दोस्त गया घूमने उसकी बीवी मेरा लंड लगी चूसने-Hindi Sex Story

दोस्त गया घूमने उसकी बीवी मेरा लंड लगी चूसने

हाय राजा तुम सारा दूध पी डालोगे तो बच्चा क्या पियेगा मालिनी रानी ने चूचुक मेरे मुंह से बाहर निकालना चाहा वो मेरे दोस्त अनूप अग्रवाल की पत्नी है क्या उबलती फ़ड़कती जवानी है  गुलाबी रेशमी त्वचा गहरे भूरे रंग के घनेरे बाल निखरता गोरा रंग फिगर ऐसी कि जोगी को भी भोगी बना डाले बहुत ही सुन्दर पाँव मुलायम और सुडौल जिनको बार बार चूमने और चाटने का दिल करे। 

मर्दों को चुनौती सी देते हुए सामने उसके चूचुक और पीछे उसके मस्त नितम्ब  क्या करे बेचारा आदमी पागल ना हो जाये और क्या करे मालिनी रानी एक ऐसा पूरा पका हुआ फल थी जिसको चूसने में देरी करना महा अपराध था मेरी नई नई शादी हुई थी और मेरी बीवी मायके गई हुई थी चूत का तरसा मैं हर वक़्त खड़े लंड को छुपाने के लिये अपनी पतलून इधर उधर सेट करता रहता था।

अनूप एक महीने के लिये विदेश गया हुआ था और मुझे कह गया था कि उसकी पत्नी का ध्यान रखूँ मैं क्या खूब ध्यान रख रहा था हा हा हा मैंने मालिनी को कैसे पटाया यह बताने में वक़्त बर्बाद नहीं करूँगा मैं पढ़ने वालों का बस यह समझ लें कि हमारा आँख मटक्का तो चल ही रहा था काफी दिनों से बस दो चार बार चुम्मी तक ही तसल्ली करनी पड़ रही थी।

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उस चूतिए अनूप के विदेश जाने से हम को मौक़ा हाथ लग गया मस्ती लूटने का  उसका पति बाहर और मेरी पत्नी बाहर तो और क्या चाहिये था हम दो चुदाई के प्यासों को  मालिनी की गोद में तीन महीने का बच्चा था एक शाम में उसके घर पहुँचा इधर उधर से छिपता छिपाता मालिनी रानी ने द्वार खोला मैं अंदर घुस गया और बड़ी बेताबी से मालिनी को कस के लिपटा लिया।

मेरे होंठ उसके गुलाबी भरे भरे से होंठों से चिपक गये एकदम मेरे तन बदन में मानो आग लग गई चुदास बिजली की तरह मेरे भीतर कौंधने लगी लंड लपक कर ज़ोरों से अकड़ गया और उसके पेट को दबाने लगा मालिनी ने मस्ती में लंड को एक हल्की सी चपत भी लगाई मालिनी ने अपना सिर पीछे को झुका लिया था कस के उसने मेरे बाल पकड़ लिये और मेरा मुँह अपने मुँह से कस के चिपका लिया।

हम बहुत देर तक इसी प्रकर से लिपटे हुए एक दूसरे के होंटों और जीभ को चूसते रहे मैंने उसके मुलायम मुलायम नितम्ब दबोच लिये थे और उनको दबा दबा कर बड़ा मज़ा पा रहा था काफी देर तक चूमने के बाद उसने मेरी छाती पर हाथ रख कर मुझे पीछे किया और बोली- राजा कुछ रुक कपड़े बदल के ईज़ी होकर बैठते हैं फिर आराम से बातें करेंगे  मालिनी रानी बड़ी सफाई से मुझसे अलग होकर एक कमरे की तरफ चल दी। 

मैं पीछे पीछे गया यह उसका बेडरूम था और उसका बालक एक पालने में सोया हुआ था वह बेडरूम के बाथरूम में घुस गई मैंने अपनी कमीज़ उतारी और जूते मोज़े खोल कर आराम से बिस्तर पर फैल गया दो चार मिनटों म़ें मालिनी रानी बाहर निकल आई उसने एक मर्दानी लुंगी लपेट रखी थी और लुंगी के सिरे गर्दन के पीछे बांध रखे थे।

लुंगी ने उसका ऊपर का बदन और थोड़ा सा चूत के आस पास का हिस्सा ढक दिया था उसने लुंगी के भीतर कुछ भी नहीं पहना था न ब्रा न कच्छी  उसकी लाजवाब जांघें लम्बी टांगें उसके खूबसूरत पैर देख कर मेरा बदन झनझना उठा मैं लपक कर उठा और मालिनी रानी को खींच कर बिस्तर पर ले लिया जैसे ही मैंने लुंगी के भीतर से चूचुक दबोचे मेरे हाथ उसके दूध से भीग गये। 

