सहेली को चुदवाया अपने बॉयफ्रेंड से-Hindi Sex Story

सहेली को चुदवाया अपने बॉयफ्रेंड से

अंकिता और सौम्या एक दूसरे की पक्की सहेलियां थी अपनी समस्याएँ खुशियाँ सुख-दुःख एक दूसरे को बताती थीं यहाँ तक की बायफ्रेंड के साथ कहाँ गयीं उन्होंने उनके साथ क्या-क्या किया किसको कैसा लगा भी- दोनों किसी से कुछ नहीं छुपाती थीं दोनों एक कालेज में पढ़ती थी और दोनों के घर भी पास-पास थे। 

कुछ दिनों बाद सौम्या का अपने बायफ्रेंड रिंकू से झगड़ा हो गया उसे पता चला की रिंकू का किसी और लड़की के साथ भी चक्कर चलता है उससे अलग होने के बाद सौम्या बहुत उदास उखड़ी-उखड़ी रहने लगी बेचारी न ढंग से खा रही थी न पढ़ पा रही थी अंकिता ने उसे बहुत हिम्मत दी उससे अपने घर खाना खिलाती घुमती फिराती। 

उसका जी बहलाती कुछ समय बाद सौम्या सामान्य होने लगी लेकिन अभी भी वो लड़कों से दूर रहती थी उसका लम्बा कद दुबला पतला आकर्षक फिगर शफ्फाक गोरा रंग मुलायम रेशमी लम्बे-लम्बे बाल गुलाब से कोमल होट बादाम सी बड़ी बड़ी काली आँखें थीं इसके चलते कालेज में गली मोहल्ले में उसे कितने लड़के लाइन मारते थे। 

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वो अपने कालेज की सबसे सुन्दर लड़कियों में से थी और वहां पर सौंदर्य प्रतियोगिता भी जीत चुकी थी इधर अंकिता बिलकुल सामान्य लड़की थी एक दिन सौम्या अंकिता से मिलने शाम को उसके घर पुलिस लाईन्स आई अंकिता के पापा पुलिस में दरोगा थे लेकिन उस वक़्त उसके मम्मी-पापा और बड़ा भाई कहीं गए हुए थे। 

सौम्या ने अंकिता के घर का दरवाज़ा खटखटाया – वो अंकिता को बिना बताये आई थी अंकिता ने दरवाज़ा खोला उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं और वो अपने बालों को संभाल रही थी सौम्या को देखते ही अंकिता ने चैन की सांस ली अरे तुम हो बता कर नहीं आ सकती थीं मेरी तो जान ही निकल गयी क्यूँ भाई बिना बताये नहीं आ सकती तुमसे मिलने कौन सा पहाड़ टूट गया और इतनी घबरायी हुई क्यूँ हो।

अरे अन्दर तो आओ अभी बताती हूँ  अंकिता ने सौम्या को अन्दर खींचा और दरवाज़ा अन्दर से बंद किया अंकिता ने दबी आवाज़ में मुस्कुराते हुए बताया मेरा बायफ्रेंड आया है उसी के साथ बिज़ी थी अब सौम्या भी मुस्कुराने लगी ओहो तो ये बात है हिरोइन अपने हीरो के साथ लगी पड़ी थी लगता है अंकल-आंटी और अरुण (अंकिता का भाई) कहीं गए हुए हैं मैं वापस जाऊं क्या।

अरे नहीं मिलती तो जाओ अंकिता ने रोका हाँ क्यूँ नहीं वैसे भी तुमने मुझे अभी तक नहीं बताया उसके बारे में सौम्या ने शिकायत भरे लहज़े में बोला और उसके गाल पर हलकी सी चपत लगा दी अंकिता ने उसे ड्राइंग रूम में बिठाया और अन्दर चली गयी उसने उसे कहते सुना: आ जाओ मेरी सहेली है कोइ डरने की बात नहीं जब अंकिता का ड्राइंग रूम में दाखिल हुआ सौम्या उसे देख के भौंचक्की रह गयी।

