !
जब वो ठुमकती हुई चलती, तो उसके चूतड़ हिलते और जैसे कह रहे हों कि हमें पकड़ो और दबाओ।
अपनी पतली सी सूती साड़ी जब वो सम्भालती हुई सामने अपनी चूत पर हाथ रखती तो मन करता कि काश उसकी चूत को मैं छू सकता !
करारी, गरम, फूली हुई और गीली गीली चूत में कितना मज़ा भरा हुआ था !
काश मैं इसे चूम सकता, इसके मम्मे दबा सकता, और चूचियों को चूस सकता और इसकी चूत को चूसते हुए जन्नत का मज़ा ले सकता !
दिखने वो नौकरानी एक Cheap Escorts in Ahmedabad की तरह लगती थी.
लंड मानता ही नहीं था, चूत में घुसने के लिये बेकरार था !
लेकिन कैसे? यह तो मुझे देखती ही नहीं थी, बस अपने काम से मतलब रखती और ठुमकती हुई चली जाती।
मैने भी उसे कभी एहसास नहीं होने दिया कि मेरी नज़र उसे चोदने के लिये बेताब है.
पर अब चोदना तो था ही ! मैंने अब सोच लिया कि इसे उत्तेजित करना ही होगा।
धीरे धीरे उत्तेजित करना पड़ेगा वरना कहीं मचल जाये या नाराज़ हो जाये तो भांडा फूट जायेगा।
मैंने उससे थोड़ी थोड़ी बातें करनी शुरु की.
उसका नाम था पूजा !


हॉस्टल रूम में भाई के साथ चुदाई का घमासान युद्ध – Bhai Behan ki Chudai
एक दिन सुबह उसे चाय बनाने को कहा, चाय का गर्म कप उसके नर्म-नर्म हाथों से जब लिया तो लंड उछला।
चाय पीते हुए कहा- पूजा, चाय तुम बहुत अच्छी बना लेती हो !
उसने जवाब दिया- बहुत अच्छा बाबूजी !
अब करीब करीब रोज़ मैं चाय बनवाता और उसकी बड़ाई करता।
फिर मैंने एक दिन कॉलेज जाने के पहले अपनी शर्ट प्रेस करवाई।”
पूजा, तुम प्रेस भी अच्छा ही कर लेती हो।”
थोड़ी बात करने पर पता चला कि उसका पति शराबी था और रोज़ पी कर आता था।
और चोदने की बजाय आकर सो जाता था…
क्या दुःख भरी कहानी थी !
यहाँ जिसको यह चूत मिली थी, वो तो चोदता ही नहीं था और जिसे नहीं मिली, वो देख कर मुठ मार कर ही काम चला रहा था।
धीरे धीरे उसके साथ मेरी बातें और गहरी होने लगीं..
एक दिन मैंने मौका देख पूछ ही लिया- ..तुम्हारा आदमी पागल ही होगा?
अरे उसे समझना चाहिये, इतनी सुंदर पत्नी के होते हुए शराब की क्या ज़रूरत है?
उसने कुछ कुछ समझ तो लिया था लेकिन अभी एहसास नहीं होने दिया..
मैं उसको चोदने के मौके की ताक में रहने लगा और आखिर एक दिन ऐसा एक मौका लगा।
कहते हैं कि ऊपर वाले के यहाँ देर है लेकिन अंधेर नहीं !
रविवार का दिन था, मकान मालिक की पूरी फ़ैमिली एक शादी मैं गयी थी.
मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे और लौड़ा खड़ा होने लगा।
वो आई, दरवाज़ा बंद किया और काम पर लग गई।
इतने दिन की बातचीत से हम खुल गये थे और उसे मेरे ऊपर विश्वास सा हो गया था.
इसीलिये उसने दरवाज़ा बंद कर दिया था।
मैंने हमेशा की तरह चाय बनवाई और पीते हुए चाय की तारीफ़ की।
मन ही मन मैंने निश्चय किया कि आज तो पहल करनी ही पड़ेगी वरना गाड़ी छूट जायेगी।
पर कैसे पहल करें?फिर मैंने उससे उसकी चुदाई के बारे में पूछताछ शुरू की, पूछा- तेरा कोई बच्चा नहीं है?
तेरा पति ठीक भी है या कुछ कमी है?
इत्ना पूछने पर भी उसने कुछ नहीं कहा और मुस्कुरा कर मेरे सवालों का जवाब देती रही.
बोली- शराब के नशे में क्या बच्चे हो सकते हैं।
मैंने सोचा कि लौंडिया पट चुकी है, चुदाई में देर नही होनी चाहिए..
फिर मैंने जानबूझ कर अपने सारे कपड़े उतारे और लेट गया, फिर उसे आवाज़ दी।
वो मेरे कमरे में आई और मेरे खड़े लंड को देख कर शरमा गई।


मैं बोला- आओ रानी.. ये तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा है..
वो धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़ी और मेरा लंड सहलाने लगी..
मैं बोला- इससे पहले कि कोई आ जाए, तुम इसका पूरा मज़ा लो…
फिर मैंने उसे धीरे धीरे नंगा कर दिया..
उसके चूचे तो जैसे हेडलाइट्स जैसे लग रहे थे और चूत गुलाब जैसी..
वो मेरे खड़े लंड को अपनी चूत पर टिका कर बैठ गई..
मेरा पूरा का पूरा लंड उसके अन्दर घुस गया..
वो उछल उछल के चुदवाने लगी..
मैंने मज़े के लिए उसकी चूत चाटने को कहा..
वो खुश हो गयी.. फिर मैंने उसे जवान घोड़ी बनाकर चोदा और बोला- तू तो मस्त रंडी है रे !
पता नहीं तेरा पति तुझे क्यों नहीं चोदता…
वो बोली- एक आप ही मेरा दर्द समझते हैं..
आप जब भी कहोगे, जहाँ भी कहोगे, मैं चुदने के लिए हमेशा तैयार रहूँगी…
मैं उसे लगातार चोद रहा था और वो मज़े ले रही थी।
काफी देर तक इस तरह मैंने उसे चोदा.. फिर जैसे ही मैं झड़ने वाला था,
उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और सारा माल पी गई..
मैं थक चुका था लेकिन वो साली रंडी अब भी चुदने के लिए उतारू थी..
मैं बोला- आज की क्लास यहीं तक, बाकी की पढ़ाई कल करेंगे..फिर मैंने अपना लंड साफ़ करके उसे अपनी जेब में से निकाल के 500 रुपये दिए और बोला- रख लो, काम आयेंगे..
वो खुश हो गई..वो दिन था और आज का दिन है, हर दूसरे तीसरे दिन मैं उसकी चुदाई करता हूँ और बदले में मैं कभी कभार कुछ पैसे उसे दे देता हूँ.