उसकी चूचियाँ दबादब दूध निकाल रही थीं मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने अपना मुंह लुंगी म़ें घुसा कर एक चूची पर अपने होंठ रख दिये एक बच्चे की तरह मैं हुमक हुमक के दूध पीने लगा क्या गज़ब का स्वाद था  एकदम सही तापमान एकदम सही मिठास  दूसरी चूची भी खूब दूध निकाल रही थी जब पहली चूची का सारा दूध खत्म हो गया तो मैंने दूसरी चूची पर हमला बोला।

मचल मचल के मैंने मालिनी रानी का दूध पिया उसने भी बहुत चिंहुक चिंहुक कर मस्ती से दोनों चूचियाँ चुसवाईं अचानक मालिनी रानी को ध्यान आया कि अगर पूरा दूध मैं पी गया तो बच्चा क्या पियेगा हाय राजा तुम सारा दूध पी डालोगे तो बच्चा क्या पियेगा? मालिनी रानी ने चूचुक मेरे मुंह से बाहर निकालना चाहा।

मैंने चूची मुंह से बाहर न जाने दी मैं चूसता ही रहा जब तक दूसरी चूची भी दूध से खाली नहीं हो गई मैंने पहली चूची को दुबारा दबाया तो दूध की एक तेज़ धार निकल आई मालिनी रानी का दूध का उत्पादन आश्चर्यजनक था इतनी जल्दी चूची दुबारा दूध से भर गई थी क्या कमाल का डेरी फार्म था इस कामुक औरत का। 

अरे तेरी चूचुक हैं या अन्नपूर्णा गाय के थन दूध ख़त्म ही नहीं होता अभी अभी तो पूरा दूध चूसा था तो घबराती क्यों है अभी दस मिनटों में दूध पूरा भर जायेगा इतना कह के मैंने लुंगी के सिरे खोल दिये और मालिनी रानी को कस के भींच लिया मालिनी ने अपना खूबसूरत सा हाथ मेरी पैंट पर लंड के ऊपर रखा और कराह उठी- राजे तूने मुझे तो नंगा कर दिया अपनी पतलून खोली ही नहीं अब तक। 

अभी ले  मैं उसे छोड़ कर जल्दी जल्दी पतलून खोलने लगा जैसे ही लंड को पतलून और कच्छे से राहत मिली तन्नाया हुआ लौड़ा उछल उछ्ल कर तुनके मारने लगा हाय कितना लम्बा और मोटा है ये आज पता नहीं मैं बचूंगी या नहीं हायमेरी मां  मालिनी रानी ने लंड को ब़ड़े प्यार से पकड़ कर सहलाया और झुक कर सुपारी को चूम लिया सुपारी के छेद पर आई पानी की एक बूंद को उसने जीभ पर ले लिया और सटक लिया।

हूँ तेरा तेल भी स्वादिष्ट है राजे तू बहुत ज़्यादा गरम हो रहा है जल्दी खलास हो जायेगा आ मैं तेरी गर्मी कुछ कम कर देती हूँ मालिनी रानी ने नीचे की तरफ सरक कर अपना मुंह बिल्कुल लंड के सामने कर लिया और झुक के गप से लंड की सुपारी अपने मुंह में ले ली पहले तो उसने ब़ड़े दुलार से पूरी सुपारी के चारों तरफ जीभ घुमाई लंड को बाहर निकला खाल पीछे करके टोपा पूरा नंगा कर दिया सिर्फ टोपा मुंह के अंदर ले कर मालिनी रानी ने खाल ऊपर नीचे करना शुरू किया।

उसका मुंह बहुत गरम था और तर भी  लंड के मज़े लग गये अचानक मालिनी रानी ने जीभ की नोक सुपारी के छेद में घुसाने की कोशिश की हालांकि जीभ ज्यादा अंदर घुस नहीं पाई पर जितनी भी घुसी उससे मेरे पूरे बदन में एक सरसरी सी दौड़ गई मज़े की पराकाष्ठा हो चली थी उसने तेज़ तेज़ लंड को हिलाना शुरू कर दिया उसकी जीभ कमाल का आनन्द दे रही थी। 

कभी वह अपनी गरम गरम राल से तर जीभ टोपे पर घुमा घुमा कर चाटती और कभी वह दुबारा जीभ को मोड़ कर नोक लंड के छेद में डाल के एक तेज़ करंट मेरे बदन में फैला देती यकायक मालिनी रानी ने मेरे दोनों अण्डकोश थाम लिये और लंड पूरा का पूरा मुंह में घुसा लिया वह ब़ड़े प्यार से अंडों को सहला रही थी और तेज़ तेज़ सिर को आगे पीछे करती हुई लंड को अंदर बाहर कर रही थी उसके घने बाल इधर उधर लहरा रहे थे मेरी मज़े के मारे गांड फटी जा रही थी।

मैं बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर बढ़ रहा था मेरी साँसें तेज़ हो चली थीं और माथे पर पसीने की बूंदें झलक आईं थीं मालिनी रानी ने रफ़्तार और तेज़ कर दी उसे अहसास हो गया था कि मैं जल्दी ही झड़ सकता हूँ मालिनी रानी का मुंह उसके मुख-रस से लबालब था लौड़ा अंदर बाहर जब होता तो सड़पसड़पसड़प की आवाज़ें निकलती थीं।

