मेरी मकान मालकिन आंटी शिमला की हैं गोरी चिट्टी चूचियां बहुत मस्त लंबाई लगभग 5 फीट उन्हीं को देखता जवान हुआ मैं। घर का हुलिया बता देता हूं नीचे बस दो कमरे रसोई और स्नानघर बना रखा था पहले माले पर एक कमरा एक बाथरूम और रसोई।
आंटी नीचे रहती थीं, हम लोग पहले माले पे हमारे यहां टीवी नहीं थी, मुझे टीवी का बहुत शौक रहा है बचपन से मैं नीचे टीवी देखने चला जाता था आंटी रोज शाम को झाड़ू लगातीं, फिर नहाती वे जब झाड़ू लगाती थी तो पूरी नंगी होकर मैं लेटकर दरवाज़े के नीचे से देखता था।
जब पहली बार उनकी चूची देखी मैंने बड़ी बड़ी पेट तक लटक रही थी डगमग हो रही थी और जब झुक के झाड़ू लगाती तो लगता कि बड़े बड़े फजली आम लटक रहे हैं और जब कूड़ा उठाती तो चूची पेट और जांघों के बीच ओ हो हो क्या लगती थी।
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मेरा दिल करता था कि लटक जाऊं पकड़ के उनको मेरी परछाई दिख जाती थी पर कुछ नहीं बोलती उनको भी अच्छा लगता होगा शायद एक बार मैं टीवी देखने को गया आंटी नहा रहीं थीं बस दरवाज़ा भिड़ा रखा था मैंने पूरी नंगी आंटी को देखा।
वे लोटे से पानी डाल रही थी मैं उनको देखता रह गया अंकल टीवी देख रहे थे आंटी चिल्लाई नहीं अपने दोनों हाथों से अपनी चूची ढक ली आंटी की समझदारी देखो बस उन्होंने इशारे से कहा- जाओ मेरी फुन्नी खड़ी हो गई।
ऐसे करते करते देखते देखते मैं जवान होता गया 2010 में आंटी शिमला गईं अपना सारा समान पैक करके छोड़ कर चली गईं नीचे वाला कमरा भी हमने ले लिया ऐसे ही एक दिन मैं उनका सामान देख रहा था उसमे उनकी दो ब्रा और पैंटी मिली।
उसपर मैंने देखा साइज़ 38 लिखा था फिर क्या था दोस्तो समय बीतता गया दिन में उनकी पैंटी सूंघकर मुठ मारता था और रात में उनकी ब्रा, पैंटी को तकिया को पहनाकर खूब चोदता था तब मेरा वीर्य निकालना नया नया शुरू हुआ था।
मैं खूब पेलता था तकिया को ऐसा करते करते साल 2013 आ गया मैं अब चूत लेने लायक हो गया था आंटी हो भाभी हों या लड़की हो इस बीच मैं दो तीन बार रण्डी चोद चुका था जून का महीना था मकान मालकिन आंटी आ गईं, हमारे यहां ही रुकने वाली थीं।
मैं बहुत खुश हुआ कि मैं आज इनको पेल दूंगा क्योंकि मैं अकेले नीचे कमरे में सोता था रात को खाना खाने के बाद आंटी और मैं नीचे चले आए मम्मी और बहन ऊपर सोती थीं आंटी ने बोला- मुझे कल ही निकलना है कुछ सामान लेने आई हूं।
फिर तो मेरे दिल से यही आवाज आई- हो गया खड़े लंड पे धोखा आंटी थकी थीं, वो बेड पे पड़ते ही सो गईं और मैं दूसरे बेड पे लेटकर उनकी चूचियों का दीदार कर रहा था जो हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही थीं।
देखते देखते सो गया मैं भी सुबह आंटी उठीं फ्रेश होकर नहा धोकर नाश्ता करके अपने जानने वालों से मिलने चलीं गईं और मैं उनको चोदने के तरकीब सोचने लगा आंटी करीब दो बजे आईं और फिर अपना सामान समेटने में लग गई।
मैं भी नीचे वाले रूम में कंप्यूटर पर गेम खेल रहा था आंटी ने मुझे कहा टांड से सामान उतारने को अब वो दुपट्टा उतारकर मेरे साथ काम में लग गईं उनकी क्लीवेज साफ दिख रही थी जब वे झुक कर कुछ उठाती तो दोनों चूचियां एकदम चिपकी हुई नजर आती थी।
