चाची को मनाया चोदने के लिए-Chachi Ki Chudai

चाची को मनाया चोदने के लिए

मेरा नाम राज है काफी दिनों से सोच रहा था कि मैं भी अपनी कहानी सबको बताऊँ आखिर यहीं से कहानियाँ पढ़ के मैं भी बड़ा हुआ हूँ यहीं मैंने मुठ मारना सीखा यहीं से मेरी सोच में सारी औरतें और लड़कियाँ एक सी लगने लगीं इसलिये आज मैं आप सबको अपनी कहानी सुना रहा हूँ।

मेरा नाम तो आप जान ही गए हैं मेरी माँ का नाम सोनम है मैं एक संयुक्त परिवार में रहता हूँ मेरे परिवार में मेरी दो चाचियाँ हैं बड़ी चाची का नाम अनीता और छोटी चाची का नाम हेमा है मेरी माँ की उमर 42 होगी अनीता चाची 36 की हैं और हेमा चाची 32 की मेरी एक दीदी का नाम गीता है जो 21 साल की है।

बात उस समय की है जब मैं 12वीं की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चला गया था वहीं पे मुझे इन कामुक कहानियों की आदत पड़ी इन कहानियों में तो माँ बहन का कोई लिहाज होता नहीं है और कहानियाँ पढ़ने में काफी रोचक होती हैं तो मैं सारी कहानियाँ पढ़ जाता हूँ। 

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उसके बाद से जब कभी भी मैं घर वापस जाता तो मेरे दिमाग में यही कहानियाँ चलती रहती थी इन कहानियों ने मेरी जिंदगी ही बदल दी या फिर यह भी कह सकते हैं कि मेरी लाइफ बना दी मैं घर पे काफी अकेला-अकेला सा रहने लगा अकेले में अन्तर्वासना कहानियों को याद करके मैं दिन में कई बार मुठ मारता था।

एक दिन जब मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया तो देखा वहाँ अनीता चाची की पेंटी और ब्रा लटक रही थी शायद चाची उन्हें ले जाना भूल गई थी यह पहली बार था कि मैं किसी औरत की पेंटी और ब्रा इतनी पास से देख रहा था मेरा हाथ रोके नहीं रुका और मैं उनको अपने हाथ में ले के सूंघने लगा उसकी मादक सुगंध से मैं मदहोश होने लगा। 

मैं पेंटी को अपने मुँह में लेके चूसने लगा मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अनीता चाची की चुत चूस रहा हूँ उसके बाद मैं ब्रा को भी मुँह में ले के खेलने लगा उस दिन पहली बार मेरा लंड इतना बड़ा लग रहा था मेरे लंड का आकार इतना बड़ा आज तक नहीं हुआ था उसके बाद मैंने अपने लंड से पेंटी और ब्रा को खूब चोदा उसे लंड में लपेट के मैंने अपना मुठ उसी में गिरा दिया। 

फिर अच्छे से धो के चाची की ब्रा और पेंटी वहीं रख दी उस दिन हिलाने में जितना मजा आया था उतना पहले कभी नहीं आया था मैं नहा कर नाश्ते के लिए गया वहाँ अनीता चाची ही खाना खिला रही थी चाची मुझे देख के मुस्कुराई आज मैं चाची को देख के उनको देखता हो रह गया वो भी मुस्कुराती ही जा रही थी चाची ने हाफ ब्लाउज पहन रखा था वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मैं बता नहीं सकता। 

मैंने तो सोच लिया कि आज के बाद मैं जब भी मुठ मारूंगा चाची की पेंटी ब्रा ले के ही मारूंगा और चाची को ही याद करके अपना रस निकालूँगा अगले दिन जब चाची नहा के निकली मैं नहाने के लिए जल्दी से बाथरूम की ओर दौड़ा ताकि कोई और ना चला जाए बाथरूम में पर अन्दर जाते ही मुझे काफी निराशा हुई इस बार चाची ने वहाँ अपने कोई कपड़े नहीं छोड़े थ। 