मालिनी रानी ने मेरे लंड और गांड के बीच में जो मुलायम सा भाग होता है उसे ज़ोर से दबा दिया उसने अपने दोनों अंगूठे उस कोमल जगह पर गाड़ दिये एकदम से एक तेज़ गरम लहर मेरी रीढ़ से गुज़री मेरे मुंह से एक ज़ोर की सीत्कार निकली और मैं झड़ा मैंने मालिनी रानी के बाल जकड़ कर एक ज़ोरदार धक्का मारा लंड बड़ी तेज़ी से उसका पूरा मुंह पार करता हुआ धड़ाम से उसके गले से जाकर टकराया ऊँची ऊँची सीत्कार की आवाज़ें निकलता हुआ। 

मैं बहुत धड़ाके से झड़ा लौड़े ने बीस पचीस तुनके मारे और हर तुनके के साथ गरम वीर्य के मोटे मोटे थक्के मालिनी रानी के मुंह में झाड़े कई दिनों का जमा हुआ मक्खन निकल गया मैं बिल्कुल निढाल होकर बिस्तर पर फैल गया और अपनी सांसों को काबू पाने की चेष्टा करने लगा मेरा लंड झड़ कर मुरझा चुका था और मालिनी रानी की लार व मेरे लेस की बूँदों से लिबड़ा एक तरफ को पड़ा हुआ था।

ऊँची ऊँची सीत्कार की आवाज़ें निकलता हुआ मैं बहुत धड़ाके से झड़ा लौड़े ने बीस पचीस तुनके मारे और हर तुनके के साथ गरम वीर्य के मोटे मोटे थक्के मालिनी रानी के मुंह में झाड़े कई दिनों का जमा हुआ मक्खन निकल गया मैं बिल्कुल निढाल होकर बिस्तर पर फैल गया और अपनी सांसों को काबू पाने की चेष्टा करने लगा।

मेरा लंड झड़ कर मुरझा चुका था और मालिनी रानी की लार व मेरे लेस की बूँदों से लिबड़ा एक तरफ को पड़ा हुआ था मालिनी रानी ने सारा वीर्य पी लिया था और फिर उसने मेरे लौड़े को चाट चाट कर अच्छे से साफ किया नीचे से ऊपर तक मालिनी रानी ने लंड के निचले भाग में जो मोटी सी नस होती है उसे दबा दबा कर निचोड़ा लेस की एक बड़ी बूंद टोपे के छेद से निकली। 

जिसे उसने जीभ से उठाया और पी लिया अब वह मेरे बगल में आकर लेट गई और प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी राजे तुमने इतना तगड़ा धक्का क्यों मारा मेरे मुंह में अगर मेरा गला फट जाता तो मालिनी रानी ने गुस्से का नाटक करते हुए फुसफुसाई नहीं रानी नहीं फटता गला जब मेरी बीवी का नहीं फटा तो तेरा क्यों फटता मुझे पता था कुछ भी नहीं होगा मैं बोला।

अच्छा जी तुम्हारी पत्नी भी चूसती है इस भोले-भाले को उसने मेरे लौड़े को प्यार से हिलाते हुए कहा- तुम रोज़ इश्क़ लड़ाते हो मैं तो पूरी कोशिश करता हूँ कि दिन में कम से कम दो बार तो चुदाई करूँ पर रोज़ तो नहीं हो पाती दो बार रोज़ एक बार तो पक्का और अंदाज़न हफ़्ते में तीन दफे दो बार और एक आध बारी तीन दफे भी। 

हायमेरे चोदू राजा कितना चुदक्कड़ है तू तो उसके मेंसेस में क्या करता है हाथ से झाड़ता है क्या मालिनी रानी ने एक चुम्मी लेकर कहा नहीं मालिनी रानी जब उसके पीरियड होते हैं तो वह लंड को चूस चूस के खलास करती है उसे बहुत मज़ा आता है मेरा लंड चूसने में जब मैं झड़ता हूँ तो कुछ वह पी लेती है और कुछ वह अपने चेहरे पर मल लेती है क्रीम की तरह।  

वह कहती है कि यह हर क्रीम से बेहतर होता है ठीक है मैं भी ट्राइ करूँगी पर तेरे रस से करूँगी अपने उस चूतिए पति के वीर्य से नहीं  मालिनी रानी ने कहा क्यों उसके लंड म़ें कांटे लगे हैं क्या मैंने पूछा बस मेरा जी नहीं मानता वह इश्क़ लड़ाने के बाद अपना लंड साबुन से साफ करता है जैसे किसी गंदी चीज़ से छू गया हो कभी मेरी योनि नहीं चूसता ऐसा दिखाता है कोई गंदी वस्तु है। 

