नौकरानी की गांड में दिया मोटा लंड-Nokrani Ki Chudai

नौकरानी की गांड में दिया मोटा लंड

नौकरानी की चुदाई कहानी सब्जी बेचने वाली एक सेक्सी लेडी की है उसने सब्जी का काम बंद किया तो मैंने उसे अपने घर के काम के लिए रख लिया नमस्कार, मैं राकेश उम्र 32 वर्ष इंदौर से आपके सामने हाजिर हूँ।

मैं topcityescort.com का बहुत पुराना पाठक हूँ बहुत दिनों से अपने मन की बात लिखना चाहता था मगर आज बहुत कोशिश करने बाद लिख पाया हूँ प्रिय पाठको इस साइट से सिर्फ सेक्स कहानी पढ़ कर मज़ा लेना ही नहीं अपितु यहां आप सभी अपने विचार मन की सोच सेक्स से मज़े लेने के तरीके आदि भी साझा कर सकते हैं

मेरी नौकरानी की चुदाई कहानी का मजा लें मैं आपको अपना नाम बता चुका हूं मैं एक कम्पनी में नौकरी करता हूँ आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि मैं एक सामान्य शरीर का 5 फीट 8 इंच का युवक हूँ।

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मुझे बड़ी उम्र की औरतों में ज्यादा ही दिलचस्पी है खासकर औरतों की चूत चाट कर निकली हुई मलाई खाने में मुझे बड़ा मजा आता है क्या मस्त झाग आता है यार एकदम गाढ़ी गाढ़ी मलाई खाने में जिसने भी ये स्वाद लिया होगा वही जान सकता है।

हुआ यह कि मैं अपने ऑफिस से निकल कर बाइक से जाता था रास्ते में एक छोटा सा सब्जी का बाजार आता है रोज वहां से मैं ताज़ी सब्जियां ख़रीद लाता था मैंने एक सब्जी की दुकान भी फिक्स कर रखी थी जिसको एक कांटा औरत चलाती थी उसका नाम रेखा था। 

वो मस्त एकदम गदरायी हुई 35-38 साल की गोरी औरत थी मैं उसके पास जाता और वो ताज़ी सब्जी निकाल कर हाथ में दे देती मैं उसके दूध देखता हुआ उसे पैसे देकर चला जाता था एक दिन मैं उसके पास से सब्जी लेने गया तो उसके पास दो दिन पुरानी सब्जियां ही थीं।

तो उसने सब्जी देने से मना कर दिया मैं दूसरी जगह से सब्जी लेकर वापस आ गया मैं दूसरे दिन भी गया तो फिर वही पुरानी सब्जी थीं मतलब ताज़ी सब्जी नहीं थीं उसने बोला- ताजी नहीं हैं इस तरह 4 दिन हो गए आखिर मैंने उससे पूछ ही लिया- भाभी अब ताजी सब्जी क्यों नहीं रख रही हो।

तो उसने बताया- क्या करूं सब्जी मंडी से ताजी सब्जियां लाने वाला कोई नहीं है पहले मेरे पति लाते थे अब वो भी बाहर नौकरी करने मुम्बई चले गए हैं मेरा बेटा अभी छोटा है वो जा नहीं सकता और मैं कभी गयी ही नहीं बस ये पुरानी सब्जियां बिक जाएं तो मैं सब्जी की दुकान बंद कर दूंगी।

मैं- अच्छा कोई बात नहीं फिर भाभी आप कोई और काम करोगी क्या भाभी- भैया मैं पढ़ी लिखी तो ज्यादा हूँ नहीं तो कौन मुझे काम देगा मैं- मैं दूंगा आपको काम भाभी- आप मुझे कौन सा काम दोगे मैं उसकी उभरी हुई चुचियां देख कर बोला- अरे भाभी आप तो सभी काम करने लायक हो।

