किरायेदार ने दिया लंड का मजा-First Time Sex Story

किरायेदार ने दिया लंड का मजा

फर्स्ट टाइम सेक्स स्टोरी की कहानी में एक जवान कुंवारी लड़की उनके घर में आये नए किरायेदार लड़के पर फ़िदा हो गयी. लड़के ने देर ना करते हुए उसकी चूत फाड़ दी।

सुबह के लगभग 10 बजे होंगे। मैं उस दिन अपने ड्राइंग रूम बैठी हुई अख़बार पढ़ रही थी। तभी किसी ने डोर बेल बजा दी। मैं फ़ौरन उठी और दरवाजा खोला तो देखा कि सामने एक मस्त नौजवान लड़का खड़ा है।

एकदम गोरा चिट्टा, घुंघराले बालों वाला, स्मार्ट और हैंडसम यह फर्स्ट टाइम सेक्स स्टोरी की कहानी इसी लड़के के साथ की है मैंने कहा- जी कहिए क्या काम है।

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वह बोला- मैंने आपका TO LET वाला बोर्ड देखा तो मैं आ गया। मेरा नाम समीर अवस्थी है और मैं एक बैंक में काम करता हूँ। मैं अपने लिए एक किराये पर मकान की खोज में निकला हूँ। क्या मैं आपका मकान देख सकता हूँ।

उसकी बात का लहज़ा मुझे बहुत पसंद आया। मैंने उसे अंदर बैठाया और कहा- आप बैठिये, मैं अभी मम्मी को बुला कर लाती हूँ, वही आपसे बात करेंगीं। वह बैठ गया।

मैं अंदर सीधे मम्मी के पास पहुँच गई और बोली- मम्मी एक किरायेदार आया है, चलो बात कर लो। वे बोली- तुम ही कर लो न! लेकिन कह देना कि मैं फैमिली वाले को मकान देती हूँ किसी कुंवारे लड़के को नहीं. फिर जो भी हो, मुझे बता देना।

मैं फ़ौरन वापस आयी और सीधे एक सवाल दाग दिया- भाई साहब, आप अकेले हैं या आपकी फैमिली भी है।

वह बोला- जी, मैं शादीशुदा हूँ, फैमिली वाला हूँ। मेरी बीवी सरकारी ऑफिस में काम करती है। वह भी मेरे साथ आएगी और मेरी माँ भी मेरे साथ है। पर वे लोग अभी नहीं, 3 महीने के बाद ही आ सकेंगें।

मैं यह बात मम्मी को बताने जा ही रही थी कि मम्मी खुद ही आ गयीं। उन्हें देख कर समीर भाई साहब ने फ़ौरन झुक कर मेरी माँ के पैर छुए तो मैं बड़ी खुश हुई। मुझे लगा की आदमी तो बड़ा संस्कारी है।

मम्मी बोली- कोई बात नहीं बेटा, बहू बाद में आ जाएगी। तुम अपना नाम पता ठिकाना फोन नंबर सब लिखवा दो और फिर मकान ऊपर जाकर देख लो। पसंद आये तो फिर बात आगे की जाए। मम्मी ने मुझसे कहा- बेटी जिया, जा इस लड़के को ऊपर का मकान अच्छी तरह से दिखा दे।

दोस्तो, मेरा नाम जिया है मैं 22 साल की हूँ और एम बी ए फाइनल ईयर में हूँ। मेरा कद 5′ 4″ है, रंग गोरा है, मेरे काले घने बाल लम्बे लम्बे हैं मैं छरहरे बदन वाली, खूबसूरत, सेक्सी दिखने वाली हॉट लड़की हूँ।

मेरे बूब्स बड़े भी हैं, सुडौल और आकर्षक भी। मैं अधिकतर स्लीवलेस कपड़े पहनती हूँ। मेरी खुली खुली बाहें बड़ी मनमोहक लगतीं हैं मेरे उभरे हुए हिप्स और मटकती हुई गांड लोगों को बहुत पसंद है।