वह तो अंकिता का पड़ोसी था सौम्या उसे पहले से जानती थी- अंकिता के घर आते जाते दोनों की नज़रें अक्सर एक दूसरे से चार होती थी: वह भी पुलिस में था शायद हवालदार और सौम्या को घूर-घूर के देखता था जैसे उसे कच्चा चबा जायेगा हालाकी सौम्या को इसकी आदत पड़ चुकी थी ज़्यादातर लड़के उसे ऐसे ही घूरते थे।

सौम्या ने उसपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया फिर भी उसका डील-डौल रंग रूप उसकी नज़र से बचता नहीं था- वो कम-से-कम छः फुट दो इंच लम्बा चौड़ा हट्टा-कट्टा मर्द था उम्र लगभग छब्बीस-सत्ताईस की रही होगी रंग किसी अफ्रीकी के जैसा काला घनी-घनी मूछें आज सौम्या उसे ध्यान से देख रही थी तभी अंकिता की आवाज़ ने ध्यान भंग किया तुमने शायद इनको पहले भी देखा होगा ये यहीं बगल में रहते हैं।

सौम्या औपचारिकता से हलके से मुस्कुरायी और बोली हाँ वो आश्चर्यचकित थी- अंकिता का पड़ोसी उम्र में कम से कम उससे छः-सात साल बड़ा होगा शायद शादी-शुदा भी हो अंकिता का चक्कर इसके साथ कैसे चल रहा है वो मन ही मन सोच रही थी की तभी अंकिता ने परिचय कराया: ये कृष्णकांत हैं मेरे बगल वाले क्वार्टर में रहते हैं।

कृष्णकांत सौम्या को पहले की तरह घूर रहा था सौम्या की समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या कहे उसने विदा लेना ही ठीक समझा वो घर चली आई अगले दिन कालेज जाते समय रस्ते में सौम्या ने अंकिता से सवाल जवाब करना शुरू कर दिया क्यूँ री तेरा उसके साथ कब से चक्कर चल रहा है मुझे पता तक नहीं अंकिता मुस्कुरा दी यही कोइ तीन चार महीनों से तुम्हे बताने ही वाली थी।

सौम्या ने नक़ल उतारी  ‘बताने ही वाली थी’ तुम्हे और कोइ नहीं मिला था वो कितना बड़ा है हम दोनों से और ऊपर से काला-कलूटा पूरा राक्षस तुम बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ रहोगी अंकिता मुस्कुराती हुई बोली मेरा कोइ लव-अफेयर थोड़े चल रहा उसके साथ बस हम दोनों मस्ती करते हैं हे भगवान मस्ती करने के लिए भी ऐसा ही मिला था’ अंकिता भौंचक थी क्यूँ क्या खराबी है उसमे अंकिता ने पूछा।

खराबी बिलकुल काला कलूटा डील डौल तो देखो जैसे डब्लू डब्लू ऍफ़ का पहेलवान हो और ऊपर से उम्र में कितना बड़ा होगा वो तुमसे सौम्या बोली अंकिता की हंसी निकल गयी काले से डर गयी पागल रंग पर मत जा ऐसे बांका मर्द मैं आज तक नहीं देखा- लम्बा चौड़ा हट्टा-कट्टा उसके साथ मज़ा भी बहुत आता है बहुत तजुर्बेकार है उस सब में अभिषेक (अंकिता का पुराना बायफ्रेंड जो अब अजमेर में था) तो उसके सामने फिसड्डी लगता है।