फिर मैं क्यों उसका वीर्य पीऊँ या मुंह पर मलूँ क्यों ठीक है या नहीं मालिनी रानी अपने नालायक पति से बहुत नाराज़ थी साला गांडू  इतनी सुन्दर औरत मादरचोद इसकी बुर नहीं चूसेगा तो बदनसीब है चूत नहीं चूसता  मेरा बस चले तो घंटों मालिनी रानी की चूत चूसता रहूँ चल मां चुदवाने दे उस हरामी को तू अब खड़ी हो जा ताकि मैं तुझे अच्छे से निहार सकूं। 

मालिनी रानी खड़ी हो गई मादरजात नंगी  खड़ी होकर उसने बिल्कुल फिल्मी लड़कियों की तरह अंगडाई सी लेते हुए का पोज़ बनाया फूली हुई दूध से भरी चूचियाँ अपने निप्पल सीधे सामने की ओर निशाना साधे मेरे तन बदन में ज्वाला भड़काये जा रही थी वह एक जन्नत से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी  क्या बदन था उसका अंग अंग बेहद खूबसूरत था।  

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कामुकता मालिनी रानी के रोम रोम से टपक रही थी उसने शरारत से एक चूची का निप्पल दबाया और दूध क़ी एक छोटी सी धार मेरे मुंह की तरफ मारी अब तक तो मेरा लंड फिर से अकड़ने लगा था अबकी बार उसने दूध क़ी एक बौछार मेरे खड़े लौड़े क़ी ऊपर मारी मेरा लंड पूरा अकड़ चुका था उस बला की सेक्सी औरत को निहारते हुए अभी तो उसने सिर्फ लंड चूसा था। 

जिसमें उसने बेतहाशा मज़ा दिया जब चुदेगी तो क्या हाल होगा मैंने हाथ बढ़ा के मालिनी रानी को अपनी तरफ खींच लिया मैं उसे सिर से पैर तक चूसना और चाटना चाहता था मैं उसकी चूत का रस पीना चाहता था सबसे पहले मैंने उसके सुन्दर मुलायम पैरों को चाटा दोनों अंगूठे और आठों उंगलियाँ मुंह में लेकर चूसीं इतना मज़ा आ रहा था जिसका कोई हिसाब नहीं।

उसने भी आनन्द लेते हुए हल्की हल्की सीत्कार भरनी शुरू कर दी उन खूबसूरत दिलकश टांगों को चाटता चूमता हाथ फेरता हुआ मैं उसकी चूत तक जा पहुंचा टांगें चौड़ी कर पहले तो मैंने उसके यौन प्रदेश को बड़े प्यार से निहारा उसकी गहरे भूरे रंग की घनी झांटें मानो मुझे न्योता दे रही थीं मैंने अपनी नाक उन झांटो में रगड़ी तो मालिनी रानी ने मज़े में एक गहरी सिसकी ली साफ दिख रहा था कि उसकी उत्तेजना बढ़े जा रही थी। 

उसके बदन ने धीरे धीरे मचलना भी शुरू कर दिया था गोरी गुलाबी और बेहद दिलकश रस से तर चूत के होंठ चौड़े कर के मैंने अपनी जीभ इधर उधर घुमाई तो उसके बदन में एकदम से हलचल सी मच गई- हायराजे हाय अब और न तड़पाओ उसने मुंह भींच कर बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकाली और फिर एक गहरी सीत्कार भरी मैंने जल्दी से जीभ उसकी चूत में घुसाई चूत लबालब रस से भरी हुई थी।

जीभ घुसाते ही ढेर सारा चूत रस मेरे मुंह में आ गया उसकी चूत जैसे चू रही थी मालिनी रानी की जाँघें भी भीग गई थीं उसके रस के बहाव से साफ दिख रहा था था कि चन्दारानी बेहद उत्तेजित हो चुकी थी और चूदाने को बिल्कुल तैयार थी मैंने हुमक हुमक के उस सुहानी चूत को पीना शुरू कर दिया मालिनी रानी अब तड़पने लगी थी उसके गले से भिंची भिंची सी सीत्कार निकल रही थी।

वह अपनी टांगें कभी इधर कभी उधर कर रही थी चूत बराबर लप लप कर रही थी और रस उगले जा रही थी मेरा लंड अब फटने की हालत में हो रहा था मालिनी रानी भी बेकाबू हो गई थी यकायक उसने दोनों टांगें इतनी ज़ोर से भींचीं कि मेरी सांस ही रुक गई फिर भी मैंने जीभ चूत से बाहर न निकाली बस राजेबस अब नहीं सहन होता राजे तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ। 

अब और न तरसाओ बस आ जाओ फ़ौरन हाय अम्मा मैं मर जाऊँहाँहाँहाँ इसके साथ ही वह झड़ गई और बहुत ज़ोर से झड़ी उसने आठ दस बार अपनी टांगें भींचीं और खोलीं रस की फुहार चूत से बह चली मैं सब का सब पीता गया क्या गज़ब का स्वाद था उस चिकने चूतामृत का मैंने उठ कर मालिनी रानी को घसीट कर बिस्तर पर डाल दिया और उसकी टांगें चौडी कर दीं। 

