बर्थडे पर दिया फ्रेंड की चूत में लंड-Antarvasna Sex Story

बर्थडे पर दिया फ्रेंड की चूत में लंड

नमस्कार मेरा नाम अखिल चौहान है मैं लुधियाना का रहने वाला हूँ. मेरा कद-5 फुट 2 इंच है. मेरे लण्ड का साइज साढ़े 6 इंच है. मैं आपको अपनी पहली कहानी सुना रहा हूँ जब मैंने अन्तर्वासना की कई कहानियाँ पढ़ीं तो मेरा भी मन अपनी कहानी लिखने का हुआ.

बात उन दिनों की है.. जब मैं एक कारखाने में काम करता था मेरे साथ कई लड़के लड़कियाँ काम करती थीं. उनमें से एक थी ईशा.
ईशा का कद 4 फुट 11 इंच.. वक्ष पूरे उभार लिए हुए.. रंग दूध जैसा और चूतड़ एकदम गोल थे.
ईशा को देखते ही मुझे उससे प्यार हो गया था. उसे देख कर लगता.. मानो आसमान से कोई परी उतरी हो.
उसकी मखमली देह.. नशीली आंखें.. किसी को भी एक नजर से ही दीवाना बना दे.

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किस्मत से वो मेरे डिर्पाटमेंट में काम के लिए आई. पहले दिन मैंने जाना कि वो मेरे पास के गांव की ही है. मैंने उससे दो-चार दिनों में अच्छी बातचीत शुरू कर दी.
मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि कहाँ से प्यार की बात शुरू करूँ.

फिर एक दिन मैंने उसे बुलाना बंद कर दिया. मैं बहुत ‘बकबक’ करता था. उसने उस दिन तो नहीं.. पर अगले दिन पूछा- क्या बात है.. बड़े चुप हो?
मैं- कुछ नहीं..
ईशा- कुछ तो है.. नहीं तो तुम कभी चुप रह ही नहीं सकते..

ईशा बाहर गई और एक बिस्किट का पैकट ले आई और बोली- लो खाओ.. मैं तुम्हारे लिए लाई हूँ. तुम्हारे घर में कोई बीमार है.. या पैसे चाहिए?
मैं- नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं है.
ईशा- कुछ तो है.. नहीं बताना चाहते तो कोई बात नहीं.. पर तुम उदास मत रहा करो.. तुम बोलते हुए बहुत अच्छे लगते हो.
मैं- मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं तुम्हें कैसे बताऊँ?
ईशा- दोस्त मानते हो?
मैं- हाँ बिल्कुल..
ईशा- तो कह दो.. जो भी मन में है.
मैं- दरअसल परसों मैंने एक सपना देखा कि.. मैं तुम्हारे साथ सेक्स कर रहा हूँ.

इतना सुनते ही उसका मुँह पीला पड़ गया और हाथ में पकड़ा हुआ बिस्किट भी हाथ से छूट गया. वो मेरी तरफ देखती ही रह गई.
मैं उसकी तरफ देख रहा था.. तो और वो मेरी तरफ..
फिर उसने अपनी नजरें झुका ली.
थोड़ी देर बाद छुट्टी हो गई.

अगले दिन उसने मुझसे कोई बात नहीं की.
एक सप्ताह बीत गया.
फिर मैं उसके पास गया और उससे बातचीत शुरू करने की कोशिश की- क्या मैंने कोई जानबूझ कर ऐसा सपना देखा था?

ईशा बिना कुछ बोले आगे बढ़ने लगी. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.
ईशा- देखो.. तमाशा मत बनाओ मेरा..
मैं- पहले मेरी गलती बताओ?
ईशा- गलती तो मेरी है.. जो मैंने तुम्हें अपना दोस्त माना.
मैं- क्यों मैंने ऐसा क्या किया?

वो कुछ नहीं बोली और मैं भी चुप हो गया.
छुट्टी के बाद मैं उसे फिर बोला- मुझे माफ कर दो..