सौम्या अब मुस्कुराती हुई अपनी सहेली की शकल देख रही थी असली मर्द तो मुझे वही लगा ऐसे दबोचता है की पूछो मत और उसका ‘वो’ भी बहुत बड़ा है अंकिता ने शैतानी मुस्कान के साथ अपनी बात खत्म की सौम्या खींसे निपोरती हुई बोली चल वो तुमसे उम्र कितना बड़ा होगा उसकी तो शादी भी हो चुकी होगी उसकी उम्र है सत्ताईस साल शादीशुदा है और तीन साल के लड़के का बाप भी और कुछ।

सौम्या का मुंह खुला रह गया हाय तुम्हे शर्म नहीं आती और कोइ नहीं मिला था इसमें शर्म की क्या बात है कौन सा मुझे उससे शादी करनी है न मुझे उसके परिवार से कोइ लेना देना है बस हम दोनों मस्ती कर रहे हैं अंकिता ने सफाई दी हे भगवान सौम्या के मुह से सिर्फ इतना निकला तुम बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ रहोगी ज़िन्दगी प्रेक्टिकल तरीके से जी जाती है। 

तुमने उस रिंकू के ग़म में खाना पीना छोड़ दिया तुम्हारा वज़न कितना घट गया था रात-रात भर रोती रहती थी और वो दूसरी लड़की के साथ घूमता था कब अकल आयेगी तुम्हे अंकिता ने सीख दी अब सौम्या नाराज़ हो गयी चुप करो बहुत मुश्किल से भुला पाई हूँ उस सब को मुझे मत बताओ मैं न संभालती तुम्हे तो अभी तक मर गयी होती सौम्या चुप चाप सुनती रही। 

और मुझे देखो उस तगड़े मर्द के साथ जन्नत की सैर कर रही हूँ काला कलूटा एक बच्चे का बाप और शादी शुदा हुआ तो क्या हुआ मैं तो मस्ती कर रही हूँ और मेरे साथ वो भी सौम्या को पता था की वो अंकिता से बहस नहीं कर सकती थी सौम्या सुंदरी थी लेकिन बुद्धि में अंकिता उससे आगे थी कुछ दिन यूँ ही बीत गए इन दिनों अंकिता और सौम्या की ज़िन्दगी उसी तरह पक्की सहेलियों की तरह चलती रही।

दोनों एक दूसरे के घर आती जाती रहीं सौम्या अंकिता से मिलने उसके घर जाती तो कभी कदार कृष्णकांत और वो आमने सामने पड़ते कृष्णकांत मुस्कुरा कर उसे ‘हेलो’ बोलता और सौम्या सिर्फ अभिवादन में सर हिला कर आगे निकल जाती फिर एक दिन कालेज के फ्री पिरीयड में अंकिता सौम्या एक जगह एकांत में ले गयी।

सुनो तुमसे कोइ मिलना चाहता है अंकिता ने कहा उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी कौन सौम्या ने उसे घूरते हुए कहा कृष्णकांत कृष्णकांत  तुम्हारा वो पड़ोसी जिसके साथ तुम सौम्या बोलते बोलते रुक गयी हाँ वही अंकिता अभी भी मुस्कुरा रही थी उसे मालूम था की सौम्या की प्रतिक्रिया क्या होगी चल मैं क्यूँ मिलूं उससे वो तुम्हे पसंद करता है।

हे प्रभु तुमने मुझे समझ के क्या रक्खा है मैं उस काले राक्षस से नहीं मिलूंगी वो भी एक बच्चे का बाप मेरी बात सुनो पागल लड़की अंकिता ने फिर समझाना शुरू किया तुम्हे तुम्हारी शराफत कहीं नहीं ले जाएगी ज़िन्दगी के मज़े लेने सीख लो सौम्या को गुस्सा आने लगा तुम्हारा दिमाग ख़राब है क्या इतनी बड़ी दुनिया में और कोइ नहीं उस काले हवलदार के आलावा।