आंटी की चूचियां इतनी बड़ी थीं कि ब्रा में नहीं समाती थी मेरा लन्ड खड़ा हो गया मैंने लन्ड को निकर की इलास्टिक में दबा लिया पर मेरे लन्ड का उभार आंटी ने देख लिया था वो मुस्कुरा रही थीं हम दोनों लोग काम करते करते पसीने से भीग गए थे।
आंटी की ब्रा की पट्टी झलक रही थी मेरा लन्ड इतना कड़क हो गया था कि मैंने इलास्टिक से निकाल दिया, मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा आंटी लन्ड को देख के गर्म हो रही थी मेरा लन्ड ज्यादा बड़ा नहीं था जब आंटी ने अलमारी खोली तो दोनों ब्रा और उनकी चड्डी सामने ही मिली उनको।
मैं देखते ही नजर दूसरी तरफ घुमा के काम करने लगा मैंने उनकी चड्डी में वीर्य झाड़कर कड़क कर दिया था और ब्रा का भी वही हाल था अब मुझे कैसे भी उनकी चूत चखनी थी तो मैंने अचानक मुड़कर पूछा- आंटी ये क्या है।
उन्होंने भी गर्म जवाब दिया- इसने ही तो तेरी जवानी खराब कर रखी है और कहते कहते हंसने लगी मैंने अचानक ही बोल दिया- अंदर वाली दिखा दीजिए वो बोली- हट पागल सबको थोड़ी दिखाते हैं मेरा लन्ड एकदम फड़फड़ा रहा था, चूहा बिल में समाने को तैयार था।
फिर जब वो मेरे पास से गुजरी तो अपनी गांड मेरे लन्ड से रगड़ती हुई गईं मैंने लन्ड उनके सामने ही पकड़ लिया पर थोड़ा मसल के रह गया फिर आंटी दूसरे वाले रूम में जाकर गाना गाते काम करने लगी गाना था तुम पास आए यूं मुस्कुराए।
मैं समझ गया कि आंटी दे देंगी उनकी एक अलमारी थी गोदरेज की वो खोलना चाह रही थीं पर दरवाजे जाम हो गये थे आंटी ने मुझे बुलाया मेरे आगे ही खड़ी रहीं और मैं उनके पीछे खड़ा होकर अलमीरा खोलने लगा।
मेरा लन्ड उनकी गांड की दरार में फंसा उफ्फ मैं तो पागल ही हो गया उनको भी अच्छा लग रहा था आंटी मज़े लेने लगीं मैंने जैसे तैसे अलमीरा खोल दी मैं और आंटी वैसे ही खड़े रहे, मेरा लन्ड गांड की दरार में झटके ले रहा था।
मैंने कह दिया दुबारा- खोल के दिखा दीजिए ना आपको ही देख के जवान हुआ हूं चुपके से हर चीज मैंने आपकी देखी है. आपको भी पता है. एक बार आपकी इजाज़त से देखना चाहता हूं मैं एक सांस में बोलता चला गया- मैं आपकी ब्रा और पैंटी के सहारे काम चला रहा हूं।
वो एकदम कामुक आवाज में बोलीं- पता है मुझे लोग सच कहते हैं कि अलमारी में खज़ाना होता है मैंने भी अलमारी खोली और शायद मुझे जीता जागता खज़ाना मिलने वाला था पता है मुझे बोलते ही आंटी ने अपने दोनों हाथ ऊपर कर दिए।
मैंने मौका ना गंवाते हुए उनका कमीज उतार दिया काली ब्रा तो उनके बदन पे एकदम जबर लग रही थी पसीने से उनकी पीठ तरबतर थी फिर भी मैं चूमे जा रहा था पीठ का स्वाद नमकीन था और मैं दोनों हाथों से उनकी चूचियां दबा रहा था।
पसीने से ब्रा भी गीली हो चली थीं चूची का ये पहला स्पर्श था जो अच्छी तरह से था मैं उनका मालिक था उस समय आंटी की चूचियां इतनी बड़ी थी कि हाथों में नहीं समा रही थीं मैंने हाथ नीचे ले जाकर उनका नाड़ा खोल दिया सलवार अपने आप नीचे गिर गई।
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फिर मैंने उनकी चड्डी में लन्ड डाल कर गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया पसीने से लन्ड फिसल रहा था नीचे मैं लन्ड रगड़ रहा था, ऊपर चूची दबा रहा था और पीठ, गर्दन कंधा चूम रहा था आंटी बस स्स इस्स आह उम्म कर रहीं थीं।
