जीजा ने करदी बुर फाड़ चुदाई-Jija Sali Ki Chudai

जीजा ने करदी बुर फाड़ चुदाई

मेरा नाम निशा है मैं 23 साल की हूँ हाइट 5’5 मीडियम बॉडी अविवाहित रंग थोड़ा सांवला लेकिन सेक्सी हूँ मैं पुणे में जॉब करती हूँ और घर में मेरे साथ मेरी 2 बड़ी बहनें एक भाई और जीजा के साथ रहती हूँ।

मेरी बड़ी बहन की शादी को 2 साल हो चुके थे उसकी अपने सास से नहीं जमती थी इसलिए वो और जीजा हमारे साथ ही रहते थे दूसरी बहन प्रिया अविवाहिता थी जो महापालिका में जॉब करती थी और भाई कॉलेज जाता था।

दीदी-जीजाजी को हमारे एक साथ रहते हुए अब 4-5 महीने हो चुके थे सब कुछ ठीक चल रहा था जीजाजी को हम बहुत इज्जत देते थे और उन्हें भाई मानते थे वो भी हमें बहन समझते थे ऐसे ही अच्छे दिन चल रहे थे और एक दिन स्नेहा ने हम सबको बताया कि वो प्रेगनेंट है उसकी इस बात से हम सब बहुत खुश हो गए और उस रात हमने बड़ी पार्टी की और खूब एंजाय किया।

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दो महीने ऐसे ही चले गए लेकिन 2 महीने के बाद हमने देखा कि जीजा और दीदी के बीच छोटी-छोटी बात पर बार-बार झगड़े होते रहते थे लेकिन वो हमें झगड़े की वजह ही नहीं बताते थे ऐसे ही 10-12 दिन चले गए एक दिन दोपहर को मैं और स्नेहा घर पर अकेली ही थी वो किचन में काम कर रही थीं तो मैंने देखा कि स्नेहा की आँखों में आँसू थे।

मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ वो और ज़्यादा रोने लगीं मैं उसे बेडरूम में ले गई और फिर से पूछा- क्या हुआ तो वो बोली- कुछ नहीं मैं समझ गई कि वो मुझसे कुछ छुपा रही है मैंने उसे बहुत बार पूछा तो वो रोते हुए बोली- इनका बाहर किसी लड़की के साथ चक्कर चालू है।

यह सुन कर मैं तो शॉक हो गई क्योंकि मैं जीजा को एक बहुत अच्छा आदमी समझती थी स्नेहा आगे बोली कि उसे चौथा महीना चालू हुआ है इसलिए डॉक्टर ने उसे सेक्स के लिए मना किया है लेकिन तेरे जीजा सेक्स के बिना नहीं रह पाते और सेक्स के लिए मुझ पर जबरदस्ती की कोशिश करते थे। 

लेकिन मैं अपने बच्चे को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती इसलिए उन्हें हमेशा मना करती हूँ इसी कारण उन्होंने अपनी वासना को मिटाने के लिए उस लड़की के साथ चक्कर शुरू किया है मुझसे ये सब देखा नहीं जाता ये कह कर दीदी फूट-फूट कर रोने लगीं मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। 

मैंने स्नेहा दीदी से कहा- तू शांत हो जा मैं जीजा से बात करती हूँ तो स्नेहा रोते हुए बोली- उससे कुछ फ़ायदा नहीं होगा वो बोलते हैं कि अगर तू चाहती है कि मैं उस लड़की का चक्कर छोड़ दूँ तो निशा और प्रिया में से किसी एक को मुझे सॅटिस्फाई करने को बोल।

यह सुनकर मेरे तो होश उड़ गए क्योंकि मैं तो जीजा को अपना भाई और बहुत अच्छा समझती थी स्नेहा तो अब बहुत ज़्यादा रो रही थी और मुझे बोल रही थी- प्लीज मेरी मदद करो मैंने उसे शांत होने को कहा और पूछा- स्नेहा मैं तेरी किस तरह से मदद कर सकती हूँ।

