भाभी के दूध मुंह में लेकर नीचे से चोदा-Bhabhi Ki Chudai

भाभी के दूध मुंह में लेकर नीचे से चोदा

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ अब कहानी कैसी है ये तो आप ही मुझे बताओगे दोस्तो आज मैं आपको अपनी बिल्कुल रियल स्टोरी सुनाने जा रहा हूँबात तब की है जब मैं कॉलेज पास कर के शहर में अपने भाई भाभी के पास नौकरी की तलाश में आया था।

मेरी भाभी बहुत ही हँसमुख हैहमेशा मुस्कुराते रहती थी और मेरे भाई का उतना ही रूड नेचर थाइसलिए मेरी और भाभी की बहुत पटने लगी।

हम आपस में खूब मज़ाक करतेधीरे धीरे मैं कब भाभी की ओर आकर्षित होने लगा मुझे पता भी नहीं चलामुझे भाभी की खुश्बू बहुत अच्छि लगने लगी थीजब कभी भी वो मेरे पास से गुजरती मैं गहरी सांस ले लेता।

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एक दिन भाभी नहा के निकली और मेरा बाथरूम में जाना हुआ पूरा बाथरूम भाभी की खुश्बू से महक रहा था मेरे शरीर मे एक अजीब से सरसराहट दौड़ गई अचानक मैने बाथरूम में पड़े भाभी के कपड़े देखे मेरा मंन मचल गया। 

मैने बिना देर किए उन्हे उठाया और मूह में रख कर एक गहरी सांस ली आआआः मेरे पूरे शरीर मे एक लहर दौड़ गई कपड़े लिपटे हुए थे मैने खोला तो देखा भाभी की गाउन के अंदर उनकी ब्रा और पेंटी थी सबसे पहले मैने ब्रा को उठाया और जी भर के देखा ये वोही ब्रा थी जो कुच्छ देर पहले भाभी के दूधों से चिपकी हुई थी।

मैं ब्रा को पागलों की तरह चूमने और चूसने लगा जैसे मानो वो मेरे भाभी के दूध हों काफ़ी देर तक चूसने के बाद मैने भाभी की पेंटी उठाई और अपनी भाभी की चूत समझ उसको सहलाने लगा यही पर चिपकी होगी भाभी की चूत उनके झट के बाल ये सोच सोच कर मेरा लंड तन कर मेरी चड्डी फाड़ने लगा।

तभी मुझे ख़याल आया कि इसे अभी भाभी की चूत तो नहीं दिला सकता लेकिन अहसास तो दिला सकता हूँ मैने फटाफट अपनी चड्डी उतार कर भाभी की पेंटी पहन लीये सोच कर कि “जहाँ थोड़ी देर पहले ये भाभी से चिपकी थी अब मेरे से चिपकी है जहाँ भाभी की चूत थी वहाँ अब मेरा लंड है। 

यही सोचते सोचते मेरा हाथ मेरे लंड पर चलने लगा और थोड़ी ही देर में मैने मैने पिचकारी छ्चोड़ दीभाभी की पूरी पॅंटी मेरे वीर्य से भर गई मैने जल्दी से उसे धोया और बाहर आ गया और सोचने लगा कल भाभी यही पॅंटी पहनेंगी, कितना अच्च्छा लगेगा।

अब भाभी को मैं और ध्यान से देखने लगा वाकई बहुत सुन्दर शरीर है मेरी भाभी का एकदम भरे और कसे हुए दूध,भारी सी गंद,कसा हुआ शरीरमुझमे अब उसे पाने की ललक जाग गईमैं दिनभर भाभी को तक्ता रहता झाड़ू लगाते,पोछा लगाते, खाना परोसते वो मुझे अपने आधे स्तनों के दर्शन करा देती।

गर्मी के दिन चल रहे थे इसलिए भाभी पतले कपड़े पहनती थी,इसलिए मैं भाभी के अंदर का शरीर काफ़ी कुच्छ देख लेता थाखाना बनाते समय पीछे खिड़की से रोशनी आती थी जिसकी वजह से मैं भाभी के पूरे शरीर के एक एक उभारों को आसानी से देख सकता था। 