भाभी- मतलब मैं- मेरा मतलब है कि आप घर का काम जैसे झाड़ू पौंछा, खाना, कपड़े धोना आदि कर देना बदले में मैं आपको पैसे दे दिया करूंगा भाभी- ठीक है भैया ये सब्जियां बिक जाएं तो मैं आ जाऊंगी आप मुझे घर का पता दे दो मैं आपके घर का काम कर दूंगी वैसे कहां है आप का घर।

मैं- अरे बस पास में ही है मैंने अपना पता उसको बता दिया और वो राजी हो गयी मैं वहां से चला गया बस यहीं से शुरू होती है उस मस्त भाभी की चूत की मलाई खाने की शुरूवात मेरी नजर उस भाभी पर तो पहले से ही थी उसका चेहरा याद करके 2-3 बार अपने लंड को हिलाया भी था।

वो शनिवार का दिन था मैं अपने घर में बिस्तर पर सोया हुआ था सुबह के 8 बज रहे थे कि तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया तो मैं उठा और जैसे ही दरवाजा खोला तो देखा कि वो भाभी तैयार होकर मेरे सामने खड़ी थी मैं तो उसको देखता ही रह गया।

मैंने उसको अन्दर बुलाया और बैठने को बोला वो बोली- मैं यहां बैठने नहीं आई हूँ आपने जिस काम के लिए कहा था वो करने आई हूं मैं- अच्छा मैंने उसको बाथरूम किचन आदि सब दिखा कर काम बता दिया और बिस्तर में लेट गया मेरा घर छोटा सा ही है एक कमरा बाथरूम और किचन।

बिस्तर की जगह से ये दोनों ही जगह एकदम सामने से दिखती थीं भाभी पहले किचन से गंदे बर्तन उठाए और बाथरूम में जाकर धोने लगी वो बैठ कर बर्तन धो रही थी तो उसके पीछे का पूरा मस्त नजारा मुझे दिख रहा था।

जब वो बैठी थी तो पीछे से उसकी साड़ी नीचे खिसक गई थी जिससे उसकी गांड की लकीर मुझे साफ साफ दिखाई दे रही थी उसके पिछवाड़े का मस्त नजारा साफ दिखाई दे रहा था बर्तन धोकर वो किचन में खाना बनाने लगी और मुझसे बात करने लगी कि क्या बनाना है।

वो मुझसे मेरे बारे में पूछ रही थी मैं भी बस उससे इधर उधर की बात करके उसकी मस्त जवानी को देख कर अपनी आंखें सेंक रहा था उसने अपना काम खत्म किया और चली गयी मैं तो बस उसकी याद में खोया ही रह गया साली लंड खड़ा करके चली गयी।

किसी तरह से दिन बीता उस दिन आफिस में भी मन नहीं लगा दूसरे दिन भी वो उसी टाइम पर आई आज कुछ वो उदास दिख रही थी मैंने उसका कारण पूछा तो वो कुछ नहीं बोली बस वो अपने पैर थोड़ा फैला कर चल रही थी मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी ऐसे क्यों चल रही हो भाभी- कुछ नहीं बस पैर में चोट लग गयी है।

मैं- चोट लगती तो लंगड़ा कर चलना था फैला कर क्यों चल रही हो आप भाभी- कुछ नहीं बस ऐसे ही वो काम करने लगी मैंने ध्यान दिया कि काम करते करते भाभी अपनी चूत के पास बार बार सहला देती थी और थोड़ा मुँह बना लेती थी।

मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने फिर से पूछा- भाभी क्या हुआ बताओ तो सही भाभी- मैं आपको क्या बताऊं भैया मैं- आप परेशानी बताओ तभी तो मैं जानूंगा भाभी- ये आपसे बताने वाली बात तो नहीं है और न ही आप कोई डॉक्टर हो तो बताने से क्या फायदा।

मैं- अच्छा पर बताओ तो भाभी- भैया बात ये है कि मुझे कमर के नीचे कुछ दिनों से बहुत खुजली हो रही है और दाने निकल आए हैं जिससे दानों से पानी निकल रहा है मैं- ओह तो भाभी ये दिक्कत है आपको दाद हुई है पर इसमें इतना परेशान होने वाली कौन सी बात है।