तो वो बोली- तू हमेशा अपने बहन को खुश देखना चाहती है ना तो तू प्लीज अपने जीजा को सॅटिस्फाई कर दे मैंने बीच में ही बात काट दी और बोली- स्नेहा तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया है यह तू मुझे क्या करने को बोल रही है और मैं गुस्से से दूसरे रूम में चली गई।

लेकिन 2 घन्टे हो गए तब भी स्नेहा जोर से रोती ही जा रही थी मैं फिर से उसके पास जाकर उसे शांत करने लगी तो वो मुझे अपनी बांहों में लेकर और रोने लगी और बोल रही थी- प्लीज मेरी मदद कर मैंने उसकी तरफ देखा और उसका चेहरा देख कर मुझे बहुत तरस आया मेरे भी आँसू निकल पड़े और उसे बोल दिया- तेरी खुशी के लिए मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ।

यह सुनकर वो शांत हो गई और थोड़ा खुश हो गई मैंने बोल तो दिया था लेकिन अब मुझे बहुत डर लग रहा था पता नहीं कि अब जीजा मेरे साथ क्या-क्या करेंगे और अगर किसी को पता चला तो वो दिन तो चला गया दूसरे दिन सुबह मैं ऑफिस जा रही थी तो स्नेहा मेरे पास आकर बोली- परसों बुधवार है तुम ऑफिस से छुट्टी ले लेना।

मैंने पूछा- क्यों तो वो बोली- बाद में बताती हूँ मैं जल्दी में थी इसलिए मैंने ज्यादा सवाल नहीं किए रात को मैंने स्नेहा को छुट्टी का कारण पूछा तो वो बोली- कल बताती हूँ और दूसरे दिन रात को मैंने फिर उससे पूछा तो वो बोली- कल तुम्हारे जीजू भी छुट्टी लेने वाले हैं।

यह सुन कर मैं समझ गई कि कल मुझे जीजा के साथ सेक्स करना पड़ेगा मैंने सिर्फ़ हां बोला और मैं अपने रूम में जाकर सोने की कोशिश करने लगी बहुत देर तक मैं ‘कल क्या होगा इसके बारे में सोच रही थी और मुझे बहुत डर लग रहा था इसी बीच मैं कब सो गई.. कुछ पता ही न चला।

सुबह स्नेहा ने मुझे जल्दी उठाया। मैं नहाने जा रही थी तभी स्नेहा ने मुझे शेविंग रेज़र दिया और धीरे से कहा- अपनी चूत एकदम चिकनी बना लेना मैंने चुपचाप वैसा ही किया मैं जब नहा कर बाहर आई तो जीजा अचानक मेरे सामने आ गए मैं चौंक गई जीजा के प्रति अब मेरे मन से सम्मान खत्म हो चुका था।

वो मुझे वासना भरी नज़र से घूर रहे थे और मैं नजर झुका कर वहाँ से स्नेहा के पास गई और रोने लगी मैंने उससे कहा- मुझे बहुत डर लग रहा है ये सब मुझसे नहीं होगा तो स्नेहा बोली- इसमें डरने की क्या बात है तुझे भी बहुत मजा आएगा और जीजा बड़े प्यार से तेरी इज़्ज़्त लूटेंगे प्लीज अब ये रोना बन्द कर नहीं तो प्रिया और भाई को कोई शक हो जाएगा।

मैं चुपचाप बैठी रही स्नेहा मुझे समझा तो रही थी लेकिन उसके चेहरे पर मेरी फ़िकर साफ दिख रही थी आधा घन्टे के बाद प्रिया ऑफिस चली गई और भाई भी कॉलेज गया और घर में हम तीन लोग ही रह गए तभी जीजा रूम में आकर स्नेहा से बोले- जल्दी से इसे रेडी कर दो अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है और वो मेरी तरफ देख कर हंसने लगे।

तो स्नेहा बोली- आप बाहर जाओ मैं अभी इसको पूरी तरह से रेडी करती हूँ मैंने देखा कि स्नेहा अल्मारी से अपनी शादी के कपड़े जेवर चूड़ियाँ सब निकाल रही थी तो मैंने पूछा- ये सब किसलिए तो वो बोली- निशा तू कुंवारी है ना इसलिए जीजा तुझे नई दुल्हन की तरह सजा कर तेरी इज़्ज़्त लूटना चाहते हैं।