मैं अब धधकता हुआ लौड़ा घुसेड़ने को तैयार था तभी मालिनी रानी ने मुझे रुकने का इशारा किया उसने उठ कर मेरी छाती पर दोनों हाथ रख के मुझे लिटा दिया और ख़ुद मेरे ऊपर चढ़ गई अपने घुटने मेरी जाँघों के दोनों साइड में टिकाकर उसने चूत को ऐन लौड़े के ऊपर सेट किया और धीरे धीरे नीचे होना शुरू किया लंड अंदर घुसता चला गया। 

अभी आधा लंड ही घुसा था कि मालिनी रानी ने वापस चूत को ऊपर उठाकर लंड को बाहर किया सिर्फ सुपारी अंदर रहने दी राजेएएए आवाज़ लगते हुए वह धड़ाक से लौड़े पर बैठ गई लंड बड़ी तेज़ी से चूत में घुसता चला गया और धम्म से जाकर उसकी बच्चेदानी के निचले भाग से टकराया एक बार तो उसकी चीत्कार सुन कर मैं डरा कि कहीं बच्चेदानी फट न गई हो लेकिन वो तो दर्द की नहीं बल्कि मज़े की चीत्कार थी। 

उसकी चूत एक बार मां बनने के बद भी काफी कसी थी एक बिना बालक जने लड़की की बुर जैसी कसी तो नहीं लेकिन मेरे लंड को ठीक ही जकड़े हुए थी मालिनी रानी ने कमर आगे की तरफ झुकाते हुए खुद को मेरे से चिपका लिया उसका सिर मेरी ठुड्डी पर टिका था और चूचे मेरी छाती को दबा रहे थे दबाव से दूध निकल निकल कर मेरी छाती को भिगोये जा रहा था।

लंड चूत के अन्दर चूत के ऊपरी भाग को कस के दबा रहा था जिससे भग्नासा अच्छे से दब दब के उसे बेइंतिहा मज़ा दे रही थी मालिनी रानी ने अपने को थोड़ा और आगे सरकाया उसका मुंह बिल्कुल मेरे मुंह पर आ गया चूत भी थोड़ी सी आगे सरकी तो लंड और भी कस के चूत में फंस गया अब भग्नासा पर लंड का पूरा दबाब था।

मेरे होंठ चूसते हुए मालिनी रानी मेरे कानों में फुसफसाई- राजे तू एक बार खलास हो चुका है और मैं भी अब धीरे धीरे इश्क लड़ाएंगे तू बस आराम से पड़ा चुदाई का मज़ा लूट देख मैं तुझे जन्नत की सैर कराती हूँ इतना कह के मालिनी रानी ने मेरे मुंह में जीभ घुसा के बहुत देर तक प्यार दिया उसका मुखरस पी पी के मैं तृप्त हुआ जा रहा था। 

वो अपने चूतड़ अत्यंत ही धीरे धीरे घुमा रही थी कभी वो कमर आगे करती तो कभी पीछे कभी कमर उछालती और कभी अचानक बड़े ज़ोर का धक्का मारती कभी वो पूरा का पूरा लंड बहर निकाल कर दुबारा चूत में धड़ाम से घुसाती और कभी वो सिर्फ चूत को लप लप करते हुए लंड को ज़बरदस्त मज़ा देती मालिनी रानी वाकयी में चुदाई की अनिभवी खिलाड़िन थी जब वो तेज़ तेज़ धक्के मारती।

तो फचकफचकफचफचफचफच की आवाज़ कमरे में गूंज उठती अगर कोई बाहर खड़ा सुन रहा होता तो फौरन जान जाता कि यहाँ ज़ोरदार चुदाई चल रही है इसी तरह हम बहुत समय तक चोदते रहे तेज़ बहुत तेज़ धीरे बहुत धीरे उसके नितम्ब कभी गोल गोल घुमाते हुए तो कभी दायें बायें हिलाते हुए चुदाई धकाधक हुए जा रही थी।

राजे और दूध पियेगा? मेरा दिल कर रहा है तुझे चोदते चोदते दूध पिलाने का मालिनी रानी ने मेरे कान में कहा और फिर मस्ती में आकर मेरे कान को हौले से काट लिया उसका बदन बहुत गर्म हो गया था ठरक से सराबोर उसका चेहरा लाल हो गया था और पसीने की छोटी छोटी बूँदें उसके माथे पे छलक आई थी अरे रानीअंधा क्या चाहे दो आँखें  मैंने कहा।

सचमुच एक अति कामुक स्त्री का चुदाई करते हुए दूध पीने के ख्याल से ही मेरी ठरक बेतहाशा बढ़ गई थी यह मैंने पहले कभी नहीं किया था तुरन्त ही मैंने मालिनी रानी को कंधों से पकड़ कर थोड़ा सा ऊपर उठाया और खुद उचक कर कोहनियों पर खुद को टिकाया दूध से भरे हुए फूल के कुप्पा हुए उसके चूचे किसी भी मर्द के तन बदन को आग लगा सकते थे। 