मैं उदास मन से नहा के बाहर आ गया अपने कमरे में जा के भी मैं यही सोच रहा था कि आज कैसे मुठ मारी जाए तब मैं हिम्मत करके छत पे गया वहाँ देखा तो चाची की पेंटी लटक रही थी मुझे लगा कि यहाँ पर मुठ मारूंगा तो अच्छा नहीं होगा सो मैंने उसे अपने अंडरवियर में छुपा लिया और अपने कमरे में चला गया चाची की पेंटी को छूते ही अन्दर मेरा लंड जाग गया था। 

फिर कमरे में जाकर मैंने जी भर के मुठ मारी फिर पेंटी को धो के वहीं लटका आया फिर मैंने इसी तरह काफी दिनों तक अनीता चाची की मदद से मुठ मारते हुए काफी मज़े लिए इससे मेरी हिम्मत भी बढ़ती जा रही थी अब मैं कभी कभी कमरा खुला छोड़ के मुठ मारने लगा था अब मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि केवल मुठ मार के मेरा मन नहीं भरता था। 

अब चाची के कपड़ो से मेरा लंड कड़क नहीं हो पाता था मुझे लगा कि अब कुछ करना पड़ेगा मैं अब अनीता चाची के कमरे में ताक-झांक करने लगा यह सोच कर कि कभी मैं चाची को नंगा देख सकूँ तो मजा आ जाए बाथरूम में तो कई बार कोशिश कर चुका था पर चाची हमेशा बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर लेती थी इसलिए मुझे सफलता नहीं मिल पाई थी।

एक दिन दोपहर में जब काफी गर्मी थी तो मैं खाना खा के चाची के कमरे में चला गया वहाँ खिड़की में काफी बड़े-बड़े परदे लगे हुए थे उसमें कोई भी आसानी से छुप सकता थ गर्मी इतनी थी तो मैंने सोचा शायद चाची जब काम करके आएगी तो कुछ कपड़े तो जरूर उतारेंगी यही सोच कर मैं परदे के पीछे छुप गया थोड़े देर बाद जब चाची आई तो मेरा सोचना सही निकला।

चाची ने कमरे का दरवाज़ा बंद करके तुंरत ही साड़ी उतार फेंकी मैं तो देखता ही रह गया चाची ब्लाउज और साये में काफी खूबसूरत लग रही थी चाची बिस्तर पर लेट गई पर गर्मी इतनी थी कि चाची को अभी भी पसीना आ रहा था चाची से रहा नहीं गया उन्होंने साया पूरा उपर कर लिया अब मैं उनकी जांघों का मजा ले रहा था उन्होंने गुलाबी रंग की पेंटी पहन रखी थी वो पसीने से भीग चुकी थी। 

मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि आज इतनी गर्मी हो कि चाची पूरी नंगी हो जाए और मेरा सपना पूरा हो जाए पर भगवान ने मेरी सुनी नहीं चाची साया ऊपर करके ही सो गई काफी देर इन्तज़ार करने के बाद मैं उनकी जांघों को ही देख के मुठ मारने लगा और रस को अपने हाथ में गिरा लिया ताकि किसी को पता न चले और खिड़की से ही कूद के अपने कमरे में चला गया।

दूसरे दिन भी मैं आशा लगा के वहीं छुप गया आपको यकीन नहीं होगा कि अगले दिन भगवान ने मेरी सुन ली थी चाची ने आते ही साड़ी ब्लाउज और साया तीनों उतार कर फ़ेंक दिए पेंटी और ब्रा में चाची किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी चाची बिस्तर पे लेट गई और अपने हाथ से पेंटी को सहलाने लगी मुझे लगा कि चाची ऐसे ही सहला रही है। 

पर चाची ने जब अपनी चुत में अपनी ऊँगलियाँ डालनी शुरू की तो मुझे लगा कि आज चाची गरम हैं आज वो भी मुठ मारने वाली हैं मुझे तो स्वर्ग मिल गया था चाची ने फिर फिर अपनी पेंटी उतार दी और मैं उनकी चुत को देखता रह गया और चाची ने फिर अपनी ब्रा भी उतार कर फ़ेंक दी उनकी चुचियों को पहली बार मैं ऐसे नग्न देख रहा था 38 इंच की उनकी चूचियाँ बस मेरी हालत ख़राब कर रही थी। 