मैं उनको अपनी तरफ मुंह करने को कह रहा था पर नहीं कर रहीं थीं शायद शर्मा रहीं थी कि एक 19 साल का लड़का 45 साल की औरत से मज़े ले रहा था वे नहीं मुड़ी तो मैंने आंटी की ब्रा का हुक खोल दिया और उनकी नंगी चूचियां जोर जोर से भींचने लगा।
बस सिसकारियों और आहों का दौर था मैंने धीरे से कहा- आंटी, मुड़ जाइए ना मैंने दूध पीना है वो मुड़ गईं अरे बाप रे चूची इत्ती गोरी गोरी बड़ी बड़ी उसी पल में चूची मैंने इतनी रगड़ दी थी कि लाल हो गई थी चूचियां दोनों हाथ से पकड़कर मैं झुककर चूची पीने लगा, काटने लगा।
आंटी के निप्पल तन के मुनक्का से अंगूर हो गए थे वो अलमारी से अपनी पीठ लगाए लम्बी लम्बी सांसें ले रहीं थी मेरा सिर सहला रही थी और खुद से एक चूची मसल रही थीं मैंने भी देर ना करते हुए उनकी चड्डी उतार दी और अपनी भी चूहा बिल में जाने को तैयार था।
आंटी की चूत पर सुनहरे बाल थे और चूत एकदम गीली हो चुकी थी जब उन्होंने मेरा लन्ड देखा तो मुस्कुरा दी क्योंकि उनके हिसाब से बहुत छोटा था यह सब खेला अलमारी से सटे सटे हो रहा था उन्होंने अपनी एक टांग उठाकर मेरी कमर में लपेट ली।
पर पसीने से फिसल रही थी तो मैंने अपने हाथ से पकड़ ली उन्होंने मेरा लन्ड पकड़कर चूत पर सेट किया. लन्ड चूत में जा तो रहा था पर मुझे दर्द हो रहा था मैं पेलने लगा उन्होंने दोनों हाथ मेरी गर्दन में लपेट लिए और मैं धक्के मारने लगा।
हम दोनों के बदन पसीने से फिसल रहे थे मैं जोर से धक्का मारने लगा पट पट चूत और लन्ड टकराने से आवाज आने लगी थी तो मैं धीरे हो जा रहा था आंटी की चूत धीरे धीरे पानी छोड़े जा रही थी उनकी आंखें बंद थीं होंठों पे होंठ चल रहे थे।
आंटी एकदम मदहोशी में नीचे सरकने लग रही थी, मोटी जांघ को कैसे भी मैं खींच के ऊपर लाता उनको लेट के चुदने का मन हो गया था पर इतना वक़्त नहीं था 10 मिनट की चुदाई खूब हुई मैं खुद पे काबू न कर सका और चूत में झड़ गया।
मैं हाम्फ़ने लगा था आंटी ने अपनी चूची मेरे मुंह में डाल दी हम अलग हुए तो अलमारी भी गीली हो गई थी आंटी ने तुरंत पसीना पौंछा अपने और मेरे बदन से फिर एक दूसरी ब्रा नीले रंग की प्रिंटेड पहन ली जिसका हुक मैंने लगाया और फिर सूट पहन लिया।
हम दोनों एक दूसरे से शर्मा रहे थे पर आंटी मुझसे गले लग गईं मैंने बस इतना कहा- आज ना जाइए वो बहुत प्यार से बोली- बाबू बहुत जरूरी है जाना आती रहूंगी मेरा ही घर है शाम को मुझे ही उनको छोड़ने जाना था बैग काफी भारी थे हमने घर से बस स्टैंड तक गाड़ी कर ली।
शाम 5 बजे निकल गए आंटी गाड़ी में मुझसे सट के बैठी थी उनकी चूची मेरी कोहनी से सट गई थी, मैं कोहनी से चूची दबा दे रहा था मेरा लन्ड तन गया फिर आंटी ने आंखों से इशारा किया हम दोनों मुस्कुरा दिए।
आंटी ने ड्राइवर से किसी होटल ले चलने को कहा 6 बज रहे थे मैंने कहा- होटल क्यूं वो बोलीं बस 8 बजे जाती है तब तक खाना वगैरा खा लेते हैं होटल में रूम लेकर दो घंटे के लिए हम रुक गए रूम में पहुंचकर आंटी ने मुझे जोर से गले लगा लिया।
हम दोनों बहुत देर तक लगे रहे मेरा लन्ड तन गया था बिना कुछ कहे आंटी ने अपना सूट उतार दिया तब एक ख्याल आया मुझे भले रहती शिमला में ठंडी जगह रहती हैं पर हैं बहुत गर्म मैंने अपनी टीशर्ट लोअर चड्डी सब उतार दिया एकदम नंगा हो गया।