यह मैं नहीं कह रही हूँ मेरे कॉलेज के सभी लड़के कहते हैं। मेरी जाँघों की गोलाइयाँ तो देखते ही बनती हैं। मैं जब स्कर्ट पहन कर चलती हूँ तो लोगों की नज़रों से बच नहीं पाती। मेरी चूत तो एकदम फ्रेश है, नई ताज़ी है।

मस्त जवान हो चुकी मैं और मेरी चूत भी! उस पर काली काली घनी घनी झांटें बड़ी सेक्सी लगती हैं। मैं उन्हें बस ट्रिम कर लेती हूँ, कभी भी पूरी तरह साफ़ नहीं करती।स्वभाव से मैं चंचल, पढ़ने में अव्वल और शरारत करने में सबसे आगे रहती हूँ।

मुझे खुल कर बातें करना, हंसी मजाक करना और गप्पें मारना खूब आता है कॉलेज में मेरी अपनी एक धाक है जिसे मैं हमेशा बनाकर रखती हूँ। तो फिर दोस्तो, मैं समीर बाबू को ऊपर ले जाकर पूरा मकान दिखाने लगी।

मैं उस समय लो वेस्ट की जींस और टॉप पहने हुए थी। टॉप की भी गाँठ बाँध रखी थी तो मेरी नाभि दिख रही थी और उसके नीचे जींस। जींस इतनी नीची थी कि अगर एक इंच नीचे खसक जाए तो मेरी झांटें दिखने लगेंगी।

लो वेस्ट जींस में मैं बहुत ही हॉट दिख रही थी और मिस्टर समीर की निगाहें या तो मेरे जींस पर थीं या फिर मेरे बूब्स पर बूब्स की झलक उसे इसलिए मिल रही थी कि मैंने उसके नीचे ब्रा नहीं पहना था और दो में से एक बटन खुली हुई थी।

मैं अक्सर घर में रहते हुए ब्रा नहीं पहनती थी। मैंने बड़े प्यार से पूरा मकान दिखाया और उसे पसंद भी आ गया। नीचे आकर उसने मम्मी से कहा- माँ जी मुझे मकान पसंद है।

मम्मी ने कहा- फिर ठीक है बेटा, तुम कल से आ सकते हो। किराया इसका 10000/- रुपया महीना होगा और बिजली का बिल अलग से! ऊपर मीटर लगा है उसका भुगतान तुम्हें करना पड़ेगा।

उसने 10000/- रुपया मम्मी को पकड़ा दिया और कल आने का वादा करके चला गया। जाने क्यों मेरा भी मन था कि वह आकर रहने लगे।

अगले दिन जब उसका सामान आना शुरू हुआ तो मैं सामान की गुणवत्ता देख कर समझ गयी कि इस आदमी की पसंद अच्छी है और यह एक अच्छे घराने का लग भी रहा है।

ख़ैर वह अपना सामान सेट करवाने में लग गया। इसी बीच मम्मी बोली- बेटी जिया, समीर से जाकर कह दो कि वह खाना यहीं खा ले, बाहर न जाये। मैंने यह बात उसे बताई तो वह सच में बहुत खुश हुआ।

उसका सामान सब शाम तक सेट भी हो गया और मम्मी ने उसे रात को भी खाना खिला दिया। अगले दिन सवेरे मम्मी ने मेरे हाथ उसे चाय नाश्ता भिजवा दिया।

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मैं जब नाश्ता लेकर ऊपर पहुंची तब वह नहा धोकर बाथरूम से निकला ही था। मैंने उसे नंगे बदन देखा। उसने केवल एक तौलिया लपेट रखी थी उसकी चौड़ी छाती और छाती पर घने घने बाल सेक्सी लग रहे थे। उसका बदन कसरती बदन था।

मैं समझ गयी कि बंदा जिम जरूर जाता होगा। मुझे देखकर वह बोला- अरे जिया तुम चाय ले आयी हो अच्छा इसे टेबल पर रख दो, मैं अभी आता हूँ। वह अंदर गया और लुंगी बनियान पहन कर मेरे सामने आ गया।