इतनी बड़ी चूचियाँ मैंने तो सपने में ही देखी थी उधर मेरा हाथ मेरे लंड की माँ बहन एक कर रहा था मुझे पता भी नहीं चला कब चाची उठ कर खिड़की की तरफ़ आने लगी मैंने जैसे ही देखा तो मैं जल्दी से खिड़की से कूद के भाग गया मैं इतना गरम हो चुका था कि खुले दरवाज़े ही मैं अपने बिस्तर पर लेट के ज़ोर ज़ोर से लंड हिलाने लगा। 

हिलाते हिलाते जब मेरी नज़र दरवाज़े पर गई तो मैं तो बस पत्थर हो गया देखा कि चाची मुझे देख रही हैं चाची को देखते ही मेरा लंड एकदम सिकुड़ गया मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ तब चाची ही बोली- क्या कर रहा है रे राज मैं- कुछ नहीं चाची चाची- कुछ नहीं का मतलब तू ये सब कब से कर रहा है और किसने सिखाया तुझे ये सब हाँ।

मैं- चाची मैं कभी कभी करता हूँ वो मेरे एक दोस्त ने बताया था इसके बारें में चाची- तूने ऐसे ऐसे दोस्त बना के रखे हैं जो तुझे ये सब सिखाते हैं मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिये मैं आगे से कभी नहीं करूँगा और प्लीज़ किसी को नहीं बताइयेगा चाची- ठीक है वो सब मैं किसी को नहीं बोलूंगी पर तू मेरे जवाबों का सही सही जवाब देगा तब।

मैं- हाँ चाची मैं आपको सब सच सच बोलूँगा चाची- किसके बारे में सोच के अभी तू हिला रहा था मैं- सच बोलूं चाची आपको सोच के हिला रहा था चाची- मुझे सोच के हिला रहा था या देख के हिला रहा था तू मेरे कमरे में था ना खिड़की के पास मैं- नहीं चाची मैं नहीं था चाची ने मेरे गाल पे एक ज़ोर से तमाचा मारा।

चाची- तूने बोला कि सब सच बोलूँगा और तू झूठ बोले रहा हैं मैंने तो कल ही समझ लिया था जब मैंने खिड़की के परदे के नीचे तेरे रस की कुछ बूंद देखी क्यूँ तेरे ही काम थे थे ना वो मैं- चाची पता नहीं कैसे गिर गया वो मैंने तो हाथ में ही निकाला था सॉरी चाची चाची- और तू ही मेरे ब्रा और पेंटी ले के उसमें मुठ मारता है ना वो सब दाग तुमने ही लगाये थे न मेरे कपडों में।

मैं- चाची आपको वो भी मालूम चल गया पर मैं तो उसे धो देता था चाची- अरे इसके दाग ऐसे ही थोड़े चले जाते हैं और फिर मैं तेरी चाची हूँ रे कोई दूध पीती बच्ची नहीं तुझे ये क्या सूझी रे कि तूने अपने चाची को अपनी मुठ मारने का जरिया बना लिया मैं- चाची मुझे माफ़ कर दीजिये पर क्या करूँ आप हो ही इतनी सेक्सी कि मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।

चाची- तुझे ये 36 साल की औरत सेक्सी लगती है रे तू भी ना! अच्छा सुन ये अच्छी बात नहीं है ज्यादा मुठ मत मारना और अगली बार जब मुठ मारने का मन करे मुझसे कपड़े मांग लेना मैं दे दूंगी ऐसे चोरी मत कर! एक दिन पकड़ा जाएगा पर ज्यादा नहीं हफ़्ते में 2 बार से ज्यादा नहीं मारना ठीक है मैं- हाँ चाची आप बहुत अच्छी हो।

फिर मैं चाची से उनकी पेंटी और ब्रा मांग के हिलाने लगा. मुझे ऐसा लगने लगा था की चाची मेरे इस आदत का मजा ले रही है मुझे ऐसा भी लग रहा थी चाची शायद मुझे अपनी चुत भी मारने दे मुझे लग रहा थी कैसे चाची से बात करूँ इस बारें में। दूसरे दिन जब मैं चाची से उनकी पेंटी मांगने गया तो चाची की बातें बहुत मजेदार थी।

