इस वेबसाइट की दुनिया में आप सभी का स्वागत है। मैं साक्षी आज एक और धमाकेदार सेक्स कहानी लेकर आई हूँ।
तो चलिए देसी सेक्स कहानी को शुरू करते है जो दिलीप के शब्दों में लिखी है।
हाय दोस्तो, मेरा नाम दिलीप है, और मैं दिल्ली से हूं। मेरी उम्र 24 साल है और हाइट 5’8″ है. लंड मेरा 7 इंच का है, और मैं फिट हूँ।
दिखने में मैं अच्छा हूं, और लड़कियां मुझे पसंद करती हैं। ये देसी सेक्स कहानी पहले साल शुरू हुई, तो चलिए मैं आपको बताता हूं, कि ये सब कैसे हुआ।
नौकरी के सिलसिले में मुझे इंदौर शिफ्ट होना पड़ा। वहा पर मेरे दोस्त का एक फ्लैट खाली था, तो उसने मुझे वहां रहने के लिए ऑफर दिया।
अब इंदौर में वैसे भी किराया बहुत ज्यादा है, तो मैंने उसका ऑफर स्वीकार कर लिया।
मेरे फ्लैट के सामने वाले फ्लैट में एक बहुत अच्छी फैमिली थी। परिवार में सिर्फ एक अंकल और आंटी रहते थे। मैं पहली बार उनसे तब मिला, जब सोसायटी में एक मीटिंग थी।
जब मैंने पहली बार आंटी को देखा, तो मैं उनको देखता ही रह गया। आंटी की उम्र 42-43 साल थी, लेकिन वो 28-30 साल की लगती थी।
उन्होंने काली जींस और सफेद शर्ट पहनी हुई थी। जींस में उनकी जांघें और गांड कमाल की लग रही थी।
सफेद शर्ट में उनके बूब्स बिल्कुल गोल-गोल नजर आ रहे थे। थोड़ा पेट भी निकला हुआ था उनका, लेकिन वो उनको और सेक्सी बना रहा था।
रंग उनका दूध जैसा गोरा था, पहली बार जब हम मिले, तो आंटी ने मेरे बारे में पूछा। मैंने उनको सब बता दिया। उनको बताया क्योकि वो मेरे दोस्त को जानती थी।

फिर मैंने उनसे उनके बारे में पूछा। उनका नाम मनोरमा था, और उनके पति बिजनेसमैन थे।
उनके बेटे की शादी एक महीना पहले ही हुई थी, और उनका बेटा और बहू किसी दूसरी सोसायटी में शिफ्ट हो गए थे। उन्होंने बताया कि वो पूरे दिन घर में अकेली ही रहती थी।
बीच-बीच में वो अपने बेटे-बहू के पास भी चली जाती थी, जब उनके पति किसी बिजनेस टूर पर होते थे। मैं उनकी ये बात सुन कर खुश हो गया।
कुछ दिन ऐसे ही निकल गये, एक बार रविवार वाले दिन में देर तक सोता रहा, और 11 बजे उठा।
जब तक मैं उठा, तब तक हमारा दूध वाला दूध दे चुका था। क्योंकि उसकी टाइमिंग 8-9 बजे की थी। मैंने सोचा कि सफाई करके बाहर से दूध ले आऊंगा।
अभी मैं सफाई कर ही रहा था, तभी डोरबेल बजाई। मैने दरवाजा खोला, तो सामने आंटी पतीला लेके खड़ी थी। पहले तो मैं आंटी को देख कर हैरान हो गया। क्या मस्त लग रही थी आंटी।
आंटी ने एक बैगनी कलर का गाउन पहना था। उनके गाउन में उनके खड़े हुए बूब्स नज़र आ रहे थे, और क्लीवेज का काफ़ी हिस्सा भी नज़र आ रहा था।
मेरी नज़र सीधे उनके बूब्स पर गई, और मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी।
तभी आंटी बोली: गुड मॉर्निंग!
मैं: सुप्रभात मनोरमा जी। आप सुबह-सुबह?