बस यही देख देख के रात मैं भाभी की कल्पना कर के रातें गीली किया करता था एक बार भाई काम से बाहर गया था उसी समय भाभी नहाने गई मेरा तो नसीब खुल गया मैं धीरे से बाथरूम के करीब गया और कोई सुराख ढूँढने काग़ा आख़िर एक सुराग मिल ही गया। 

मैने जैसे ही उससे झाँका मेरे नसीब खुल गये भाभी झुक कर अपनी पेंटी उतार रही थी बाथरूम थोड़ा छ्होटा था इसलिए मुझे भाभी के दूध काफ़ी नज़दीक से दिखाई दिए एकदम कसे हुए थे कड़क ,वाउफिर जैसे ही भाभी सीधी हुई। 

तो मुझे भाभी के झट के बालों के दर्शन हुए पर कुच्छ ही देर के लिए हल्के हल्के बालों के बीच उभरी हुई उनकी मस्त जन्नत सी चूत, मैं तो पागल ही हो गया भाभी बैठ गयी और नहाना शुरू कर दिया लेकिन बाथरूम छोटा होने की वजह से मुझे अब सिर्फ़ उनकी पीठ दिखाई दे रही थी। 

फिर भी मैने अपनी कोशिश नहीं छ्चोड़ी सोचा कभी तो पलटेंगी,कुच्छ तो दिखेगाऔर मेरा सय्याम काम आया कुच्छ कुच्छ देर मे मुझे भाभी के दूधों के दर्शन हो ही जातेफिर नहाना ख़तम कर भाभी खड़ी हुई तो मुझे उनकी गांद के, झट के फिर दर्शन हुए उन्होने अपना पूरा शरीर पोंच्छा फिर अपनी झांतें। 

फिर कपड़े पहने पहले ब्रा फिर पेंटी फिर गाउन मैं भाग कर अपनी जगह पर बैठ गयालेकिन वो नज़ारा अब मेरी आँखों से हट नहीं रहा था फिर भगवान को मेरे पर तरस आयाएक बार भाभी खाना खाने के बाद घूमने जाने के लिए कहने लगी, भाई ने कहा मैं तो दिन भर का थका हूँ। 

मैं नहीं जाउन्गा भाभी ने कहा भाय्या आप ही चलोमैं तो खुश हो गया पर मैने कहा छत पर टहलेंगे भाभी ने कहा क्यों मैं -सड़क पर और लोग भी घूम रहे होंगे भाभी तो मैं मतलब मोहल्ले के लड़के वगिरह,वो आपको देखेंगे तो मुझे अच्च्छा नहीं लगेगा भाभी बड़ा ख़याल है मेरा मैं क्यों नहीं होगा।

फिर हम छत पर घूमने लगे उस दिन के बाद हम दोनो खाना खाने के बाद छत पर टहलने जाते थे घूमते घूमते कई बार मेरा हाथ भाभी के हाथ से टच हो जाता तो भाभी थोड़ा दूर चलने लगती, लेकिन कुच्छ कहती नहीं बल्कि कुच्छ देर के लिए थोड़ा चुप हो जाती।

जब हम मुंडेर पर जा कर थोड़ी देर को खड़े होते तो उनके जितने करीब खड़ा हो सकूँ हो जाता यही सब कई दिनों तक चलता रहाएक दिन जब रोज़ की तरह हम मुंडेर पर खड़े हो कर बातें कर रहे थे तो मैने धीरे से उनके पेट पर हाथ लगा दिया। 

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भाभी फिर भी कुच्छ नहीं बोली,बस मेरी तरफ देखा और थोड़ी दूर हो गयीमैने सोचा नाराज़ हो गई,लेकिन जब दूसरे दिन भी उन्होने घूमने को कहा तो मैं समझ गया कि येल्लो सिग्नल मिल चुका हैफिर तो उस दिन मैं घूमते घूमते भाभी से खूब टकरायाकभी हाथ कभी पूरा शरीर ही उनसे टच करता रहा। 

वो रोज़ की तरह बस थोडा दूर हो जातीदो तीन दिन यही चला अब मैने सोचा कुच्छ आगे बढ़ना चाहिए गतान्क से आगे दूसरे दिन,दिन का खाना देने के बाद भाभी बेड पर बैठ कर टीवी देखने लगी, मैं भी खाना खाने के बाद उसी बेड पर लेट गया। 