क्या कमी है उसमे की वो एक बच्चे का बाप है शादी शुदा है कौन कह रहा उससे शादी करने को या उसका बच्चा पालने को बस उसके साथ ऐश करो वो भी तो यही चाहता है अंकिता ने समझाना जारी रक्खा सौम्या अंकिता की हर सलाह मानती थी और अंकिता को ये बात बहुत अच्छे से मालूम थी अगर तुम उसके साथ सो गयी तो कौन सा कानून तोड़ोगी कौन सी किताब में लिखा है। 

ये सब करना जुर्म है अपनी दकियानूसी सोच से बाहर निकलो और देखो ज़िन्दगी कितनी रंगीन है छी उस काले के साथ सौम्या ने मुंह बनाते हुए कहा अरे पागल काले मर्द तो कितने सेक्सी लगते हैं कभी गौर से देखा है उसे उसपर उसका काला रंग कितना जचता है अंकिता ने फुसलाना जारी रखा सौम्या ने एक छोटे से पल को कल्पना की- वो और कृष्णकांत लिपटे हुए हैं। 

सौम्या का गोरा गोरा गुलाबी बदन कृष्णकांत के काले काले चौड़े शरीर में समाया हुआ है उसे एक ब्लू फिल्म की याद आ गयी जो उसने कभी अंकिता के साथ देखी थी- उसमे एक लम्बा चौड़ा काला अफ़्रीकी एक गोरी लड़की के साथ जुटा हुआ था सौम्या की चूत गीली होने लगी लेकिन झिझक अभी बाकी थी लेकिन वो उम्र में कितना बड़ा है।

छः साल तुम बीस की हो और वो छब्बीस का कोइ ख़ास फर्क नहीं उसकी उम्र भले ही छब्बीस हो वो अभी भी जवान है और ऊपर से हट्टा कट्टा लम्बा चौड़ा और सुनो वो छब्बीस साल का है यही तो सबसे बड़ी खूबी है- उसे बहुत तजुर्बा है इस सब का तुम्हे जन्नत की सैर करा देगा- उसका औज़ार बहुत बड़ा है अंकिता खींसे निपोर रही थी इतना मज़ा तो तुम्हे रिंकू ने भी नहीं दिया होगा  अंकिता के लिए नमिता को फुसलाना बड़ी बात नहीं थी।

औज़ार की बात पर सौम्या भी मुस्कुराने लगी चल कैसी लड़की हो तुम अपने बायफ्रेंड से अपनी सहेली को मिलवा रही हो ओ हेल्लो वो मेरा बायफ्रेंड नहीं है न मेरा उससे कोइ चक्कर है मैं पहले ही बता चुकी हूँ वो तुम्हे पसंद करता है और उसी ने मुझ से तुमसे मिलाने के लिए कहा- मुझे कोइ हर्ज़ नहीं अंकिता ने सफाई दीएक बार मिल लो यार मिलने में क्या हर्ज़ है कौन कह रहा की उसके साथ सो जाओ।

चल मैं जा रही हूँ समाजशास्त्र का क्लास शुरू होने वाला है आ जाओ सौम्या वहां से चल दी उस दिन बात यहीं पर खत्म हो गयी लेकिन अंकिता बार बार सौम्या को कृष्णकांत से मिलने के लिए फुसलाती रही- उस तरफ कृष्णकांत अंकिता के पीछे पड़ा था की वो सौम्या को उससे मिलने के लिए राज़ी करे धीरे धीरे सौम्या अंकिता के फुसलाने में आने लगी। 

जब भी वो एकांत में होती उसका दिमाग अपने आप कल्पना करने लगता- वो अपने आप को कृष्णकांत से सेक्स करते हुए कल्पना करती और उत्तेजित हो जाती लेकिन उसमे अभी थोड़ी शर्म बाकी थी अंकिता अपनी सहेली को अच्छे से जानती थी वो और अंकिता जब भी अकेले मिलते वो कृष्णकांत के साथ किये अपने काले कारनामे सुनती कल शाम को उसने मुझे ज़ोर से दबोच लिया।