मैंने अपना मुंह खोल दिया पूरा पूरा  मालिनी रानी ने एक चूची मेरे मुंह में घुसा दी और दूसरी चूची की निप्पल उमेठने लगी मेरे मुंह में घुसी निप्पल उसकी चरम सीमा तक बढ़ी कामवासना के कारण बहुत सख्त हो चली थी मैंने जैसे ही उसकी अकड़ी निप्पल पर जीभ घुमाई एक हल्की सी चीख उसके गले से निकली कराहते हुए बोली- कचूमर निकाल दे राजे इस कम्बख्त चूची का आज तो चटनी बना ही दे इसकी हरमज़ादी ने जान खींच रखी है मेरी हाँ राजा हाँ.पीस डाल।

मैंने तुरन्त निप्पल को कस के काटा और फिर अपने दाँत चूची में गाड़ दिये मालिनी रानी ने चिहुंक के सीत्कार भरी दूध की धारा बह चली मेरे मुंह में  मैंने दांत गाड़े रखे मालिनी रानी ठरक से पागल होकर अब बहुत तेज़ तेज़ धक्के मार रही थी मैंने पहली चूची छोड़ के दूसरी चूची में कस के दांत गाड़े काम वासना के आवेश में भरी हुई मालिनी रानी अब हुमक हुमक के धक्के लगा रही थी। 

वो स्खलन से ज़्यादा दूर न थी दूध पीता ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा लूटता यह चूतनिवास भी तेज़ी से झड़ने की ओर बढ़ रहा था फच फच फच फच की आवाज़ से कमर भर उठा मालिनी रानी अब बिजली की तेज़ी से अपनी कमर कुदा कुदा के धक्के मार रही थी उसकी सांस फूल गई थी और गले से भिंची भिंची सीत्कार निकल रही थी। 

उसका पूरा बदन तप गया था जैसे कि 104 का बुखार हो सारा शरीर पसीने से भीग गया था मैं भी पसीने में लथपथ था मालिनी रानी ने सिर्फ सुपारी चूत में छोड़कर पूरा लंड बाहर निकाला और एक बहुत ही ताकतवर धक्का मारा जिससे मेरा 8 इन्च का मोटा लौड़ा दनदनाता हुआ बुर में जा घुसा उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गड़ा दिये और झर झर झर झर झड़ने लगी। 

हाय हाय करते हुए फिर से आठ दस तगड़े धक्के मारे और हर धक्के में झड़े चली गई उसके मुंह से सीत्कार पर सीत्कार निकल रहे थे रस की फुहार चूत में बरस उठी मालिनी रानी बेहोश सी मेरे ऊपर ढेर हो गई मालिनी रानी ने सिर्फ सुपारी चूत में छोड़कर पूरा लंड बाहर निकाला और एक बहुत ही ताकतवर धक्का मारा जिससे मेरा 8 इन्च का मोटा लौड़ा दनदनाता हुआ बुर में जा घुसा।

गाड़ी सीखने के चक्कर में दे बैठी चूत-Antarvasna Sex Story

उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गड़ा दिये और झर झर झर झर झड़ने लगी हाय हाय करते हुए फिर से आठ दस तगड़े धक्के मारे और हर धक्के में झड़े चली गई उसके मुंह से सीत्कार पर सीत्कार निकल रहे थे रस की फुहार चूत में बरस उठी मालिनी रानी बेहोश सी मेरे ऊपर ढेर हो गई उसके गरम गरम चूत रस में डूबकर मेरे लंड का भी सबर टूट गया। 

मालिनी रानी की कमर जकड़कर मैंने भी दन दन दन अपने चूतड़ उछाल उछाल कर कई ज़बरदस्त धक्के लगाये और बड़े ज़ोर से मैं भी स्खलित हो गया बार बार तुनके मारते लंड ने खूब ढेर सारा लावा मालिनी रानी की चूत में उगल दिया गहरी गहरी साँसें लेता हुआ मैं भी बिल्कुल मुरझाया सा पड़ा था और मालिनी रानी मेरे ऊपर पड़ी थी अब उसकी सांस भी काबू में आ चुकी थी। 

जब हमारी कुछ तबीयत काबू में आई तो मालिनीरानी उठी और बड़े प्यार से मुझे चूमा फिर उसने पहले की तरह़ चाट चाट कर मेरा लंड अंडे झांटें वगैरा की सफाई की और एक तौलिये से अपना यौन प्रदेश साफ किया फ़िर रसोई में जाकर दो थम्स अप से भरे गिलास लेकर आई दोनों लिपट कर धीरे धीरे चुस्कियाँ भरने लगे वह एक चुसकी लेकर मेरे मुंह में कोल्ड ड्रिंक डालती और मैं चुसकी लेकर उसके मुंह में डालता ऐसा प्यार का खेल खेलते हुए कोल्ड ड्रिंक खत्म की।