चाची- कल ही तो ली थी तुमने आज फिर से चाहिए कितना मनचला हो गया है मेरा भतीजा आज कोई पेंटी नहीं मिलेगी वो छत पर ही है और मैं नहीं लाने वाली मैं- चाची मैं तो मर जाऊँगा अगर नहीं मुठ मारूँगा तो चाची दो ना ऐसा मत बोलो चाची- अरे तुझे क्या लग रहा है कि मैं झूठ बोल रही हूँ तू खोज ले पूरे कमरे में यदि मिल जाए तो ले ले।

मैंने सब जगह देखा पर शायद चाची सच बोल रही थी मुझे कहीं भी ब्रा या पेंटी नहीं मिली तब मुझे एक आईडिया आया मैं- चाची आप सच बोल रही थी पर मुझे एक मिल गईआप दोगी न उसे चाची- मिल गई तो ले ले  पूछ क्यूँ रहा है मैं- चाची वो तो आपको देनी होगी आपने जो अभी पहन रखी है मुझे तो वही पेंटी चाहिए।

चाची- पागल हो गए हो क्या ये नहीं मिलेगी गन्दा कर दोगे मैं क्या पहनूंगी उसके बाद नहीं मैं नहीं दे सकती जा आज तू कुछ और उपाय कर मैं- चाची आप ऐसा मत करो मैं आपकी मिन्नतें करता हूँ आप जो बोलोगी मैं करूँगा पर आज मुझे अपने पेंटी दे दो आज मैं उसकी ताज़ी सुगंध से मस्त हो जाना चाहता हूँ।

चाची- जो बोलूंगी वैसा करेगा तब दे सकती हूँ मैं- चाची आप एक बार बोल के देखो तो आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूँगा चाची- आज तब तू मेरे सामने हिलाएगा जो भी करेगा मेरी पेंटी के साथ वो मेरे सामने करना पड़ेगा मैं- चाची पर आपके सामने तो मेरा खड़ा भी नहीं होगा डर से आपने देखा नहीं था जिस दिन अपने मुझे मेरे कमरे में पकड़ा था मेरा कैसे सिकुड़ के छोटा हो गया था।

मुझे ऐसा लगने लगा कि आज तो मैं सफल हो ही जाऊँगा लगा चाची आज गरम है और वो आज मुझे चोदने दे सकती है इसलिए मैंने चाची से फिर से बोला मैं- चाची पर एक बात बोलूं! यदि आप मेरी मदद करो तो शायद मेरा लंड खड़ा हो जाएगा चाची! बोलो आप मेरी मदद करोगी न चाची- मैं कैसे मदद करुँगी।

मैं- चाची यदि आप मेरे लिए अपने सारे कपड़े निकाल दोगी तो मेरा लंड जरूर खड़ा हो जाएगा चाची- बदमाश कनीं का! आज तू मुझे नंगा होने के लिए बोले रहा है तेरी इतनी हिम्मत तुझे मैं अपने कपड़े देने लगी तो तू कुछ भी बोलेगा जाके के तेरी मम्मी को सब बोले दूंगी।

मुझे लगा चाची गुस्सा कर रही हैं सो मैंने सोचा छोड़ दें पर फिर लगा नहीं एक बार और कोशिश की जाए शायद चाची ऐसे ही मजाक कर रही हो फिर यदि चाची फिर से गुस्सा करेगी तो मैं माफ़ी मांग लूँगा मैं- चाची आप गुस्सा मत करो ठीक है आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूँगा पर चाची एक बात पूछूं चाची- हाँ पूछ मैं- चाची आप वादा करो इस बार गुस्सा नहीं करोगी।

चाची- हाँ रे ठीक है नहीं करूंगी गुस्सा मैं- चाची जब पहले दिन आपने ये पता लगा लिया था कि मैंने खिड़की के पीछे खड़ा हो के वहाँ पे मुठ मारा था तो फिर दूसरे दिन आप कमरे में आ के पूरी नंगी क्यूँ हुई थी सच बोलो चाची आप जानती थी ना कि मैं वहाँ हूँ और आप मुझे दिखा के मुठ मार रही थी ना चाची- तूने तो मुझे चुप करा दिया रे अब मैं क्या बोलूं हाँ मुझे यकीन था कि तू वहाँ है। 