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देख मेरा होठ सूज गया है कृष्णकांत ने कल खूब चूसा कृष्णकांत की छाती देखी है चौड़ी होने के साथ साथ बाल भी बहुत हैं और सौम्या अन्दर ही अन्दर उत्तेजित हो जाती वो सब चुप चाप सुनती रहती अंकिता को चुप होने के लिए मना नहीं करती उसके दिमाग में वैसी ही ब्लू फिल्म चलने लगती- उस हब्शी की जगह कृष्णकांत और उस लड़की की जगह वो – दोनों एक दूसरे से लिपटे आनंद से छटपटा रहे होते।

अंकिता सौम्या का मन ताड़ लेती उसे पटा था की सौम्या अपने मुंह से कभी कृष्णकांत से मिलने के लिए ‘हाँ’ नहीं बोलेगी कुछ हफ्ते बाद अंकिता के मम्मी-पापा एक शादी में दिन भर के लिए चले गए उसके भाई पढ़ाई के लिए शहर से बाहर जा चुका था उसका घर पूरा दिन के लिए खाली था उसके दिमाग में बल्ब जला- उसे ख्याल आया क्यूँ न सौम्या को बिना बताये यहाँ बुलाया जाये और कृष्णकांत के साथ अकेला छोड़ दे।

बाकी का कम तो कृष्णकांत खुद कर लेगा उसने पहले कृष्णकांत से मोबाईल फोन पर बात की उस वक़्त पर वो थाने पर डयूटी पर था अंकिता की बात सुनते ही वो थाने में बहना बना कर सीधे अंकिता के घर आ गया वर्दी तक नहीं बदली क्या बात है! कृष्णकांत के लिए दरवाज़ा खोलते हुए अंकिता ने चुटकी ली सौम्या इतनी पसंद है की वर्दी में ही चले आये वर्दीवाले गुंडे।

कृष्णकांत मुस्कुराते हुए अन्दर घुसा और दबी आवाज़ में पूछा आ गयी वो अंकिता की अब हंसी निकल गयी थोड़ा सबर करो पांच मिनट पहले फ़ोन पर बात हुई है उससे अभी आ रही है रस्ते में है हाय कितने दिनों से सपने देख रहा हूँ उसके बस थोड़ी देर और सपना सच होने वाला है अंकिता कृष्णकांत को अपने बेडरूम में ले गयी कृष्णकांत पलंग पर पसर गया और अंकिता को खींच लिया।

अरे ये क्या कर रहे हो तुम यहाँ सौम्या के लिए आये हो छोड़ो मुझे! अंकिता बोली जानेमन जब तक नहीं आती तब तक तुम ही से काम चला लेते हैं कहते हुए कृष्णकांत ने अंकिता का हाथ अपनी पैंट की ज़िप वाले भाग पर रख दिया अंकिता उसका खीरे जितना मोटा नौ इंच का लंड सहलाने लगी सुनो सौम्या को इसकी आदत नहीं है आराम से करना उसने उसका लंड पैंट के ऊपर से सहलाते हुए हिदायत दी।

पता नहीं यार शायद मेरा कंट्रोल छूट जाये इतनी सुन्दर लड़की को कोइ भी दबा दबा कर चोदेगा बिलकुल नहीं आराम से करना  कुछ गड़बड़ न हो जाये बेचारी है भी बिलकुल फूल से नाज़ुक सच कह रही हो फूल सी नाज़ुक है तुम्हारी सहेली बिलकुल कच्ची कली उससे सुन्दर लड़की मैंने आजतक नहीं देखी कृष्णकांत उसकी कल्पना कर रहा था पता है वो हमारे कालेज की मिस फर्स्ट इयर है उसने ब्यूटी कम्पटीशन जीता था उसके पीछे कितने लड़के पड़े हैं अंकिता ने अपनी सहेली का बखान किया।