आंटी: हां मैं तुम्हें दूध देने आई हूं।
उनके दूध बोलने पर मेरी नज़र फिर से उनके बूब्स पर चली गई। तभी वो हस्ते हुए बोली-
आंटी: दूध वाला दूध, कुछ और मत समझ लेना।
ये बोल कर आंटी हंसने लग गई। मैं भी उनके साथ हंसने लगा, फ़िर वो बोली-
आंटी: जब तुमने दरवाजा नहीं खोला, तो दूध वाला मेरे घर दूध दे गया।
मैं: ठीक है, आप अन्दर तो आइये।
फिर मैंने उनसे दूध लिया, और किचन में चला गया। तभी आंटी बोली-
आंटी: चल मैं चलती हूँ दिलीप।
मैं: आप चाय तो पीके जाइये। मैं अच्छी बनता हूं।
आंटी: ठीक है।
फिर हम चाय पीने लगे, और हमारी बातें होने लगीं। तभी आंटी ने पूछा-
आंटी: फ़िर दिलीप, तुम्हारे लिए तो मजे है। फ़्लैट में अकेले, और पूरी आज़ादी। गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?
मैं: नहीं आंटी, अभी तक नहीं है।

अनुशाषित सरकारी अधिकारी से की दोस्ती – Office Sex Story
आंटी: होती भी तो तू मुझे क्यों बताता।
मैं: क्यों, उसमे क्या है। गर्लफ्रेंड होना तो अच्छी बात है, जब जी चाहे…
आंटी: जब जी चाहे… क्या?
मैं: बाकी तो आपको पता ही है आंटी।
और ये सुन कर वो हसने लगी।
फिर मैंने बोला: वैसे आंटी मजे तो आपके भी है।
आंटी: वो कैसे?
मैं: आप भी तो अंकल के जाने के बाद अकेले ही होते हो। तो आपका भी कोई बॉयफ्रेंड होगा न…
आंटी: है तो नहीं, लेकिन अगर होता तो मजा आ जाता, तुम्हारी कोई जीएफ नहीं है, तो तुम ही बन जाओ मेरे बीएफ।
बस उनको यहीं कहने की देर थी, कि मैं आंटी के पास गया, और बोला-
मैं: फिर अपने BF को एक किस देदो।
आंटी ने स्माइल की, और बोली: सिर्फ किस?
तभी मैंने अपने होठों से आंटी के होठों से मिला दिया, और हमारी किस शुरू हो गई। मैं
किस करते हुए उनकी पीठ पर अपना हाथ फिराने लगा। इसे आंटी और वाइल्ड हो गई।
आंटी के किस करने के तरिके से लग रहा था, कि आंटी बहुत भूखी थी।
फिर मैंने उनका गाउन आगे से खोल दिया। उन्होंने सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनती थी अंदर।
मैंने उनकी क्लीवेज में अपना मुंह डाला, और किस करने लगा। मैं ब्रा के ऊपर से उनके बूब्स पर दांत से काटने लगा।
इससे आंटी और मदहोश होने लग गई। फिर आंटी ने खुद ही अपना गाउन निकाल दिया।
उनके गाउन निकलते ही मैंने पीछे से उनकी ब्रा का हुक खोल दिया। अब उनके खूबसूरत बूब्स मेरे सामने थे।
मैं उनके बूब्सों पर टूट पड़ा, और उनको चुसना शुरू कर दिया। क्या मज़ेदार स्वाद था उनके बूब्स का।
आंटी आह्ह आह्ह करने लग गयी थी, फ़िर आंटी को मैं बेडरूम में ले गया। वहा जाते ही आंटी ने मुझे बिस्तर पर धक्का दे दिया।
आंटी मेरे नीचे के कपड़े उतारने लगी, और ऊपर के मैंने खुद उतार दिये। मेरा लंड एक दम खड़ा हो चूका था।
लंड देख कर आंटी ने लंड पर किस किया, और उसको मुँह में डाल कर चुसने लगी। वो एक प्रोफेशनल Indore Randi की तरह मेरा लंड चूस रही थी।
कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैं उनके ऊपर आया, और उनकी पैंटी उतार दी।
उनकी चूत बिल्कुल साफ और बिना बालों के थी। मैंने चूत पर मुँह लगाया, और उसको चुसने लग गया। आंटी आहह आहह कर रही थी।
इतनी मस्त जाँघों में इतनी सेक्सी चूत देख कर उनकी उम्र का अंदाज़ा कोई भी नहीं लगा सकता था। अब बारी थी उनको चोदने की।
मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया, और उसको धीरे-धीरे पूरा अंदर डाल दिया।
फिर हम दोनों किस करने लगे, और मैंने आंटी को चोदना शुरू कर दिया। क्या गरम थी आंटी की चूत।
हम दोनो को बहुत मजा आ रहा था। अगले 10 मिनट में हमने उसी पोजीशन में चुदाई की। उसके बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला, और अपनी पिचकारी उनके बूब्स पर निकाल दी।
आंटी बड़ी वाइल्ड थी, और सेक्स का पूरा मजा ले रही थी और दे रही थी।
इसी तरह एक दिन उनके पति को एक हफ्ते के लिए बाहर जाना था। तो आंटी ने मुझे उनके ही फ्लैट में रात को सोने को बोला। हम दोनों पूरे मजे कर रहे थे।

दूसरे दिन जब दूध वाला आया, तो मैं अपने फ्लैट में चला गया, ताकि उसको शक न हो जाए।
फिर दूध डलवा कर मैं सीधा आंटी के फ्लैट में आ गया। जल्दी-जल्दी में मैं दरवाजा बंद करना भूल गया।
मैं आंटी की रसोई में गया, और वही पर उनको नंगा करके घोड़ी बना कर चोदने लग गया।
हम दोनों इतने मगन थे चुदाई में, कि हमें कोई होश नहीं था। अभी कुछ ही मिनट हुए थे हमें चुदाई करते हुए, तभी पीछे से एक आवाज आई-
आवाज़: मम्मी जी, आप क्या कर रही हैं?
वो आवाज़ सुन कर हम दोनो डर गये। जब पीछे देखा तो एक बड़ी ही हॉट लड़की खड़ी थी।
मुझे पता नहीं था कि वो लड़की कौन थी। तभी आंटी उसको देखते हुए बोली-
आंटी: शालू बेटी, तुम यहा?
शालू आंटी की बहू थी, जिसके बारे में मैंने बहुत सुना था। आंटी ने फिर मुझसे अपने आप को अलग किया।
और अपने कपड़ों से खुद को ढकने लगी। शालू मेरा लंड देखे जा रही थी, मैंने भी अपने कपड़े से खुद को ढका।
शालू एक बहुत ही सेक्सी लड़की थी, उसने छोटी ड्रेस डाली हुई थी, जिसमें से उसकी सेक्सी जाँघें दिख रही थी।
हाथों में उसका चूड़ा था, जो मुझे बहुत अच्छा लगता है। बाल उसके गोल्डन ब्राउन थे, और होठों पर लाल लिपस्टिक थी।
उसके रसीले होंठ और कसा हुआ जिस्म देख कर मेरा लंड और मजबूत हो गया। फिर आंटी ने बोलना शुरू किया-
आंटी: शालू तुम एक मिनट ड्राइंग रूम में चलो, मैं आती हूं।
शालू कुछ नहीं बोली, और जाके ड्राइंग रूम में बैठ गई। फिर आंटी ने कपड़े पहने, और मुझे भी कपड़े पहनने को बोला।
कपड़े पहन कर हम दोनों शालू के पास ड्राइंग रूम में चले गए। शालू मुझे ही देखे जा रही थी।
फ़िर आंटी बोली: शालू, मुझे माफ़ कर दो। लेकिन मैं मजबूर थी।
काफ़ी सालों से तुम्हारे पापा ने मुझे टच नहीं किया था। जब दिलीप मिला, तो मैंने अपने आपको रोका नहीं, और ये सब हो गया।
तुम तो खुद एक लड़की हो, मेरी हालत समझ सकती हो।
शालू: जी मम्मी जी, मैं समझ सकती हूं आपकी हालत। जब एक औरत संतुष्ट नहीं होती, तो उसको दूसरे मर्द का सहारा लेना पड़ता है।
आंटी: हा बेटा, धन्यवाद मुझे समझने के लिए। वैसे आज अचानक यहाँ कैसे आना हुआ?
शालू: मैं भी वही समस्या का सामना कर रही हूं, जिसका समाधान आपको दिलीप ने दिया है।
आंटी: मतलब?
शालू: मतलब ये, जब से मेरी शादी आपके बेटे से हुई है, उस दिन से एक बार भी वो मुझे सुख नहीं दे पाया, जो हर औरत को चाहिए होता है।
अब आप ने तो अपनी समस्या का समाधान कर लिया। अब मेरी समस्या भी हल कर दीजिये.