भाभी- भैया तो क्या करूं आपको तो बता दिया पर ये खुजली हो भी तो ऐसी जगह रही है जिसे मैं न ज्यादा किसी को बता सकती हूं और न दिखा सकती हूं अब मैं क्या करूं मैं- रुकिए मैं आपको एक क्रीम देता हूं आप लगा लो ठीक हो जाएगा भाभी- हां दे दो मैं बहुत परेशान हो गयी हूँ।

मैंने क्रीम लाकर भाभी को दे दी मैं- लो भाभी पर भाभी मेरे पास ये सिर्फ एक ही क्रीम की टयूब है आप किचन में जाओ और लगा कर वापस दे दो भाभी- ठीक है भाभी रसोई में गयी और थोड़ी देर बाद घबराई हुई बाहर निकली मैं- अब क्या हुआ।

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भाभी- भैया मैं जहां खुजली है उस पर क्रीम लगा रही हूँ तो वहां पर जलन बहुत हो रही है मैं- भाभी अब लगा तो आप ही सकती हैं इसमें मैं क्या कर सकता हूँ भाभी- हां बात तो सही है पर मुझे बहुत डर लग रहा लगाने पर बहुत जलन हो रही है कहीं कुछ गलत जगह न लग जाए।

मैं- भाभी अगर आप बुरा न माने तो क्या मैं लगा दूँ मैंने डरते हुए कहा भाभी- पर ये गलत है मैं- हां पर दर्द भी तो आपको हो रहा है न भाभी कुछ सोचती हुई बोली- ठीक है पर किसी को आप मत बताना और आप आंख बंद करके आराम से लगाना।

मैं- अरे मैं क्यों बताऊंगा चलिए आप एक काम करो मैं अपनी आंख बंद करके उंगली में अपनी क्रीम लगा लेता हूं और आप खुजली वाली जगह मेरी उंगली रख देना भाभी- ठीक है मैंने आंख बंद करके उंगली में क्रीम लगा ली आंख बंद होने से तो मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

भाभी ने मेरा हाथ की उंगली पकड़ी और साड़ी के अन्दर चूत के पास खुजली वाली जगह रखने लगी जैसे ही मैंने दवा लगाई भाभी सिसयाने लगी मैंने आंख बंद किए हुए ही कहा- थोड़ा सा सहन करो भाभी ने फिर उसी जगह मेरी उंगली पकड़ कर रखी तो मैं धीरे धीरे क्रीम लगाने लगा।

मुझे भी मज़ा आ रहा था और भाभी की भी धीमी आवाज़ में सिसकारी निकल रही थी अचानक क्रीम चिपचिपी होने की वजह से उंगली फिसल कर चूत के अन्दर चली गई जो मैं जान नहीं पाया क्योंकि मेरी आंखें बंद थीं भाभी की हल्की सी आह निकली मगर उसने मना भी नहीं किया।

मैंने ध्यान दिया कि भाभी मेरी उंगली को एक ही जगह आगे पीछे कर रही थी और उसका हाथ पहले से थोड़ा ज्यादा ही तेज़ होता जा रहा था हाथ में मुझे कुछ पानी सा लगा तो मैंने धीरे से अपनी एक आंख को थोड़ा सा खोला तो मैंने देखा कि मेरी उंगली तो भाभी की चूत के अन्दर आगे पीछे हो रही थीं जो भाभी खुद कर रही थी।

भाभी की दोनों आंखें बंद थीं मैंने अपनी आंख खोल कर खुद ही उनकी चूत के अन्दर बाहर स्पीड से उंगली करने लगा भाभी की आवाज और तेज़ हो गयी थोड़ी देर में उसकी चूत से ढेर सारा पानी पिचकारी जैसी शक्ल में निकलने लगा और भाभी मेरा हाथ झटक कर नीचे सर करके बैठ गयी।