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इसलिए मैंने वो सब कुछ किया था और मैं जानबूझ के खिड़की की तरफ़ गई ताकि तुझे पकड़ सकूँ पर तू भाग गया था मैं- चाची जब आप उस दिन नंगी हो सकती थीं तो आज क्यूँ नहीं चाची आज तो आपको अब नंगी होना ही होगा चाची- ठीक है अब तो मना भी नहीं कर सकती।

उसके बाद चाची ने अपनी साड़ी उतार दी फिर ब्लाउज और साया भी साइड में फेंक दिया और पेंटी को स्टाइल से खोल के मेरी तरफ़ फेंक दिया चाची- ले बदमाश ले सूंघ और हिला अपने लंड को मैंने चाची की पेंटी को नाक से लगाया उसकी मादक सुगंध से मेरा लंड तन गया फिर चाची को देख के लंड तड़पने लगा मैंने सोचा आज मौका है आज चाची से बोलता हूँ कि मेरी लंड की मालिश करें।

मैं- चाची अपनी ब्रा उतारो ना आपकी चूची देखनी हैं चाची- क्यूं रे क्या करेगा मेरी चूची देख के मैं- चाची आपके शरीर में सबसे प्यारी चीज़ तो आपकी चूची है उसे देख के मेरा लंड और भी तन जाएगा चाची- तुझे मेरी चूची इतनी अच्छी लगती है मैं- हाँ चाची आपकी चूची तो सारी ब्लू फ़िल्म की नायिकाओं से भी अच्छी है।

चाची- ठीक है लगता है तू चूची का शौकीन लगता है ले देख मेरी चूची और अच्छे से हिला मैं- चाची एक बात पूछूँ आप चाचा के लंड को छूती हैं ना चाची- हाँ तेरे चाचा के लंड पर तो मेरा अधिकार है उसे मैं छूती ही हूँ मैं- चाची मेरे लंड पे भी तो आपका अधिकार होता है तो आप मेरे लंड को पकड़िये ना देखिये ना कैसे ये लंड आपके हाथों में आने के लिए तड़प रहा है।

चाची- नहीं रे तू पागल हो गया है क्या मैं नहीं छूती तेरा लंड चल हिला अपना लंड ख़ुद से फिर मैं चाची के पास जा के लंड हाथ में ले के- चाची लो ना देखो कितना तड़प रहा है ये ले लो ना चाची आपके हाथ का सोच के ही ये हाल है यदि आपने इसे हाथ में ले के थोड़ा प्यार से हिला देंगी तो सोचो कि ये कितना खुश होगा।

फिर चाची के हाथ पे ज़बरन मैंने अपना लंड रख दिया चाची ने अब मना नहीं किया चाची ने जैसे मेरे लंड को प्यार से सहलाया मुझे लगा कि झड़ जाऊँगा मैं- चाची मेरा रस निकलने वाला है चाची- इतनी जल्दी मैं- चाची क्या करूँ आपके छूने से मेरा रस उबलने लगा था अब नहीं रहा जा रहा है।

इतनी बात करते ही मैंने अपना रस निकाल दिया जो चाची के बूब्स पे गिरा चाची और भी सुंदर लग रही थी मैं- सॉरी चाची सारा आपके चूचियों पर गिर गया मैं साफ़ कर दूँ चाची- अब तू चूची को हाथ लगाने के बहाने निकाल रहा है जरूरत नहीं है जा भाग अब मैं- चाची आपका मन नहीं है ना मुझे भगाने का! मुझे पता है आप मुझे सब कुछ करने को देंगी देंगी ना चाची।

आप मेरी सबसे अच्छी चाची हो चाची- चल हट यहाँ से क्या क्या करना है तुझे रे ज़रा बता तो एक बार मैं- चाची मैं आपको चूमना चाहता हूँ आपकी दूध पीना चाहता हूँ आपकी चुत का मजा लेना चाहता हूँ आपकी चुत का रस पीना है मुझे फिर मुझे आपको चोदना भी है चाची- तू तो एकदम हरामी हो गया है रे अपनी चाची को ही चोदेगा तू तो मादरचोद निकल गया है तुझसे तो बच के रहना पड़ेगा।