राजेतूने बहुत मज़ा दियातू बहुत बढ़िया चोदू है जल्दी खलास भी नहीं होता तेरे वीर्य का स्वाद कितना अच्छा है आज तो राजे तूने मुझे खुश कर दिया कब से प्यासी मरी जा रही थी अब मैं तुझे अपना स्वर्णरसपान कराऊँगी जिससे तू मुझे सदा प्यार करेगा  मालिनी रानी ने कहास्वर्णरसपान क्या होता है मैंने उसे चूमते हुए पूछा।

तुझे नहीं पता? तेरी पत्नी ने कभी नहीं पिलाया तुझे अपना स्वर्णामृत?शायद उसे मालूम नहीं होगाबहुत कम लड़कियाँ जानती हैं इसके बारे में यह वो रस है जिसे पीकर मर्द उस लड़की का गुलाम बन जाता है तू बनेगा ना मेरा गुलाम राजे हाँ हाँ मैं तो हमेशा तेरा गुलाम रहूँगा अब जल्दी से स्वर्णरस पिला मेरा दिल रुक नहीं पा रहा स्वर्णारस चखने को। 

मालिनी रानी बिस्तर पर टांगें चौड़ा के बैठ गई उसने अपनी पैर नीचे फर्श पर रख दिये और बोली- चल राजे अब तू ज़मीन पर बैठ जा और अपना मुंह मेरी फ़ुद्दी से सटा ले मैंने वैसा ही किया चूत से मुंह लगाते ही मेरा नथुने उसकी बुर की खास गंध से भर गये खुशबू पहचानते ही लंड हुमक के अकड़ गया और तुनक तुनक के अपनी प्यारी चूत को सलामी देने लगा। 

मालिनी रानी ने मेरा सिर पकड़कर मेरा मुंह बुर के होंठों से सटा दिया और कहा कि मैं मुंह पूरा खोल के रखूँ मैंने उसके हुक्म के मुताबिक मुँह खोल दिया कुछ ही क्षणों के बाद दो तीन बूंदें मेरे मुंह में टपकीं यह गरम गरम नमकीन खट्टा सा पानी था जो मुझे बेहद स्वादिष्ट लगा जैसे ही मैं उसको निगला उसी पानी की एक धारा मेरे मुंह में गिरनी शुरू हो गई।

तो यह था स्वर्णरस  तुरंत ही मैं समझ गया कि यह उसका मूत्र है तभी उसे स्वर्णारस कह रही थी क्योंकि मूत्र स्वर्ण जैसे रंग का होता है ना मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि जिसका कोई हिसाब नहीं मैं खुद अचंभे में था कि मूत्र पी कर इतना आनन्द आ सकता है क्या गज़ब का स्वाद था मैं तो सारा जीवन मालिनी रानी का गुलाम बनने को उत्सुक था। 

मालिनी रानी ने अब तेज़ धार निकाली जिसे मैं खुशी खुशी पीता चला गया एक बूंद भी मैंने नीचे नहीं गिरने दी जब सारा का सारा स्वर्णामृत व़ह निकाल चुकी तो उसने मुझे उठ कर अपने से सट कर बैठने को कहा मैं तो उसके स्वर्णामृत के नशे में चूर था मज़े से भरा हुआ मैं तो पूरा मस्त था मैंने यह स्वर्णामृत अभी तक अपनी पत्नी का क्यों नहीं चखा मुझे तो पता ही नहीं था। 

इतनी उत्तम चीज़ का मस्ती के खुमार में मैं उठा और चन्दारानी के बगल में जा बैठा उसने मुझसे लिपट लिपट कर बार बार चूमा बोली- राजे तू अब मेरा गुलाम बन गया तुझे पता है लड़कियाँ उसी मर्द को पूरा मज़ा देती हैं जो इश्क़ लड़ने में उनका गुलाम बनकर रहता है तुझे मैंने पूरा मज़ा दिया या नहीं? लड़कियाँ अपना कचूमर भी उसी मर्द से निकलवाती हैं जो जब वो कहें तभी उनको वहशियों की भांति नोच खसोट के चोद दें अपनी मर्ज़ी से नहीं। 

मैं तो मालिनी रानी के स्वर्णामृत का पान करके धन्य हो चुका था मैं बिल्कुल उसका जीवन भर गुलाम बन जाने को तत्पर था वह कहे तो कुएं में कूद जाऊँ  आजा मेरे राजा बेटे  मालिनीरानी की आवाज़ मेरे कान में पड़ी- तू थक गया होगा चल तुझे अपना दूध पिला के ताक़त दूं आजा मेरी गोदी में मेरे गुलाम मेरा गुलाम बेटाआ आ  मलिनी रानी चौकड़ी मर के बैठ गई थी।