मैंने अपना हाथ देखा तो मेरी पूरी हथेली पर झाग ही झाग लगा था मैंने बाथरूम में जाकर हाथ धोया और वापस आ गया जब मैंने भाभी की ओर देखा तो भाभी शर्मा कर जल्दी से मेरे घर से निकल गयी दूसरे दिन भाभी नहीं आई मैं बस उस नजारे को याद करके मजा ले रहा था।

उस दिन मैंने दो बार अपना लंड हिला कर माल निकाला तीसरे दिन भाभी आयी पर मुझसे कुछ नहीं बोली और अपने काम में लग गयी मैं बस पीछे से उसकी उभरी हुई मस्त गांड देख कर लंड मसल रहा था तभी अचानक भाभी मुड़ी और मेरे पास आकर बोली- भैया उस दिन की बात आप किसी को मत बताना।

मैं- कौन सी बात भाभी भाभी- वही दवा लगाने वाली बात मैं- दवा वाली बात या फिर कुछ और भाभी शर्मा कर बोली- और क्या बात मैं- यही कि दवा से झाग बहुत बना और दवा लगाने से घाव वाली जगह ने पानी भी फैंका भाभी शर्मा कर बोली- ऐसी बात नहीं वो क्या है कि कि वो बोलते बोलते चुप हो गयी।

मेरे बार बार पूछने पर शर्मा कर बोली- भैया क्या करूं मैं बहुत दिन हो गए थे और मेरे पति भी यहां नहीं है तो बहुत दिनों के बाद मैंने किया फिर भाभी चुप हो गयी अब मैंने खुल कर बोलना सही समझा- आपके कहने का मतलब है कि बहुत दिनों से आप चुदी नहीं हो सही है ना।

भाभी कुछ नहीं बोली और अपना सर नीचे कर लिया मैंने फिर से बोला- सही बोला ना मैंने कि आपने बहुत दिनों से लंड नहीं लिया है भाभी ने शर्मा कर हां में सर हिलाया मैं- अगर आप कहें तो मैं आपकी इस जरूरत को पूरा कर सकता हूँ भाभी- पर।

मैं- पर क्या भाभी- मैं वो नहीं कर सकती मैं- वो क्या भाभी भाभी- वही जो आपने अभी बोला चु.चु मैं- मतलब आप चुदवा नहीं सकती पर क्यों भाभी- मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती मैं- मैं आपकी बात समझ सकता हूँ भाभी- वही तो अब मैं क्या करूं उस दिन के बाद से मुझे बहुत मन कर रहा पर मैं ऐसा नहीं कर सकती।

मैं- भाभी इसका एक ही तरीका है अगर आप कहें तो मैं बोलूं भाभी शर्मा कर बोली- हां बोलिए मैं- मैं उस दिन की तरह उंगली से कर दूँ या आपकी चूत को चाट कर, चूस कर कर दूँ भाभी- उंगली से तो ठीक है पर चूस कर कैसे।

मैं- ये सब आप मुझ पर छोड़ दो आप को मज़ा न आए और शांति न मिले तो कहना मैं कसम खाता हूं कि आपकी चूत में उंगली के अलावा और कुछ नहीं डालूंगा भाभी- ठीक है पर इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं करने दूंगी और ये बात किसी को पता न चले।

मैं- हां ठीक है मैंने भाभी को बिस्तर में बिठाया औऱ पूछा- अब चूत के पास दाद तो नहीं है न उन्होंने ना में सर हिलाया मैंने उसे धीरे से लिटा दिया और उसकी साड़ी को पेटीकोट समेत धीरे धीरे ऊपर कर दिया भाभी ने शर्मा कर अपना हाथ अपने चेहरे पर रख लिया।

मैंने देखा कि भाभी ने चड्डी नहीं पहनी थी मैंने उसके पैरों को फैलाया और उसकी चूत को सहलाने लगा भाभी धीरे धीरे गर्म होने लगी और सिसकारी भरने लगी मैंने सहलाना और तेज़ कर दिया भाभी के मुँह से अस्स आह निकलने लगी।