आंटी को बिस्तर पे पटक कर लन्ड उनकी चूत पर रगड़ने लगा उनके होंठों को बेतहाशा काटने लगा मैं उनकी छाती चूमने लगा उन्होंने मेरा लन्ड पकड़ लिया और मुंह में लेकर चूसने लगी मैंने कहा- मैं झड़ जाऊंगा तो सेक्स कैसे करूंगा।
वो बोली- मुंह का जादू देखो पहले मैं अपनी कमर उठाने लगा, वो दबा के लन्ड चूस रही, मैं झड़ गया मेरा लन्ड बैठ गया तब वे बोली- आओ मेरी गोद में मैं उनकी गोद में जाकर उनकी चूची पीने लगा।
आंटी मेरे बाल सहलाते हुए बोली- घर पे जो आग लगी थी शांत करके जाऊंगी तुम्हारी भी अपनी भी थोड़ी देर में लन्ड खड़ा हुआ उन्होंने मुझसे कहा- चूत चाटो मैंने मना कर दिया मैं उनकी बांहों में छोटा लग रहा था फिर आंटी बोलीं- चलो डालो मेरे अंदर।
मैंने आंटी की चूत में लन्ड डाला और आंटी की आंखें बन्द हो गई मैं उनके कंधे को काटता हुआ चोदने लगा उन्होंने मेरी कमर अपने पैरों से जकड़ ली और मेरी गान्ड को जोर जोर से दबा रही थीं अब मेरा 4 इंच का लन्ड कितना अंदर जाता।
आंटी आंखें बंद करके मज़ा ले रही थी फिर वे घोड़ी बन गईं उनको पता था कि मैं जवान हो रहा हूं ताकत भरपूर थी पीछे से जब मैंने लन्ड डाला ना दोस्तो मैं खुद अलग दुनिया में था मैं खूब ताकत से पेल रहा था उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के अपनी चूची पे रख लिया।
आंटी चुदते चुदते मुझे सिखा भी रहीं थीं खूब सिसकारियां, कराहटें थी 10 मिनट हो गए, मेरा झड़ नहीं रहा था पर मैं थक रहा था मैंने बोला- आंटी मैं थक रहा हूं वे हंसने लगीं मुझे बाहों में लेकर चूमने लगीं वो कौन सा रस था प्रेम का मुझे समझ नहीं आया।
वात्सल्य था प्रेम रस था या वासना रस पर कोई भी रहा होगा, मजेदार था लन्ड को और मुझे थोड़ा आराम मिला फिर आंटी जमीन पे खड़ी हो गईं और मेरी टांगें फैला के वो मुझे चोदने लगीं अब तरबूज चाकू पे था।
मैंने देखा कि आंटी की चूचियां डगमग डोल रहीं थीं 10 मिनट बाद मैंने बोला- मैं झड़ने वाला हूं आंटी बोली- ऊपर आओ वो लेट गईं मतलब उनको माल अंदर चाहिए था फिर मैंने धक्का मारना शुरू किया।
10- 15 झटकों में मैं उनके बदन पे गिर गया और झटके ले लेकर माल चूत में छोड़ने लगा आंटी की पकड़ इतनी मजबूत हो गई थी कि लग मुझे निचोड़ देंगी अपनी बांहों में ही मैं और जोर से धक्के मारने लगा।
आंटी मेरा चूतड़ दबाए पड़ीं थीं हाथों से उन्होंने एक एक बूंद ले ली चूत में लन्ड निकलते ही मुझे पेट पे लन्ड पे चूमने लगीं मेरी छाती चूमने लगीं और रोने लगीं यानि आंसू आ गए उनकी आंखों में तब मुझे लगा कि शायद अंकल उनके साथ सेक्स नहीं करते।
मैंने पूछा- क्या हुआ वे मुस्कुराती हुई बोली- कुछ नहीं समय 6:45 हो चला था मैंने कहा- खाना खा लीजिए वो हंसती हुई बोली- पेट भर गया फिर भी कॉल करके उन्होंने कोल्ड ड्रिंक मंगाई इतने में मैं कपड़े पहन चुका था आंटी बाथरूम चली गईं।
कोल्ड ड्रिंक आईं, हमने पी आंटी ने पूछा- अच्छा लगा मेरी जान को मैंने कहा- बहुत आंटी बोली- शिमला आ जाना मैंने कहा- ठीक फिर हम दोनों लेटे रहे मैंने कहा- एक बात बोलूं बोलो ना मेरी जान एकदम यही लफ्ज़ थे उनके।