आंटी ने स्माइल करी और बोली: मतलब बाप की तरह बेटा भी किसी काम का नहीं है। चलो कोई बात नहीं।
फिर आंटी मेरी तरफ देख कर बोली: दिलीप, क्या तुम अपनी भाभी को भी खुश कर सकते हो, जिस तरह तुमने मुझे खुश किया है?

मैं: खूबसूरत लड़कियों के लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूं। और भाभी तो बहुत खूबसूरत है।
आज मैं इनको इतना खुश कर दूंगा, कि पिछली सारी कसर निकल जाएगी, और ये मेरे लंड की दीवानी हो जाएगी।
ये बोलते ही मैंने शालू को खड़ा किया, और उसको अपनी बाहों में भर लिया। फिर मैंने अपने होंथ उसके होठों के साथ लगा दिए, और उसके होंथ चुनने शुरू कर दिए। शुरू-शुरू में वो मेरा साथ नहीं दे रही थी, लेकिन फिर साथ देने लगी।
किस करते हुए मैं सीधे अपने हाथ उनकी गांड पर ले गया। क्या मस्त गांड थी शालू भाभी की, एक-दम मस्त। आंटी वही पास बैठी अपनी चूत सहलाने लग गई। कुछ देर किस करने के बाद मैंने शालू को घोड़ी बनने को कहा।
शालू ने सोफे की साइड में अपना हाथ रखा, और गांड बाहर निकल कर घोड़ी बन गई। मैंने उनकी ड्रेस पीछे से ऊपर उठाई, और पैंटी नीचे कर दी। उन्होंने रेड कलर की नेट वाली पैंटी पहनी थी।
फिर मैं घुटनो के बाल बैठ गया, और उनकी चूत चाटने लग गया। उनकी चूत भूरी थी, और बिल्कुल कुंवारी लड़की की तरह थी।
उधर आंटी शालू भाभी के सामने बैठ गई, और उनको किस करने लग गई।
मुझे बड़ा मजा आ रहा था भाभी की चूत चाटने में। वो अब अपनी गांड हिला-हिला कर चूत चटवा रही थी।
ऐसे ही चूत चटवाते हुए उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया, जो सारा का सारा मैं पी गया।
आंटी ने शालू भाभी की ड्रेस उतार कर ब्रा भी खोल दी, और किस करते हुए उनके बूब्स दबाने लग गयी।
मैं फिर खड़ा हुआ, और उसकी पोजीशन में उनकी चूत पर लंड सेट किया।
फिर मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा, और पूरा लंड भाभी की चूत में घुसा दिया।
शालू की ज़ोर की चीख निकली, लेकिन आंटी ने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया। उसकी चूत से थोड़ा खून भी निकल आया।
लेकिन मैंने किसी चीज की परवा नहीं की, और लंड अंदर-बाहर करने लग गया।
बड़ी कसी हुई चूत थी, ऐसा लग रहा था कि किसी ने चोदा ही नहीं था पहले।
शालू सही बोल रही थी, कि उसको चरम सुख नहीं मिल रहा था।
धीरे-धीरे मैंने अपनी स्पीड तेज़ कर दी, और शालू को भी मज़ा आने लगा।
मैं चूत चोदते हुए उसको मसल रहा था। फिर आंटी ने शालू को छोड़ दिया, और शालू मेरी तरफ देख कर बोली-
शालू: आअहह बहुत मजा आ रहा है, और ज़ोर से चोदो प्लीज।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, और उसको ज़ोर-ज़ोर से चोदने लग गया। वो ज़ोर की आंहे भरने लग गई।
10 मिनट बाद शालू की टांगे कांपने लगी, और उसकी चूत का गरम-गरम लावा मुझे अपने लंड पर महसूस हुआ।
झड़ने के बाद वो ढीली पड़ गई, लेकिन मैं उसको चोदता रहा। कुछ मिनट और चोदने के बाद मैंने उसकी गांड पर अपना पानी निकाल दिया।
उस दिन के बाद से मैं उन दोनों सास-बहू की चुदाई करने लगा, और वो चुदाई आज भी जारी है। वो दोनों बहुत खुश हैं, और मैं भी।