ऐसा कह कर दीदी ने रूम का दरवाजा बंद कर किया और मुझे वो साड़ी पहनाई फिर हाथ में बहुत सारी हरे रंग की चूड़िया पैर में बजने वाली पायलें फिर वो मेरा बाकी का मेकअप करने लगी सब होने के बाद मैंने आईने में देखा तो मैं एकदम नई दुल्हन की तरह लग रही थी। 

फिर स्नेहा ने जल्दी से बिस्तर के ऊपर वाइट कलर का बेडशीट डालकर उस पर गुलाब के थोड़े फूल फैला दिए और रूम में सेंट स्प्रे कर दिया ऐसा नजारा मैंने फिल्मों में सुहागरात के सीन में देखा था और मुझे भी स्नेहा ने सुहागरात के लिए तैयार दुल्हन की तरह सजाया था।

अभी भी मुझे बहुत डर लग रहा था। मैंने स्नेहा से पूछा कि तुमने भी छुट्टी ली है ना तो उसने कहा- मैं यहाँ रुक कर क्या करूँगी तुम दोनों आज राजा-रानी की तरह एंजाय करो और प्लीज निशा जीजा को खुश करने में कोई कसर ना छोड़ना मैं ऑफिस जा रही हूँ और घर का दरवाजा बाहर से लॉक कर रही हूँ ताकि कोई भी तुम्हें डिस्टर्ब ना करे।

मैं भी डर कर घर के दरवाजे तक स्नेहा के पीछे गई तो वहाँ जीजाजी खड़े थे वो मुझे देख कर वो चौंक गए और मेरी सजी हुई जवानी देखते रहे। मैं स्नेहा को लॉक करते जाते देखते रह गई और दरवाजा पकड़ के वहीं खड़ी रही तभी मैंने महसूस किया कि जीजाजी मेरे पीछे आकर खड़े हो गए हैं। 

अगले ही क्षण उन्होंने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और सुहागरात जैसे सजे बेडरूम में लाकर मुझे बेड पर बिठा दिया अब जीजा जी खुद भी बाजू होकर अपनी शर्ट और फिर बनियान उतारने लगे मैंने घड़ी मैं देखा तो दस बज रहे थे स्नेहा और बाकी सब लोग तो शाम को 6 बजे के बाद ही आते हैं। 

मैं बहुत डरी हुई थी और सोच रही थी कि पता नहीं इतनी देर जीजाजी मेरे साथ क्या-क्या करेंगे फिर वो बिस्तर पर मेरे पास आए और उन्होंने मेरे बाल खोल दिए फिर साड़ी का पल्लू गिरा दिया मैं अपना सिर नीचे करके चुपचाप बैठी थी फिर उन्होंने मुझे पकड़ कर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए।

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अब जीजाजी बोले- कितने दिनों से तेरी जवानी का मजा लेने का सपना देख रहा था आज वो पूरा हो रहा है फ्रेंड्स मुझे बहुत डर लग रहा था लेकिन मैंने भी चुदाई के विषय में पढ़ा और जाना था कि ये मजेदार होता है। 

बस इस वक्त जीजा जी के साथ चुदाई करने में कुछ असहज सी महसूस कर रही थी वो पागलों की तरह मुझ पर टूट पड़े और मेरे सिर गालों पर और होंठों जोर-जोर से चूमने लगे मुझे ये सब बड़ा ही अजीब लग रहा था लेकिन मैं चुपचाप पड़ी रही लगभग 15 मिनट तक वो मेरे साथ वैसे ही चूमा-चाटी करते रहे। 

फिर उन्होंने धीरे से अपना एक हाथ मेरे ब्लाउज के अन्दर डाल दिया और मेरे मम्मों को धीरे-धीरे दबाने लगे इससे मुझे बहुत अजीब लगने लगा और मैंने उनको थोड़ा धक्का देकर उन्हें अपने ऊपर से बाजू कर लिया।