मैंने कहा- जाने अनजाने कुछ भी है आप मेरा पहला प्यार हैं आपको देखता था तो लन्ड खड़ा हो जाता था आपको छुप छुप देखता था आंटी बोलीं- मुझे पता है तुम्हारी आंखों में मैंने वो देखा था मैंने भी बिना सोचे समझे ये कदम उठा लिया ना जाने मुझे क्या हुआ था इसलिए मैं तुम्हें किसी चीज़ को मना नहीं कर पाई।
कपड़े पहन के आंटी एकदम से सही हो गईं मेरा फिर मन करने लगा मैंने उनको पीछे से बांहों में भरके चूचियां को पकड़ लिया वो सिहर गईं एकदम बेहद कामुक आवाज में बोलीं- क्या हुआ बाबू मेरा खड़ा लन्ड ही जवाब था उनको मैंने दरार में लन्ड फसा दिया।
बोलीं- फिर से तैयार हो गए मर्द यही तो सोचता है एक ही बार में खा जाऊं मैं चूचियां मसलने लगा आंटी दोनों हाथ ऊपर कर के मेरे बाल गाल और सिर सहलाने लगीं, बोलीं- फिर से तैयार होना पड़ेगा मैं बोला- मैं कर दूंगा।
मैंने उनका शर्ट उतार दिया और दांतों से गर्दन काटने लगा फिर आंटी को ऐसे ही लेकर बेड पर लेट गया कभी उनको ब्रा में देखना अच्छा लग रहा था कभी बिना ब्रा के ब्रा खोल के अपनी तरफ करके चड्डी और सलवार एक साथ उतार के मैंने लन्ड एक ही झटके में चूत में डाल दिया।
इस बार उनके निप्पल मुंह में लिए और पेलता रहा दोगुनी ताकत से आंटी गांड उठा उठा के लपक के लन्ड ले रही थीं आसमान में टांगें करके ले रही थीं जवान लन्ड का स्वाद उनको भा गया, इस बार आंटी ताबड़ तोड़ चुदाई में झड़ गईं पानी की मात्रा ज्यादा थी, चूत फ़च फच कर रही थी उसमें भी मैं पेलता रहा।
मैं स्खलित हो गया और आंटी ने अरे मेरी जान अरे मेरी जान करके मुझे गले लगा लिया और चूमने लगी मुझे तब वक़्त 7.30 हो गया था आंटी उठते हुए बोली- चूत सूजा दी, कमर तोड़ दी इस लड़के ने तब वे बाथरूम से चूत धोकर आईं।
तो मेरे मन में ख्याल आया एक बार चूत चाट के देखूं मैंने नीचे बैठ के आंटी की चूत में उंगली डाली उनकी उम्म की आवाज निकली बोली- तुम्हारा मन नहीं भरा क्या अभी तो मैंने कहा- देख लेने दीजिए फिर कब दर्शन होंगे पता नहीं।
आंटी की चूत की फांकेन खुल गयी थी मैंने जीभ लगा दी चूत में आंटी बोली- बाबू क्या चाहते हो ना जाऊं मैं दो बार हल्के से मैंने चूत को चाटा बहुत मस्त स्वाद और चूत की मादक खुशबू थी फिर आंटी ने उसी चड्डी से चूत पौंछी और ब्रा उठा के मुझे दे दीं बोली- लो मेरे वापस आने तक स्वाद लेना।
Chachi Ki Chudai
फिर हम होटल से निकल गए बगल में बस स्टैंड था आंटी को बस में बैठाकर नीचे आया बस अभी चली नहीं थी आंटी ने बस से नीचे आकर मुझे गले लगा लिया और फिर चल दी चुदाई का दौर ऐसा चला कि वो मुझे शिमला अपने घर बुला लेती थीं दो दो तीन तीन दिन मैं वहां रुकता और खूब चोदता आंटी को।
और जब वे दिल्ली आतीं थी तो मौज होती थी दिल्ली जब जब आतीं, अपनी चूत सूजा के जाती आज भी मैं आंटी को चोद देता हूं.भले ही उनकी उमर बढ़ गयी है, पर चूत आज भी लपक के देती हैं अब मेरा लन्ड 6 इंच का हो गया है मोटा भी हो गया है।
आंटी की चूत में डालते ही अब कराहने लगती हैं अब तो मैं उनको अपने लन्ड पे बैठा लेता हूं, खूब हॉर्स राइडिंग करवाता हूं गोद में भी उठा के पेलता हूं अहाहा जब चूत में लन्ड घुसता है और वीर्यपात होने के बाद निकलता है क्या मजा मिलता है अब मैं आंटी के घर में नहीं रहता पर वो मुझे बुला लेती हैं जब भी दिल्ली आती हैं।