उसने मुझे आधी कप चाय देकर कहा- लो तुम भी मेरे साथ चाय पियो। इतने प्यार से उसने कहा कि मैं मना न कर सकी मुझे उसके साथ चाय पीना बहुत अच्छा लगा।

एक दिन मैं सवेरे सवेरे छत पर चली गयी। गर्मी का मौसम था, ठंडी ठंडी हवा चल रही थी, बड़ा अच्छा लग रहा था। मेरे घर की छत बहुत बड़ी है, चारों तरफ रेलिंग हैं, कोई भी बाहर वाला कुछ देख भी नहीं सकता।

मैंने देखा कि समीर एक कोने में कसरत कर रहा है। मैं दूसरे कोने में खड़ी चुपचाप उसे देखने लगी। वह एकदम नंगे बदन था। सिर्फ अपना लंड छिपाने के लिए उसने एक चड्डी पहन ली थी।

उसकी बॉडी के कट्स बहुत अच्छे लग रहे थे, देखने में बड़े सुन्दर और आकर्षक लग रहे थे। मेरे मन में ख्याल आया कि अगर आज इसने अपनी चड्डी खोली दी होती तो मैं बड़े प्रेम से लंड के दर्शन कर लेती।

जाने क्यों मेरे मन में उसे नंगा देखने की प्रबल इच्छा पैदा हो गयी। मेरे बदन में सुरसुरी होने लगी। मुझे एहसास होने लगा कि मुझे समीर बाबू से प्यार गया है।

मैं उसके नंगे बदन से चिपकना चाहती थी उसके आगे नंगी होना चाहती थी। यह बात मैं किसी से कह भी नहीं सकती थी। जब तक वह कसरत करता रहा और योगा करता रहा तब तक मैं उसे अपलक देखती ही रही।

उसको कतई यह नहीं मालूम हुआ कि मैं उसे देख रही हूँ। मैं 10 बजे कॉलेज पहुंची तो मौक़ा पाकर अपनी सहेलियों से कॉलेज कैंपस में दूर खड़े होकर बातें करने लगी।

मैंने अपने मन की बात सबको बता दिया, पूछा- यार ऐसे में मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। मैं समीर बाबू का लंड देखना चाहती हूँ। सच पूछो तो मैं उससे चुदवाना चाहती हूँ।

एक बोली- तू तो बहुत बोल्ड है यार जिया! तुझे कुछ सोचने की जरूरत है क्या? मौक़ा देख कर अपने मन की बात कह दे उससे और हाथ बढ़ाकर पकड़ ले उसका लंड! तेरे लंड पकड़ते ही वह जोश में आ जायेगा; बुरी तरह उत्तेजित हो जाएगा। फिर तू लंड का मज़ा ले लेना और पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में पेलवा लेना।

दूसरी बोली- मैं तेरी जगह होती तो उससे चुदवा कर ही सबको किस्सा सुनाती। मैंने कहा- यार, मैं थोड़ा डर रही हूँ। तीसरी बोली- डरने की कोई बात नहीं; कंडोम का इस्तेमाल कर लेना बस! या उससे कह देना कि लंड का मक्खन अंदर नहीं बाहर ही निकाल दे।

फिर उसने आगे कहा- यार मुझे ले चल उसके पास, मैं उसका लंड पकड़ कर तेरी बुर में पेल दूँगी। सबने खूब ताली बजा कर ठहाका लगाया।

चौथी बोली- देखो जिया, मौक़ा सुनहरा है। ऐसे में चूकना नहीं चाहिए। अब तुझे लंड की जरूरत है। हम सबको लंड की जरूरत है. मुझे देखो मैं इसी तरह एक नहीं, तीन तीन लंड पकड़ चुकी हूँ और दो से तो खूब झमाझम चुदवा भी चुकी हूँ।