मैं बोली- जीजाजी ये सब मुझसे नहीं होगा मैं तो आपको अपना भाई मानती हूँ प्लीज ये सब मुझसे नहीं होगा तो जीजाजी थोड़े गुस्से से बोले- क्या प्राब्लम है यार जीजा और साली का रिलेशन अलग ही होता है साली तो आधी घरवाली होती है तो वो भाई-बहन कैसे बन सकते हैं। 

तुम्हें कुछ नहीं करना है तो ठीक है मैं जाता हूँ उसी लड़की के पास मुझे तो लग रहा था कि यहाँ से निकल जाऊं लेकिन तभी मुझे स्नेहा का रोता हुआ चेहरा याद आया और मैं चुपचाप बेड पर लेट गई अब मैं थोड़े गुस्से से ही बोली- ठीक है जो करना है कर लो।

जीजाजी फिर से मेरे ऊपर लेट गए और मुझे चूमते हुए ही एक हाथ से मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगे शायद 5 मिनट के बाद उनका मन दूध दबाने से भर गया तो उन्होंने मुझे उठाया और बिस्तर पर ही खड़ा कर दिया वो खुद घुटनों के बल बैठ गए मैंने देखा कि मेरी साड़ी का पल्लू उनके हाथ में था। 

इससे मैं समझ गई कि अब वो मेरी साड़ी उतारने वाले हैं यही हुआ दूसरे ही क्षण उन्होंने धीरे-धीरे मेरी साड़ी को खोल दिया और मेरे पेटीकोट में अन्दर हाथ डाल कर मेरी जाँघों तक हाथ को ले जाकर सहलाना शुरू कर दिया इससे मुझे एक अजीब सी सिहरन होने लगी।

फिर जीजा जी ने मेरे पेटीकोट के नाड़े को पकड़ा और एकदम से खींच दिया पेटीकोट मेरी टांगों से नीचे गिरा गया और मैं नीचे सिर्फ पेंटी में रह गई मैंने लज्जा से अपना हाथ अपनी पेंटी पर बुर के ऊपर रख लिया तभी जीजाजी बेड पर खड़े हो गए और मुझे बांहों में भर कर मेरे होंठों को चूमने लगे। 

फिर उन्होंने मेरे ब्लाउज के बटन खोल कर उसे अलग कर दिया इसके बाद उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद पलंग से नीचे होकर अपना कच्छा उतारने लगे अगले ही पल जीजाजी बिलकुल नंगे हो गए और उनका मोटा लम्बा लंड नब्बे डिग्री का कोण बनाता हुआ मेरी तरफ गुर्राने सा लगा।

जीजाजी ने लंड को हाथ से पकड़ कर मुठियाया और बोले- देख तेरी सील तोड़ने का औजार कितना बेकरार है मैंने आँखें बंद कर लीं तो जीजा जी मेरे साथ लेट गए अब उन्होंने मुझे अपनी बांहों में खींच कर मेरी पीठ पर हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे कबूतर खुल्ला हो गए।

जीजाजी ने मुझे सीधा लिटाया और अपने मुँह से मेरे एक निप्पल को चूसना शुरू कर दिया मेरी सिसकारी निकल गई अब मुझे कुछ-कुछ मजा सा आने लगा था हालांकि अब भी मेरा मन डरा हुआ था जीजाजी ने मेरे दोनों दूध खूब चूसे जिससे मेरी बुर ने भी पानी छोड़ दिया था। 

तभी जीजा जी ने एक हाथ मेरी पेंटी पर फेरा और पेंटी पर गीलेपन का अहसास होते ही वो मुस्कुरा उठे और उन्होंने मेरी पेंटी के अन्दर हाथ डाल कर मेरी बुर को सहला दिया मेरी सिहरन एकदम से बढ़ गई और मैं रोने लगी जीजा जी बोले- रो क्यों रही हो आज नहीं तो कल तुमको चुदना तो था ही बस लंड का फर्क है कोई और लंड तुम्हारी बुर को चोदे या मैं चोदूं इससे क्या फर्क पड़ता है।