उसकी उन्नत दूध से भरपूर और मर्दों के क़ातिल चूचियाँ मुझे न्योता दे रही थी मैं चुपचाप उठा और मालिनी रानी की गोद में लेट गया उसने झट से एक चूची मेरे मुँह में घुसा दी और मेरे सिर थाम लिया जैसे वो अपने बच्चे का सिर थामती थी दूध पिलाते हुए मैंने तुरन्त चूची चुसनी शुरू कर दी और मज़े से दूध पीने लगा साथ ही दूसरी चूची की निपल को उमेठने लगा मालिनी रानी मेरे लंड से खेल रही थी।

साला हरामी लंड  फिर से खड़ा हो गाया था मैंने बारी बारी से दोनों चूचियाँ पी पी के दूध खाली कर दिया मालिनी रानी भी गरम हो चली थी मैंने दोनों चूचियों कस के भींच लीं और ज़ोर से उनको निचोड़ने लगा मालिनी रानी सीत्कार पर सीत्कार भर रही थी इतनी ताकत से निचुड़ निचुड़ कर अब चूचियों की सख्ती कम हो गई थी लेकिन ठरक बेतहाशा बढ़ जाने से वो बहुत गर्म हो चली थी।

राजे अब तू मेरी घोड़ी की तरह चुदाई कर इतना कह के मालिनी रानी बिस्तर से उतर गई दोनों टांगे चौड़ी करके खड़ी हुई और आगे झुक कर दोनों हाथ बिस्तर पर टिका लिये फिर उसने अपने मुलायम मांसल और चिकने चिकने नितम्ब पीछे को उठा दिये पहले तो मैंने बैठ कर खूब जी भर के वह दिलकश नितम्ब सहला सहला के चाटे जिस पर मालिनी रानी ने मस्ता के सीत्कार भरे उसकी ठरक अब बहुत बढ़ चुकी थी। 

उससे अब रुका नहीं जा रहा था बार बार जल्दी से चोदने को कह रही थी मेरा लौड़ा भी ज़ोर से तन्नाया हुआ चूत में घुसने को बेताब हो रहा था मैंने मालिनी रानी की कमर पकड़ कर लौड़े को ठीक से सेट किया चूत के मुंह पर और हचक के धक्का मारा लंड जड़ तक उसकी रस से लबलब चूत में गड़ गया मालिनी रानी ने मज़े की एक किलकारी मारी मैंने पीछे से उसकी चूचे कस के पकड़ लिये। 

और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा मैं उसकी चूचियों को दबा कर मसल रहा था मालिनी रानी मस्ती में डूबी मेरे धक्के से धक्का मिला कर अपने नितम्ब ऊपर नीचे कर रही थी उसके खुले हुए भूरे केश इधर उधर लहरा रहे थे करीब आधा घंटा इसी प्रकार चोदने के बाद मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी मालिनी रानी की चूत से रस बह बह कर उसकी जांघों तक को गीला कर चुका था। 

वह बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर अग्रसर थी मुझे भी अपने टट्टों में दबाव बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था लंड में एक सुरसुरी सी आगे पीछे दौड़ रही थी हम दोनों के शरीर खूब गरमा गये थे चुदाई की अलग अलग आवाज़ें जैसे कि लंड अन्दर बाहर होने की फच फच कभी मेरे कभी उसके मुंह से निकलने वाली सांसें हां हां हाय हाय उई उई इत्यादि काफी शोर मचा रही थीं मैं हैरान था कि बच्चा सोये जा रहा था।

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अब जल्दी जल्दी कर राजे तू सच में बहुत तरसाता हाय अब बस कर और न तड़पा अपनी मालिनी रानी को मालिनी रानी के बदन में एक तेज़ कंपकंपी आई और मैंने एक के पीछे एक धम धमा धम धम बहुत सारे ज़ोरदार धक्के मारे चरम आनन्द में पगला कर उसके मुंह से एक चीख़ निकली और मालिनी रानी धड़ाक से झड़ी मैं धकाधक धक्के लगाये जा रहा था। 

कुछ ही देर में मेरे अन्दर एक बिजली सी कौंधी और मैं भी हैं हैं करता हुआ स्खलित हुआ मेरे लंड से लावे जैसे गर्म गर्म वीर्य ने उसकी चूत को भर दिया अब तक तो मालिनी रानी कई दफे झड़ चुकी थी हम दोनों एक दौड़ के बाद घोड़े की तरह हांफ रहे थे मालिनी रानी तो बिस्तर पर लुढ़क गई मैं भी मुर्झाया सा उसकी बगल में गिर गया। 

दस पंद्रह मिनट के बाद मालिनी रानी की हालत काबू में आ गई तो उसने उठ कर पहले तो अपनी चूत को तौलिये से पोंछ पोंछ कर साफ किया और फिर उसने मेरा मुरझाया हुआ लंड चाट चाट के साफ किया लंड की नस निचोड़ निचोड़ के उसने वीर्य की दो बूंदें बाहर निकाल ही लीं उसने उन बूँदों को क्रीम की तरह मसल मसल के अपने चेहरे पे मल लिया।

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