इन सब बातों से मेरा हौसला बढ़ गया। मेरी हिम्मत बढ़ गयी। मैं सोचने लगी कि किस तरह से समीर बाबू का लंड पकड़ा जाए उसके दर्शन किये जायें संयोग बस वह रात पूर्णमासी की रात थी यानि फुल मून नाईट।

रात के 10 बज गये थे, मम्मी जी सो गयीं थीं लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं उठ कर अचानक छत पर चली गयी। चांदनी रात बड़ी अच्छी लग रही थी। ठंडी ठंडी हवा चल रही थी।

मैं उसी का मज़ा लेने लगी। जब मैं पीछे मुड़ी तो देखा समीर खड़ा है। मुझे देख कर वह बोला- अरे जिया, क्या नींद नहीं आ रही है तुमको मैंने कहा- हां पता नहीं नींद क्यों नहीं आ रही।

उसने मुझे अपनी बाँहों में भर कर कहा- अरी पगली, मुझे भी नींद नहीं आ रही है। मैंने जब से मुझे देखा है तबसे नींद नहीं आ रही है मुझे! मैं रोज़ रात को बड़ी देर तक जगता रहता हूँ।

उसने मेरी चुम्मी ले ली और मैं भी उसके बदन में समा गयी। वह मेरे बदन पर हाथ फिराने लगा और मैं उसके बदन पर धीरे धीरे उसका हाथ मेरी चूचियों पर चला गया तो मेरा हाथ भी उसका लंड टटोलने लगा।

उसने मेरी चूचियाँ दबा दीं तो मैं सिहर उठी। उसने झुक कर मेरी चूचियाँ चूम ली, मेरे निप्पल को भी चूमा और फिर से चूसने लगा मेरे मस्ताने बूब्स मैं निढाल हो गयी।

मुझे उसका मुझे छूना और मेरी चूचियाँ मसलना बहुत अच्छा लग रहा था। मैं चाहती थी कि बड़ी देर तक वह ऐसा ही करता रहे, मुझे अपनी बाहों में ही भरता रहे। फिर मैंने भी उसका लंड ऊपर से ही दबा दिया।

मैंने बड़ी बेशरमी से उसका इलास्टिक का पजामा नीचे घसीट दिया तो उसका लंड टनटना कर मेरे आगे खड़ा हो गया। मेरे मुंह से अनायास ही निकला- हाय दईया, ये तो पहले से ही खड़ा है।

मैंने मस्ती से उसका लंड पकड़ लिया। उसने पूछा- क्या है यह जिया मैं समझ गयी कि यह मेरे मुंह से क्या कहलवाना चाहता है। तो मैं थोड़ा चुप रही उसने दुबारा पूछा।

तब मैंने बड़े प्यार से कहा- लंड है ये समीर बाबू इसे लंड कहते हैं लंड उसने मुझे खूब कस के चूमा और अपने गले से लगा लिया। मैं भी मस्ती से चिपक गयी।

वहीं एक स्टूल पड़ा था, मैं उस पर बैठ गयी तो लंड बिल्कुल मेरे मुंह के सामने आ गया। मैंने उसकी चुम्मी ली कई बार ली और उसका टोपा खोल कर चाटा।

फिर मैंने एक हाथ से पेल्हड़ थाम कर दूसरे हाथ से लंड मुट्ठी में ले लिया और आगे पीछे करने लगी। लंड और कड़क होने लगा लंबा और मोटा होने लगा। मैं थोड़ी देर तक लंड चूमती और चाटती रही; फिर उसे मुंह में भर लिया और अंदर ही अंदर टोपा के चारों ओर जबान घुमाने लगी।

उसे मज़ा आने लगा और वह सिसयाने लगा। मैंने पहले बार कोई लंड पकड़ा तो मैं बहुत ही उत्तेजित थी। मैंने लंड को अपने माथे से लगाया, अपनी आँखों पर घुमाया, अपनी नाक पर लंड रगड़ा, अपने गालों पर फिराया और होंठों पर रख लिया लंड।

मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने जी भर के लंड को प्यार किया, चुम्मी चुम्मी ले ले कर पुचकारा और फिर मजे से चूसने लगी लंड कुछ देर बाद मैंने लंड का मुठ मारना शुरू कर दिया।

मुझे मालूम था कि मुठ कैसे मारा जाता है क्योंकि यह सब मैंने पोर्न से सीखा था अन्तर्वासना की कहानियों में भी पढ़ा था। इतने में उसने लंड पूरा मेरे मुंह में घुसा दिया मेरा सिर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और लंड अंदर बाहर करने लगा।

धीरे धीरे वह स्पीड बढ़ाने लगा। मैं समझ गयी कि अब यह मेरे मुंह को चूत समझ कर चोद रहा है मुझे भी मज़ा आने लगा तो मैंने कुछ कहा नहीं, रोका नहीं उसे और उसे करने दिया।

वह स्पीड बढ़ाता गया और मैं साथ देती गयी। फिर अचानक उसने लंड बाहर निकाल लिया। मैंने फिर उसे मुट्ठी में लिया और मुट्ठ मारने लगी, जल्दी जल्दी लंड आगे पीछे करने लगी। वह भी मस्ती में आ गया।

उसे मज़ा आने लगा तो वह सिसियाने लगा, बोला- हां हां जिया और तेज करो अच्छा लग रहा है हां हो आ हूँ उऊ हो हां हां ये हो हो आ हूँ आऊं हूँ हूँ वो हाय रे और तेज करो जल्दी करो जिया तुम बहुत अच्छी हो वाह क्या बात है हां ऊँ हो हो ही ऊँ ओ हो मैं निकलने वाला हूँ।

मैं भी बोली- वाओ क्या मस्त लौड़ा है, बड़ा प्यारा लौड़ा है यार तेरा, बड़ा शानदार लौड़ा है। हाय रे लंड बाबा, अब तू निकाल दे माल मैं उसे पूरा पी जाऊंगी। फिर क्या लंड ने उगल दिया सारा वीर्य मेरे मुंह में और मैं उसे गटक गयी फिर लंड का टोपा चाटने लगी।

अगले दिन रविवार था। मम्मी दिन भर के लिए अपने मायके चली गयी थी और मैं घर पर अकेली ही थी। मैंने कहा- समीर बाबू, आप बाहर कहीं मत जाइयेगा मैं आपके लिए लंच बना रही हूँ। आप 12.30 बजे आ जाइयेगा।

मैं 15 मिनट पहले ही खाना बनाकर मेज पर रख चुकी थी। उस समय मैं गाउन पहने हुए थी, उसमें बटन नहीं थे, सिर्फ एक फीता लगा हुआ था। मैंने बीच में फीता बांध लिया तो मेरा बदन ढक गया था।

समीर बाबू सही टाइम पर आ गए। मैंने बड़े आदर और प्यार से उसे बैठाया। वह मुझे बड़े गौर से देखने लगा, बोला- तुमने तो बहुत जल्दी खाना बना दिया जिया मैंने कहा- मुझे टाइम पर काम करना अच्छा लगता है।

वह उठा और मुझे अपनी बाहों में भर लिया, बोला- जिया, जाने क्यों मुझे तुम पर बड़ा प्यार आ रहा है। मैं तुम्हें तहे दिल से चाहने लगा हूँ। मैंने कहा- मुझे छोड़ो न  पहले खाना तो खा लो नहीं तो ठंडा हो जायेगा।

उसने कहा- आज तो मैं कुछ करने के बाद ही खाना खाऊंगा। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, बहुत प्यारी लगती हो जिया ऐसा कहते कहते उसने आहिस्ते से मेरे गाउन का फीता खोल डाला तो मेरी चूचियाँ एकदम नंगी नंगी उसके आगे छलक पड़ीं।

वह मेरी चूचियाँ चूमने लगा चूसने लगा और साथ साथ अपना हाथ मेरे कमर में डाल दिया। गाउन खुलने से मैं पूरी तरह नंगी हो चुकी थी। उसकी उंगलियां मेरी झांटों से होती हुई मेरी चूत तक पहुँच गयी।