मैं कुछ नहीं बोली और चुपचाप पड़ी रही अब जीजाजी ने नीचे को होकर मेरी नाभि को चूमा और अपने हाथ से मेरी पेंटी को नीचे खींच दिया और अपने एक हाथ से उसे बाहर निकाल कर फेंक दिया मेरी चिकनी बुर उनके लंड के शिकार के लिए उनके सामने रोते हुए आँसू रही थी।

जीजा जी ने बुर की दरार में उंगली लगाई और गच से अन्दर घुसेड़ दी आह्ह करके मेरी चीख निकल गई और जीजाजी हंस दिए मानो उन्हें पता चल गया हो कि एक सील पैक बुर ही उनके सामने थी जीजा जी मेरी बुर पर अपनी जीभ लगा दी और बुर को चूसना शुरू कर दिया।

उनकी जीभ के स्पर्श से मेरी बुर एकदम से कंपकंपा सी उठी और मेरी टांगें बरबस सिकुड़ने लगीं लेकिन जीजा जी ने अपने हाथ से मेरी टांगों को पकड़ रखा था कुछ देर तक बुर को चूसने के बाद मेरी बुर भी मानो राजी हो चली और मैंने पैरों को थोड़ा और खोल दिया।

अब जीजा ने मेरी बुर के दाने को अपने होंठों में पकड़ कर खींचा तो मैं मन ही मन उत्तेजना से भर उठी और पता नहीं कैसे मेरी गांड ने उचक कर जीजा के मुँह में बुर को दबा दिया करीबन पांच मिनट में ही मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया और मैं निढाल हो गई।

अब जीजा जी ने मेरी बुर को चूसना छोड़ दिया और मेरे मुँह की तरफ लंड करके नीचे खड़े हो गए मेरी आँखें मुंदी हुई थीं तभी उनके लंड का अहसास मुझे अपने होंठों पर हुआ मैं डर गई मैंने आँखें खोल कर उनसे कुछ कहने के लिए मुँह खोला तो उनके लंड का सुपारा मेरे मुँह में घुस गया।

मैंने मुँह घुमाया तो उन्होंने मेरे गालों को पकड़ लिया और न चाहते हुए भी मुझे उनका लंड चूसना पड़ा काफी देर से उनका लंड तनतनाया हुआ था तो मेरे मुँह की गर्मी पाकर अगले ही पल लंड ने मेरे मुँह में पानी निकाल दिया।

मैंने खांसा और उनका माल थूकने को हुई तो जीजा जी ने मेरे मुँह पर अपना मुँह लगा दिया मैंने उनके लंड का माल उनके मुँह में ठेला तो उन्होंने वापस माल को मेरे मुँह में कर दिया कुछ ही पलों में मेरे गले में उनका माल जा चुका था हम दोनों ही एक-एक बार स्खलित हो चुके थे।

लगभग पांच मिनट तक जीजा जी यूं ही मुझसे लिपटे पड़े रहे फिर वो मुझे अपनी गॉड में उठा कर बाथरूम ले गए वहां शावर चला कर उन्होंने मुझे खुद से चिपका कर खूब नहलाया उधर ही तौलिया से मेरे शरीर को पोंछ कर बोले तुम पलंग पर जाकर लेटो मैं अभी आकर तेरी सील तोड़ता हूँ।

मैं फिर डर गई और जाकर बेड पर लेट गई। एक मिनट जीजा जी वापस अन्दर आए और अब मुझे कुछ खुशबू सी आ रही थी उन्होंने लंड को मेरे मुँह की तरफ किया तो मुझे लगा कि उन्होंने अपने लंड में कोई सेंट लगाया है बाद में मुझे मालूम हुआ कि देर तक चुदाई करने वाला कोई स्प्रे था।

मैंने मुँह फेर लिया तो उन्होंने मुझसे कहा- अच्छा इसे हाथ से सहला तो दो जबरन उन्होंने मेरे हाथ में अपना लंड थमा दिया और अपने हाथ को मेरे हाथ पर रख कर लंड को हिलवाने लगे कुछ ही देर में लंड खड़ा हो गया और वे मेरी टांगों के बीच में आ गए।