आज वो मेरी होने वाली है कृष्णकांत का लंड बिलकुल टाईट खड़ा था तभी दरवाज़े की घंटी बजी लो आ गयी शान्ति से बैठे रहो अंकिता फुर्ती से पलंग से उठी और दरवाज़ा खोलने पहुंची आ जाओ हिरोइन  सौम्या को छेड़ते हुए बोली आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो पार्लर गयी थी क्या सौम्या मुस्कुराता हुए बोली सिर्फ चेहरा स्क्रब करने गयी थी बस अच्छा आजा अन्दर अंकिता उसे अपने बेडरूम में ले गयी।

सौम्या अन्दर आई और कृष्णकांत को वहां देखते ही स्तब्ध रह गयी अरे क्या हुआ बैठ जाओ न अंकिता ध्यान भंग करते हुए बोली और सौम्या को बेडरूम के कोने में पड़े सोफे पर बैठा दिया कृष्णकांत पलंग पर बैठा सौम्या को देख कर हलके हलके मुस्कुरा रहा था कैसी हैं सौम्या जी कृष्णकांत ने बातचीत शुरू की अच्छी हूँ सौम्या ने सकपकाते हुए जवाब दिया। 

वो अब अंकिता को घूर रही थी उसके चेहरे पर अनकहा सा सवाल था: ‘ये सब क्या है अंकिता किसी भी अन्तरंग सहेली की तरह सौम्या का सवाल ताड़ गयी और सिर्फ मुस्कुराती रही सौम्या समझ गयी की उसे कृष्णकांत से मिलने के लिए बुलाया गया है अंकिता सौम्या के बगल कुर्सी पर बैठ गयी और सुनाओ सुबह से क्या कर रही थीं अंकिता ने बात शुरू की कुछ नहीं टी वी देख रही थी वो अभी भी हिचकिचा रही थी।

हम्म  अब कृष्णकांत बोला कौन कौन से चैनल पसंद हैं आपको ये तो बस ‘ज़ूम’ देखती रहती है अंकिता ने बताया ज़ूम में तो गाने आते हैं न कृष्णकांत ने पूछा हाँ सौम्या ने जवाब दिया मुझे तो ज्यादा टी वी देखने की फुर्सत नहीं मिलती कभी कभी पिक्चर देखने चला जाता हूँ कृष्णकांत ने बातचीत जारी राखी आप पिक्चर देखती हैं सौम्या जी हाँ कभी कभी इसके साथ चली जाती हूँ अंकिता की तरफ इशारा करती हुई बोली।

अब वो धीरे धीरे खुलने लगी थी उसके अन्दर अजीब से भाव था इतने लम्बे चौड़े भीमकाय मर्द को वो भी पुलिस की वर्दी में देख कर वो हलकी सी सहम गयी थी लेकिन उसको अच्छा भी लग रहा था वो जिसके साथ वो रति क्रिया करने की चोरी चोरी कल्पना करती थी आज उससे बातें कर रहा है कृष्णकांत को लड़कियां पटाना आता था। 

उसे मालूम था की सौम्या उसके डील डौल से घबरा गयी है इसीलिए वो अपनी बातों में चाशनी मिला रहा था मुझे तो दबंग बिलकुल बकवास लगी सौम्या ने हाल ही देखी फिल्म के बारे में अपनी राय ज़ाहिर करी अच्छा क्यूँ मुझे तो बहुत अच्छी लगी कृष्णकांत ने जवाब दिया अब वो दोनों आराम से बातें कर रहे थे बातें करते करते कृष्णकांत जिस सोफे पर सौम्या बैठी थी उस पर आकर बैठ गया उसके बगल।

सौम्या ने पहली बार कृष्णकांत को इतने करीब से देखा : घनी घनी मूछें चमकीली चमकीली बाज़ के जैसी तेज़ आँखें अब उसे अंकिता की बात समझ में आने लगी- कृष्णकांत वाकई बहुत बांका मर्द था उसका काला रंग और उसकी पुलिस वाला हेयर कट उसके व्यक्तित्व और शरीर को निखार रहा था सौम्या की नज़र ज़रा नीचे उसकी गर्दन और छाती पर गयी – अंकिता ठीक ही कह रही थी। 