लगभग भाभी के पास और सोने का बहाना करने लगा थोड़ी देर बाद मैं खिसक कर और लगभग उनसे चिपक गया भाभी क्या हुआ,नींद नहीं आ रही क्या मैं हूँ तकिये मैं घुस के सोने की आदत है ना इसलिए थोड़ा आपके पास घुस गया भाभी आच्छे से सो जाओ।

मैं आपकी गोदी में सिर रख लूँ भाभी रख लो लेकिन सिर्फ़ सिर ही रखना मैं -मतलब भाभी कुच्छ नहीं सो जाओ चुप चाप मैं थोड़ी देर लेटा रहा पर उनकी खुश्बू मुझे जितना सुकून दे रही थी उतना ही उत्तेजित भी कर रही मैं धीरे से उनसे और चिपक गया। 

अब मेरा मूह भाभी के पेट से चिपका था और भाभी के दूध मेरे इतना करीब कि मैं अगर अपना मूह थोड़ा सा भी उपर करूँ तो शायद वो मुझसे टच हो जातेमेरे साँसें गर्म हो चुकी थी और मैं उसे जान बूझ कर भाभी के दूधों के पास ‘जहाँ ब्रा ख़तम होती है छ्चोड़ रहा थाभाभी की साँसें भी तेज हो रही थी।

तभी मैने अपना आपा खो दिया और अपना एक हाथ भाभी की कमर पे कस कर और चिपक गया और ब्रा के नीचे वाले हिस्से से टच हो गयाभाभी को मानो एकदम कुर्रेंट लग गया होउन्होने तुरंत मुझे झिड़क दिया मैं क्या हुआ भाभी चलो उठो।

मैं -क्या हुआ भाभी ये क्या कर रहे हो मैं -कुच्छ नहीं,मुझे आपकी खुश्बू बहोत अच्छि लगती हैवोही सूंघ रहा था भाभी चलो अब जाओ हमने कहा था ना सिर्फ़ सोना पर मुझे पता नहीं कौन सा भूत सवार था मैने उठते उठते भाभी को एक पप्पी कर दी।

भाभी सुन्न हो के मुझे बस देखती रही और कुच्छ नहीं बोली मुझे लगा मैने ये क्या कर दिया मैं उठा और अपने दोस्तों से मिलने बाहर चला गया रात को मैं जब घर लौट के आया तो बड़ा डरा हुआ था भाभी ने मुझे खाना दिया मैं खाना खा के अपने बिस्तर पर लेट गया। 

भाई के सोने के थोड़ी देर में भाभी आई और मेरे पैर की साइड जो सोफा लगा था उसमे बैठ गई मैने उनको देख कर थोडा मुस्कुरा दिया भाभी आज घूमने नहीं चलोगे मैं मैने सोचा लेट हो गये भाभी लेट हो गये या कोई और बात मैं और क्या बात।

भाभी दिन की अच्च्छा बताओ आपने ऐसा क्यों किया मैं बस मैं आपकी खुश्बू सूंघ के बहक गया था भाभी खूशबू ऐसी कैसी खुश्बू आती है मेरे पास से मैं पता नहीं पर मैं अपने आपको रोक नहीं पाता भाभी अभी भी आ रही है क्या, इधर आओ।

और मैने झट से पलट कर अपना मूह भाभी की ओर कर लियाभाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहासचमुच मैने आपको अच्छि लगती हूँमैने मौके की नज़ाकत समझ कर भाभी की गोद में सर रख दियाऔर अपने मूह को भाभी की जांघों में रगड़ने लगा।

भाभी आच्छे तो आप भी मुझे लगते हो, पर ये सब ग़लत है, हमारा रिश्ता कुछ और है मैं रिश्ता तो दिल से बनता है अगर मैं और आप एक दूसरे को दिल से चाहते हैं तो हमारा रिश्ता प्यार का हुआ ना भाभी तो प्यार तो हम करते ही हैं मैं बस फिर प्यार में जो होता है होने दो।