मैं- चाची आप गली भी देती हैं आप भी कम हरामी थोड़े हैं आपने अपने भतीजे का लंड पकड़ा है उसे अपनी कपड़े दिए हैं उसके सामने मुठ भी मारी है चाची मुझे मालूम हो गया कि आप बहुत बड़ी चुदक्कड़ हैं चाची सच बोलिए आपको मेरा लंड चाहिए ना चाची- तू तो बड़ा हरामी है रे मैंने तेरी मदद की तो आज मुझे ही चुदासी बना दिया आज से तुझे कुछ नहीं मिलेगा।

मैं- चाची आप ऐसा नहीं करो मैं तो मर जाऊँगा मैंने तो सोचा कि ऐसा बोलने से आप मुझे चोदने दोगी तो मैंने बोल दिया मुझे माफ़ कर दीजिए चाची- ऐसा बोलने से कोई तुझे चोदने दे देगा मैं- तब चाची कब कोई मुझे चोदने देगा बोलिए न चाची मुझे आप कब चोदने दोगी।

चाची- तू नहीं मानेगा न ठीक है चल तू अपनी माँ के सामने यदि मुझसे बोलेगा कि चाची चोदने दो और तेरी माँ भी बोलेगी कि हाँ चुदा ले तो मैं तुझसे जरूर चुदवाऊँगी मैं- चाची इतनी मुश्किल शर्त रख दी आपने ठीक है मैं आज डिनर के समय ही मम्मी से बात करूँगा फिर उस दिन डिनर पर मैं चाची और मम्मी के साथ ही खाने को बैठा मुझे काफी डर लग रहा था कि मम्मी से कैसे बात की जाए फिर अचानक लगा कि कुछ घुमा के मम्मी से बात कर लेते हैं।

मैं- चाची आप मेरे इच्छा पूरी नहीं करोगी ना मैं कब से आपसे एक चीज मांग रहा हूँ आप क्यूँ नहीं देतीं मम्मी- क्या हुआ राज क्या चाहिए तुझे चाची से जो वो नहीं दे रही है मैं- कुछ नहीं मम्मी एक बहुत प्यारी चीज है चाची के पास मैं वही मांग रहा हूँ पर चाची देने को तैयार ही नहीं होती मम्मी- क्यूँ री अनीता मेरे बेटे को वो चीज क्यूँ नहीं दे देतीं देख बेचारा कितना परेशान है।

चाची- ठीक है दीदी! मैं आज ही दे दूँगी इसे मैं तो उछल पड़ा मैंने मम्मी से हाँ तो करवा लिया था फिर चाची ने मुझसे कहा कि कल लंच के बाद आ के ले लेना राज उसके बाद मैं हवा में उड़ने लगा था मैं बस किसी तरह चाहता था कि रात ख़त्म हो और लंच का टाइम आ जाए उस दिन रात काफी लम्बी लग रही थी  पर आखिर में मेरा इंतज़ार ख़त्म हो गया। 

सुबह मैं काफी अच्छे से नहा के सेंट वेंट लगा के लंच करने गया जल्दी से लंच करके चाची के कमरे में जा कर इन्तज़ार करने लगा चाची का आज मैं चाची को चोदने वाला था यह सोच कर मेरा मन फ़ूला नहीं समां रहा था फिर चाची कमरे में आई मैं बेड पे लेट के टीवी देख रहा था चाची- तो राज आखिर तुमने अपना दिमाग लगा के माँ से हाँ करवा लिया न।

मैं- चाची मैं आपको चोदने के लिए कुछ भी कर सकता था चाची- आज तो चाची भी तुझसे चुदना चाहती है देख अच्छे से चोदना चाची को जल्दी बाज़ी में मत चोदना जैसे बोलूँ वैसे चोदना मैं- चाची आप जैसा बोलोगी मैं वैसे ही चोदूँगा चाची- तू आ आज तू मेरी कपड़े उतार।