मैंने धीरे से अपना मुँह उसकी प्यासी चूत के मुँह में लगा दिया तो भाभी मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी मैंने अपनी एक उंगली चूत के अन्दर डाल दी और आगे पीछे करके चूत के दाने को अपने दांत से पकड़ कर चूसने लगा भाभी सिसकारी भरती हुई धीमी आवाज़ में चिल्लाने लगी।

मुझे ऐसा करते हुए 10 मिनट हो गए थे तभी भाभी मेरे सर के बाल पकड़ कर जोर से चिल्लाई और उसकी चूत ने गर्म गर्म पानी छोड़ना चालू कर दिया मुझे उस पानी को पीकर बहुत मज़ा आया अब भाभी जोर जोर से सांस लेने लगी।

मैं उठ कर बैठ गया और उसकी ओर देखने लगा भाभी एकदम गर्म थी एकाएक उसने मुझसे कहा- अब मुझे चोद दो नहीं तो मैं मर जाऊंगी मैं- भाभी मैंने कसम खाई थी कि मैं अपनी चूत में उंगली के सिवाए और कुछ नहीं डालूंगा।

भाभी- तोड़ दो कसम और जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डालकर मुझे चोद दो मेरे अन्दर अपना लंड डालो मेरा लंड तो कब से मेरा लोवर फाड़ देने की कगार पर था पर मैंने कसम खाई थी मैं अपने वादे का पक्का इंसान था।

मैंने अपने मन में कुछ सोच कर कहा- नहीं भाभी मैं चूत तो नहीं चोदूंगा पर एक काम कर सकता हूँ आपको लंड अन्दर लेना है ना भाभी- हां, लंड लेना है बोलो क्या बोलना चाहते हो मैं- भाभी में अपना लंड तुम्हारी चूत में नहीं कहीं और डालूंगा बोलो डालवाओगी।

भाभी- हां जहां डालना है डालो जहा घुसाना है घुसाओ पर जल्दी मैं- ठीक है मुझे तुम्हारी ये गांड मारनी है गांड में लंड घुसा कर चोदना है बोलो ठीक रहेगा भाभी- हां मेरी गांड ही चोद डालो जल्दी करो मैंने जल्दी से भाभी को घोड़ी बनाया और उसकी मस्त गांड को खोल कर देखा गांड का छेद बड़ा मस्त था।

मैंने भाभी की गांड के छेद में अपनी जीभ लगा दी और छेद गीला करने लगा फिर उंगली से गांड के छेद को खोलने लगा भाभी की गांड ढीली थी मतलब पहले भी वो गांड मरवा चुकी थी जब गांड थोड़ी खुली तो मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और लंड के सुपारे को धीरे धीरे गांड में डालने लगा।

गांड में आधा लंड आराम से उतर गया था भाभी सिसकारी पर सिसकारी भरने लगी थी तभी मैंने एक जोरदर झटका मारा और पूरा लंड गांड में उतार दिया अब भाभी भी मज़े लेकर चुदवाने लगी वो तेज़ तेज़ चोदने को बोलने लगी।

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ये सुन कर मैं भी तेज तेज़ धक्के लगाने लगा भाभी जोर जोर से मज़े लेकर चिल्लाने लगी थोड़ी देर बाद मेरा पानी उसकी गांड में ही निकल गया और भाभी ठंडी पड़ गयी फिर भाभी उठी और बाथरूम में जाकर अपनी गांड चूत साफ करके बाहर आ गई।

उसने मेरी तरफ देखा और हंस कर अपने घर चली गयी अब तो आए दिन भाभी और मैं ये चुदाई वाला खेल खेलने लगे कुछ दिन बाद उसने चुत परोस दी और मैंने भाभी की चुत चोद दी तो भाइयो कैसी लगी मेरी ये सच्ची नौकरानी की चुदाई कहानी।

यह मेरी पहली कहानी है जो मैंने यहां बड़ी मेहनत से लिखी है इसमें कुछ कमी हो तो जरूर बताएं चुत चटवाने वाली भाभियां और चुत चाटने का मजा लेने वाले मुझे मेल कर सकते हैं।

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