अब मैंने आँखें खोल लीं क्योंकि मुझे बहुत अधिक डर लग रहा था और साथ ही मैं बुर को अपने पैरों से छुपाने की कोशिश कर रही थी तभी जीजाजी ने मेरे पैरों को फैलाया और लंड को मेरी बुर के मुहाने पर टिका दिया। लंड का स्पर्श होते ही मेरी घिग्घी सी बंध गई पर मैं बेबस थी।

फिर जीजा जी ने अपने लंड के सुपारे को मेरी बुर की दरार में ऊपर से नीचे तक फेरा तो मुझे मजा तो आया पर इस वक्त मुझे बहुत डर लग रहा था इसलिए मैं घबरा रही थी जीजा जी मेरे ऊपर झुक कर मेरे होंठों को चूमा और कहा- डरना मत.. कुछ नहीं होगा बस थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन फिर मजा भी बहुत आएगा।

उनकी इस बात से मुझे लगा कि जीजा को प्यार से चोदना भी आता है और मुझे कुछ राहत भी मिली इसके बाद उन्होंने मेरी चुची चूसीं तो मुझे हल्का सा मजा आया और उसी वक्त मुझे लंड बुर में हरकत करते सा महसूस हुआ तभी जीजा जी ने थोड़ा सा लंड को सैट करते हुए मेरे होंठों पर अपने होंठ जड़े और लंड को झटका दे दिया।

उनके इस झटके से लंड का सुपारा मेरी बुर में पेवस्त हुआ ही थी कि मुझे लगा कि कोई दहकता अंगारा मेरी बुर में घुस गया हो मेरी चीख निकलने को हुई पर जीजा ने मेरे मुँह को बंद कर रखा था तो मैं छटपटाने लगी। 

इसी बीच जीजाजी ने एक बार और प्रहार किया तो लगभग आधा लंड बुर में घुसता चला गया मैं इस बार बेहोश सी हो गई और तभी जीजा जी ने पूरा लंड बुर में घुसेड़ दिया मुझे कुछ गीला सा लगा मगर मैं जीजा के लंड के नीचे दबी हुई छटपटा रही थी तो मुझे अहसास ही नहीं हुआ कि मेरी बुर ने खून उगल दिया है।

खैर दर्द होता रहा और जीजा मेरे ऊपर चढ़े मुझे चोदते रहे कब चुदाई का दर्द मजा में बदल गया मुझे होश ही नहीं रहा और मैं भी पूरी ताकत से अपनी गांड उछालते हुए जीजाजी का लंड अपनी बुर में लेने लगी।

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फिर अचानक ऐसा लगा कि मैं एकदम से अकड़ सी रही हूँ मुझे मजा का अतिरक्त अनुभव होने लगा और मैंने अपनी बुर से कुछ निकलता सा महसूस किया इसी के साथ मैं ढीली हो गई पर जीजाजी मुझे रौंदते रहे उम्म्ह अहह हय याह और कुछ ही धक्कों बाद मैं फिर से गरम हो कर उनके धक्कों का जबाव अपनी गांड उछाल कर देने लगी।

लगभग दो या तीन मिनट में ही एकदम से मानो जलजला सा आ गया और जीजाजी और मैं एक साथ झड़ते हुए एक-दूसरे की बांहों में लिपट गए जीजा जी ने मुझे चोद दिया था मेरी सील तोड़ दी थी अब जीजा जी को किसी और लड़की की बुर के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता था। 

रात को बिस्तर पर हम दोनों चुदाई का खेल खेलते थे और दीदी सामने बैठी अपनी बुर में उंगली करते हुए हम दोनों की चुदाई देखती रहती थीं मेरा जीजा बहुत ही मादरचोद किस्म का इंसान निकले उन्होंने मेरी सील तोड़ने के बाद कुछ ऐसा भी किया जो मैं आपको अपनी अगली कहानी में लिखना चाहती हूँ।

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