फिर मैं चाची के पास गया और चाची की साड़ी उतार दी फिर चाची की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा फिर चाची ने ख़ुद ही ब्लाउज उतार दिया फिर मुझे लगा कि चाची को पूरा नंगा कर दूँ और मैंने चाची की ब्रा साया पेंटी सब निकाल दिया फिर चाची बिस्तर पर लेट गई और मैं चाची को खड़ा देखने लगा चाची को ऐसे देख के तो किसी मुर्दे में भी जान आ जाती।

चाची- क्यूँ रे दूर से ही देखता रहेगा या पास भी आएगा आ मेरे पास आ ना मैं चाची के पास जा के बैठ गया चाची- तू कल बोल रहा था न मेरा दूध पिएगा ये ले आ जा मेरे दूध पी जा मैं भी चाची के चूचियों को प्यार से सहलाने लगा उनकी चूचियाँ मेरे हाथों में नहीं आ पा रही थी इतनी बड़ी और इतनी मुलायम चूची बस मन कर रहा था कि दबाता ही रहूँ। 

फिर मैं चाची की एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरी को पूरी ताकत से दबा रहा था चाची बड़े प्यार दे मुझे अपना दूध पिला रही थी हालाँकि चाची की चूची में दूध अब आता नहीं था पर चाची की चूची बहुत स्वादिष्ट थी मैं- चाची आपने तो बोला दूध पियो पर आपके चूची से तो दूध नहीं निकाल रहा है चाची अब दूध कैसे पियूँ।

चाची- अरे मेरे लाल चूची का दूध ख़त्म हो गया है पर आ तुझे अपना खास दूध पिलाती हूँ मेरी चुत पे जा और चाट जा चुत का सारा दूध मैं- चाची आपकी बूर का रस मीठा है न चाची- तू चख के देख ले चूची का दूध भूल जाएगा फिर मैं चाची की चुत के पास जाकर बैठ गया चाची की चुत में हल्की हल्की झांट थी जो पसीने से भीगी हुई थी। 

मैंने पहले चाची की झांट को चाटा चाची की झांट इतनी नमकीन थी कि बस चाटने का ही मन कर रहा था चाची उधर अपनी गांड उठा उठा कर मुझे इशारे कर रही थी कि चुत चाट तो मैंने सोचा कि अब चाची को ज्यादा न परेशान करूँफिर चाची की चुत को प्यार से सहलाया चाची की चुत तड़प में गीली हो गई थी। 

मैंने पहले चाची की चुत में अपनी एक उंगली डाली वो चाची की चुत में काफी आराम से आ जा रही थी तब मैंने दो दो उंगलियाँ एक साथ घुसाना शुरू किया. तब चाची को मजा आने लगा चाची हल्की हल्की आवाज़ निकलने लगी चाची की आवाज़ सुन के मैं और तेज़ी से उनकी चुत फाड़ने लगा चाची की चुत एकदम गीली हो गई थी। 

सो मैंने सोचा अब बुर रसपान कर लिया जाए और चाची की बुर में अपना मुँह रख दिया बूंद बूंद चाट लिया इतनी स्वादिष्ट रस मैंने आज तक नहीं पिया था चाची चुत उठा उठा के मुझे चुत का रस पिला रही थी मैं चुत का रस ऐसे चूस रहा था जैसे कोई निम्बू से रस चूसता है मुझे सब कुछ सपना लग रहा था मैंने चाची की बूर का इतना रसपान किया चाची ने ख़ुद से मना किया।

चाची- अरे बस भी कर कितना प्यासा है क्या मुझे मार ही डालेगा मैं- चाची आपका चुत-रस इतनी प्यारा है कि मैं हमेशा आपका रस चूसता रहूँ चाची- तूने तो मुझे धन्य कर दिया रे आजतक ऐसा रसपान ज़िन्दगी में किसी ने नहीं किया चल अब आ मैं तेरी सेवा कर दूँ मै- क्या करोगी चाची चाची- आ मैं तेरी लंड की प्यास बुझा दूँ तू भी चाहता है न कि मैं तेरा लंड अपने मुँह में लूँ।