कहते हुए मैं अपने सर को रगड़ते हुए भाभी की चूत के पास तक पहुँच गया था कि अचानक भाभी ने मेरा चेहरा दोनो हाथो से पकड़ कर अपनी ओर किया और अपनी मुंदी ना में हिलाने लगी भाभी की ये अदा भी मुझे भा गई क्योंकि इसमे उनकी मंज़ूरी के साथ मजबूरी में मनाही थी। 

मैं समझ गया कि भाभी को कोई ऐतराज नहीं होगा और मैं अपने सपनों को साकार करने में लग गयामैने तुरंत अपना चेहरा भाभी के दूधों के ऊपर रख दिया और और दो मिनट तक तो मुझे होश ही नहीं रहा भाभी ने भी एक गहरी साँस लेकर अपने आपको मेरे सुपुर्द कर दिया और अपना सर सोफे से टिका लिया। 

ऐसा लगा मानो दोनो को राहत मिली होअब मैने धीरे धीरे भाभी के स्तनों को अपने मूह से ही रगड़ना शुरू कर दिया (जैसे सोचे थे वैसे ही कड़क दूध थे भाभी के) रगड़ते रगड़ते मैं भाभी की गर्देन तक पहुँच गया फिर गाल और फिर सीधे भाभी के नर्म होंटो को अपने मूह में लेकर उनका रस पीने लगा। 

मेरा एक हाथ भाभी के स्तनों को सहला रहा था जी भर के होंठों रस पीने के बाद दूध पीने की बारी थी मैं धीरे से नीचे आया और भाभी के सलवार के गले से अंदर घुसने लगालेकिन भाभी के आधे दूध तक ही पहुँच पाया फिर मैने भाभी का कुर्ता उठाया और भाभी के पेट को चूमते हुए भाभी के दूधों तक पहुँच गया पर भाभी ने ब्रा पहन रखी थी। 

मैने अपने दोनो अंगूठे भाभी की ब्रा के अंदर डाल कर उसे उठाने की कोशिश की पर भाभी ने मुझे रोक दिया कहा भाभी अभी नहीं ये उठ जाएँगे मैं फिर कब भाभी कल जब ये ऑफीस चले जाएँगे और फिर उठ कर अपने कमरे में चली गई।

सुबह मैं लेट ही उठा जब भाई के ऑफीस जाने का टाइम हो चुक्का था जब तक मैं नहा के तय्यार हो गयाभाई के ऑफीस जाते ही मैने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और किस करने लगा भाभी लगता है सब्र नहीं हो रहा मैं कैसे होये सब्र चलो ना।

भाभी पहले खाना खा लो मैं नहीं बाद में भाभी – खा लो ताक़त आएगी और जा कर मेरे लिए खाना ले आईजब तक मैने खाना खाया भाभी बेड पर लेट कर टीवी देखने लगीमैं खाना ख़तम कर के सीधे भाभी के बगल में लेट गया और भाभी को अपनी बाहों में भर कर किस करने लगा।

भाभी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी मैं भाभी को चूमते चूमते दूधों पर आ गया भाभी ने येल्लो कलर की सादी पहनी थी मैं साड़ी का पल्लो हटा कर ब्लाउस के ऊपर से ही दूधों को पीने लगा कुच्छ देर यूँ ही करते करते मैने भाभी के ब्लाउस के हुक खोलना शुरू कर दिए।

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एक एक कर मैने सारे हुक खोल दिए अब भाभी मेरे सामने ब्रा में थी भाभी की ब्रा के अंदर भाभी के मस्त दूध एक दम कसे हुए थेब्रा बिल्कुल फिटिंग की थी मैने अब ब्रा के ऊपर से ही भाभी के दूध पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिए और फिर धीरे से पीछे हाथ कर ब्रा के हुक भी खोल दिए ,हुक खुलते ही दोनो दूध आज़ाद हो गये।

ब्रा को हटते ही मेरे सामने भाभी के सुडोल स्तन आ गये जितना सोचा था उससे भी सुंदर एकदम कड़क ब्राउन कलर की निपल अकड़ कर मानो मुझे ही देख रहे थे और बुला रहे थे मैने बिना देर किए एक निपल को अपने मूह में ले लियाऔर दूसरे को अपने हाथ से दबाने लगा।

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