वह बोला- वॉवो क्या मस्तानी चूत है तेरी जिया! आज मैं नहीं रुक सकता। उसने मुझे गोद में उठा लिया और बेड पर पटक दिया, मेरा पजामा खोल डाला। मैं पूरी तरह नंगी हो गयी।

मेरी छोटी छोटी झांटों वाली चूत उसके सामने खुल गयी। फिर मैंने भी बड़ी बेशर्मी से उसका पजामा खोल कर उसे भी पूरा नंगा कर दिया। मैं भी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी।

मैंने अपने बालों का जूड़ा बनाया और उसे चित लिटा कर उसके ऊपर चढ़ कर अपनी चूत उसके मुंह पर रख दिया। मैं झुक कर चाटने लगी उसका लंड और वह चाटने लगा मेरी बुर!

हम दोनों 69 हो गए और वासना में पूरी तरह डूब गए। गर्म मैं भी हो चुकी थी गर्म वह भी हो चुका था। न वह रुक सकता था और न मैं रुक सकती थी। फिर क्या उसने मुझे धीरे से नीचे लिटाया, मेरी गांड के नीचे एक तकिया लगा दी तो मेरी चूत थोड़ा ऊपर उठ गयी।

वह अपना लंड मेरी चूत पर रख कर रगड़ने लगा, मुझे एक नए तरह का मज़ा आने लगा। लंड उसका भी गीला था चूत मेरी भी गीली थी। रास्ता साफ़ नज़र आ रहा था। उसने गच्च से लंड पेला तो लंड सरसराता हुआ अंदर घुसने लगा।

मुझे थोड़ा दर्द तो हुआ, मैं चिल्ला पड़ी- उई माँ मर गयी मैं फट गयी मेरी चूत बड़ा मोटा है तेरा लंड समीर बाबू थोड़ा रहम कर हाय रे मैं तो मर जाऊँगी मैं कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहूंगी। ये क्या हो गया तुमने तो पूरा लंड एक ही बार में घुसा दिया।

लेकिन जब लंड बार बार अंदर बाहर हुआ तो मज़ा आने लगा। मैं भी एन्जॉय करने लगी और उसका साथ देने लगी। आज पहली बार मुझे एहसास हुआ कि चुदाई कितनी अच्छी होती है। कितनी मजेदार होती है चुदाई।

वह भी मस्त होकर चोदने लगा और मैं भी अपनी कमर हिला हिला कर चुदवाने लगी।

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मेरे मुंह से कुछ न कुछ अपने आप ही निकलने लगा- हाय दईया बड़ा मज़ा आ रहा है ओ हो हां हां ऐसे ही चोदे जाओ पूरा पेल दो लंड हां हां वाह ऐसे ऊँऊहूँ ऊँ ऊँ हां हाय बहुत बढ़िया लग रहा है, मज़ा आ रहा है यार! मुझे ऐसे ही चोदते रहना क्या बात है मैं आज पहली बार चुद रही हूँ। पहली ही बार में इतना मज़ा वॉवो।

यह सब करते करते उसे भी मज़ा आया मैं चरम सीमा में पहुँचने वाली ही थी बल्कि मैं खलास भी हो गयी थी। मेरी चूत ढीली हो गयी थी। तब उसने भी अपना लंड बाहर निकाला और मुझे पकड़ाकर बोला- लो इसका मुट्ठ मार दो जिया!

मैंने जैसे ही मुट्ठ मारा तो लंड ने मेरे मुँह में सारा वीर्य उगल दिया जिसे मैं बड़े मजे से चाट गयी उसने मुझे बड़े प्यार से चिपका लिया। मुझे वह पहली चुदाई आज भी याद है।

उसकी फैमिली आने के पहले मैंने उससे 4-5 बार चुदवाया और खूब एन्जॉय किया। तो दोस्तो, आपको कैसी लगी यह मेरी यह सेक्स की कहानी। बताइयेगा जरूर।

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