मैं- चाची मैं तो रोज़ रात को सपने में अपना लंड आपके मुँह में देता हूँ मुझे तो वि्श्वास नहीं हो रहा है कि आप इसे मुँह में लोगी फिर चाची ने मेरी लंड को अपने हाथ में लिया मेरा लंड गरम होकर इतना कड़ा हो गया था कि चाची ने उसे छूते ही अपने मुँह में ले लिया आज मेरे लंड को अपनी मंजिल मिल गई थी चाची मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह चाट रही थी। 

चाची के चाटने के अंदाज़ से लग रहा था कि चाची तो लंड की शौकीन हैं चाची लंड मुँह से निकाल के उसे अपनी चूची से सटाने लगी लंड से चाची की चूची को छू के इतना प्यारा लगा कि मैं बयान नहीं कर सकता मेरा लंड बस अब चाची की चुत का प्यासा था फिर चाची ख़ुद ही लेट के लंड को अपनी चुत से सटाने लगी तब मुझे लगा कि अब समय आ गया है चाची भी चुदना चाहती है।

मैं- चाची अब मैं आपको चोद लूँ चाची- हाँ राज आ अब अपनी चाची की चुत को चोद डाल! पूरी जान लगा के चोदना! बहुत दिन से प्यासी है तेरी चाची की ये चुत आज इसकी प्यास बुझा दे मेरे लाल मैं चाची को नीचे लिटा के उनके ऊपर आ गया चाची की चुत पे अपनी लंड को रखा और उसे चुत पे रगड़ने लगा। 

चाची से रहा नहीं जा रहा था चाची ने चुत उठा के गली दी की मादरचोद अब चोद भी कितना इन्तज़ार कराएगा फिर मैंने चाची की चुत में अपना लंड घुसाना सुरु किया एक ही बार में मेरा लंड आधा चाची की चुत में चला गया फिर मैंने दूसरी बार जब ज़ोर लगाया तब मेरा पूरा लंड चाची की चुत में मुझे ऐसा लग रहा की चाची की चुत स्वर्ग हो मेरा लंड तो फुला नहीं समां रहा था।

मैंने चाची की चुत में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरु किया चाची काफी ज्यादा आवाज़ कर रही थी चोद डाल चोद मेरे लाचोद दे अपनी चाची को चाची जैसे जैसे बोले रही थी मैं और भी ज़ोर ज़ोर से चाची को चोद रहा था फिर मैंने चाची घुमने की लिए बोला और चाची के पीछे से उनकी चुचियों को दबाते हुए लंड को फिर से चाची की चुत में डाल दी चाची मजा ले ले के चुदवा रही थी।

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फिर मैंने चाची को कुतिया बन्ने को कहा और चाची के पीछे जाकर चाची की चुत की खूब पूजा की आज मेरा लंड काफी साथ दे रहा था चाची एक बार पुरी तरह से स्खलित हो चुकी थीं उसके बाद मेरा लंड फच फच की आवाज़ के साथ चाची की चुत फाड़ने लगा अब मेरा लंड भी अपनी पानी उगलने वाला था।

मैं- चाची मेरा लंड पानी निकलने को तैयार है चाची- निकाल दे बेटे चाची की चुत में ही निकाल दे चुत को काफी दिनों से नहीं मिली है लंड का रस मैंने पूरा का पूरा पानी चाची की चुत में डाल दिया चाची ने ज़ोर से मुझे गले लगा लिया और मुझे प्यार से चूमने लगी चाची- कैसा लगा बेटा चाची को चोद के मजा आया न तुझे।

मैं- चाची मेरे ज़िन्दगी बन गई आज आज से आप जैसा बोलोगी मैं वैसा ही करूंगा आप मेरी चाची हो मेरी दुनिया हो मेरी लव हो! चाची मैं आपको रोज़ चोदूंगा चुदवाओगी न चाची बोलो न चाची- हाँ मेरे लाल मैं तेरे से रोज़ चुदवाऊँगी चल अब जा अपने कमरे में! नहीं तो कोई पकड़ लेगा फिर अनीता चाची को मैं रोज़ चोदने लगा।

पाठको यदि आपको यह कहानी अच्छी लगी है तो मुझे ज़रूर मेल कीजिये तब मैं आपको आगे की कहानी बताऊँगा अभी मेरी हेमा चाची और माँ की कहानी बाकी है।

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