ईशा कुछ न बोली.
मैं- क्या तुम मुझे माफ भी नहीं कर सकती?
ईशा- मैंने तुम्हारे बारे में ऐसा कभी नहीं सोचा था.
मैं- मैंने भी तुम्हारे बारे में ऐसा कभी नहीं सोचा था.
ईशा- मैंने हमेशा तुम्हें अपना दोस्त माना..
मैं- मैंने भी हमेशा तुम्हें अपना दोस्त माना.

अब जो भी वो कह रही थी मैं उसी की बात को दोहरा रहा था.
तभी..

ईशा- मैं..
अचानक वो हँस पड़ी और मेरी तरफ उंगली दिखा के बोली- आगे से ऐसा मजाक नहीं होगा..
मैं- नहीं होगा.. पर क्या तुम्हारी किसी से दोस्ती है?
ईशा- नहीं..
मैं- कभी नहीं की?
ईशा- नहीं..
मैं- तुम्हारी उम्र क्या है?
ईशा- 19..
मैं- तुम्हारी उम्र की लड़कियाँ तो..! तुम्हारा दिल नहीं करता?

ईशा मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराकर बोली- नहीं..
मैं- क्यों.. क्या तुम्हें किसी ने ऑफर नहीं दिया..?
ईशा- नहीं ऐसी बात नहीं.. बस दिल ही नहीं हुआ..
मैं- क्यों.. क्या तुम..

ईशा ने मेरी बात काटते हुए मुस्कुराकर कहा- क्योंकि कोई तुम जैसा नहीं मिला..
मैं हतप्रभ था..

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दो दिन बाद उसका जन्मदिन आया मुझे पता नहीं था.
उसने मुझसे पूछा- आज घर पर कोई काम तो नहीं है?
मैं- नहीं क्यों..
ईशा- नहीं दरअसल मेरे घर पर काम है.
मैं- कोई बात नहीं..
‘कोई बात है जी.. तुमको मेरे साथ मेरे घर चलना है
उसने मुस्कुरा कर कहा.

मैंने हामी भर दी.
वो जल्दी चली गई थी.

शाम को मैं उसके घर गया- बताइए क्या काम है.. बंदा हाजिर है..
ईशा- आज मेरा जन्मदिन है.
मैं- अरे.. तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया.. मैं कोई उपहार लेकर आता.
ईशा- तुम आ गए.. यही उपहार है.
मैं- घर के बाकी लोग कहाँ हैं?
ईशा- कोई नहीं है.. किसी को मेरा जन्मदिन याद ही नहीं था.
वो उदास होकर बोल रही थी.

मैं- मैं हमेशा याद रखूँगा.
ईशा- ज्यादा ठरकी मत बन..
मैं- नहीं यार.. सच में..
ईशा- एक बात पूछूँ..?
मैं- पूछो?
ईशा- प्यार करते हो मुझसे?

मैं समझ गया कि आज इसका चुदने का मन है. मैं मौका न गंवाते हुए बोल पड़ा-हाँ.. मैं तुम्हें यही तो कहना चाहता था.. पर तुम तो मेरी बात सुनती ही नहीं थी.

यह कहते हुए मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया. पहले तो उसने आँखें बड़ी कर लीं.. पर फिर मुस्कुराने लगी. मैं उसे किस करने लगा.
एक-दो बार ‘न.. न..’ करने के बाद वो मेरा साथ देने लगी.

अब मेरे होंठ उसके होंठों पर चिपक गए थे.. मेरा दाहिना हाथ उसके बांए मम्मे को मजा दे रहा था और बांया हाथ उसकी कमर पर था.

अभी तक हम नंगे नहीं हुए थे. मैंने ईशा की कमीज उतारी. उसने सफेद समीज पहनी थी. उसके स्तन पूरे तन गए थे.
वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी.
समीज उतारते ही मैं मदहोश हो गया इतने सुन्दर स्तन देख कर मेरा लवड़ा खड़ा हो गया था.
दूध भरे मम्मों पर चॉकलेटी निप्पल.. हय.. मेरी तो निकल पड़ी थी.
मैं बड़े जोश से उन्हे दबाने और चूसने लगा.

फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसके मम्मे चूसने लगा.
वो सिसकियाँ लेने लगी- उह.. आह.. उंम्म.. आह..

फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला. उसने क्रीम कलर की जालीदार पैंटी पहनी हुई थी. उसमें उसकी दोनों फाकें फूल कर आकार ले चुकी थीं. फिर मैंने उसकी पैन्टी उतारी. उसने चूत की शेव अभी ताजी-ताजी ही हुई थी.. ये साफ़ दिख रहा था.

उसकी गोरी चूत रिस रही थी. मैं उसकी चूत चाटने लगा. उसका नमकीन पानी और उसकी जाँघों की गर्मी से मेरा लण्ड फर्राटे मारने लगा.

‘उंम्म.. आह.. उह.. अह.. आह.. आह.. अम्म!’ की आवाजें करती ईशा मेरी उत्तेजना और बढ़ा रही थी.
मैंने ईशा को बिस्तर से नीचे उतार कर अपनी पैन्ट घुटनों तक कर अपना लण्ड उसके मुँह में लगा दिया.
मेरा पूरा साथ देते हुए उसने मेरा लण्ड बहुत प्यार से अपने मुँह में डाल लिया और मस्ती से चूसने लगी.
मैं उसे बालों से पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में ठूंसने लगा.

अब मैंने उसे बिस्तर पर लेटा कर 69 का पोज बना लिया. मैं उसकी चूत फिर से चाटने लगा.
वो पूरी नंगी थी और मैंने भी अपने सभी कपड़े उतार फैंके.
मेरा लण्ड लोहे जैसा तना हुआ था. मैंने उसकी चूत पर अपना लण्ड रखा और थोड़ा जोर लगाया लेकिन मेरे लण्ड को रास्ता नहीं मिला.

मैंने एक जोर का झटका दिया और लण्ड उसकी दोनों कोमल फांकों को चीरता हुआ उसमें समा गया.
वो जोर से चीख पड़ी..
उसके दर्द का ठिकाना न था, उसकी चूत से खून भी बहने लगा, वो रोने लग पड़ी.

फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये, थोड़ी देर में दर्द शांत हो गया, मैं धीरे-धीरे चुदाई करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी.

अब मैंने उसे घोड़ी बना लिया. उसके बाल पकड़ कर कस-कस कर धक्के लगाने लगा.
ईशा- आहह.. आहह.. आहह.. आहह.. आहह..
उसकी आवाजें सुन कर मैं और तेज हो गया.

ईशा लगातार सिसिया रही थी- आहह.. आहह… आई.. आई..
मैं- और चीख मां की लौड़ी.. और चीख..
ईशा- आहह.. ओहह.. बहुत दर्द हो रहा है.. छोड़ दो प्लीज.. आहह.. आहह..
मैं- ऐसे-कैसे छोड़ दूं तुझे.. आज तो चोद कर ही दम लूँगा.
ईशा- मैं मर जाऊँगी.. आहह.. बहुत दर्द हो रहा है.

फिर मैंने उसे खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग धरती पर रहने दी और दूसरी टांग बिस्तर पर रखी.

फिर उसके मम्मों में सिर मलते हुए उसकी चूत लेने लगा.
वो थोड़ी देर में ही झड़ गई.. पर मेरा अभी नहीं हुआ था.

उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी. मुझे तरस आ गया.. क्योंकि मुझे आगे भी उसकी फुद्दी लेनी थी.. इसलिए मैंने अब उसे घुटनों के बल बिठाया और उससे अपने लौड़े की मुट्ठ मरवाने लगा.

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थोड़ी देर में मेरा भी काम हो गया, उसके मम्मों पर मैंने सारा वीर्य गिरा दिया.

फिर हम दोनों नंगे एक साथ ही सो गए. रात में कई बार मैंने उसे अलग अलग अंदाज में चोदा..

अब तो वो मेरे लवड़े की शैदाई हो गई थी.. आए दिन मुझे उसकी चुदाई करना पड़ती है.

मुझे उम्मीद है कि आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी. मुझे अपने ईमेल जरूर कीजिएगा.

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