उसकी छाती पर बाल थे जो उसकी वर्दी की कमीज़ के गले से झाँक रहे थे इसके अलावा उसके मांसल हाथों पर भी बाल थे उसे हमेशा से बाल वाले लड़के पसंद थे- इसीलिए उसे रिंकू भी पसंद आया था इधर कृष्णकांत भी सौम्या को करीब से देख रहा था- वैसे तो वो उसे कई बार घूर चुका था उसके शरीर का अंदाज़ा लगा चुका था लेकिन आज वो उसके बहुत नज़दीक से देख रहा था। 

उसके कोमल गुलाबी होट बड़ी-बड़ी कली-कली आँखें लम्बी पतली गर्दन गोरा चिट्टा रंग भरी-भरी गोल-गोल चूंचियां (जिनसे उसकी नज़र ही नहीं हट रही थी) इकहरा मुलायम बदन तभी बातों ही बातों में कृष्णकांत ने सौम्या का हाथ थाम लिया सौम्या के शरीर में बिजली दौड़ गयी आपका कंगन तो बहुत प्यारा है कृष्णकांत उसकी ब्रेसलेट की तरफ इशारा करते हुए बोला सौम्या शरमाते हुए बोली मेरी कज़िन ने दिया है।

कृष्णकांत ने एक ओर अंकिता की तरफ देखा वो समझ गयी आप दोनों बातें करिए मैं चाय लेकर आती हूँ इतना कहते ही बेडरूम से बाहर चली गयी जाते जाते दरवाज़ा भी भेड़ती गयी कृष्णकांत अभी तक सौम्या का हाथ थामे था उसका काला काला  भरी मरदाना हाथ सौम्या के गोरे गोरे नाज़ुक गुलाबी हाथों से बिलकुल विपरीत रंग का था- बिलकुल कंट्रास्ट यही कंट्रास्ट दोनों के नंगे शरीर में भी होने वाला था।

वो अब सौम्या से सटकर बैठ गया दोनों के शरीर छूने लगे आपका हाथ कितना प्यारा है बिलकुल किसी परी के जैसा सौम्या पिघली जा रही थी कृष्णकांत को पता चल गया की लोहा गरम है उसने अपनी दूसरी बांह सौम्या के कन्धों पर रख ली सौम्या तुम बहुत सुन्दर हो उसने शरमाई हुई सौम्या के चेहरे को उचकाया  दोनों की आँखें मिली- दोनों हवस की आग में जल रहे थे अंकिता ने देख लिया तो।

कृष्णकांत हलके से मुस्कुराया और बोला वो यहाँ नहीं आयेगी घबराओ मत उसने उठ कर बेडरूम के दरवाज़े को अन्दर से बंद कर दिया बेचारी अंकिता का मनोरंजन फुस हो गया वापस आकर उसने अपनी बाँहों में समेट लिया और उसके रसीले होटों पर अपने काले-काले होट रख दिए सौम्या कुछ नहीं कर पा रही थी- उस पर ये काला दानव हावी हो रहा था और वो उसे हावी होने दे रही थी। 

उसे न जाने कितना आनंद आ रहा था कृष्णकांत के आगोश में कृष्णकांत उससे लिपट कर सौम्या के नाज़ुक गुलाबी होटों को चूसने लगा सौम्या उसकी बाँहों में पिघलने लगी कृष्णकांत ने उसी तरह लिपटे-लिपटे सौम्या के शरीर को सहलाना शुरू किया- उसकी कमर पीठ बाहें सौम्या ने कृष्णकांत के मजबूत विशाल कन्धों को थाम लिया।

फिर धीरे धीरे कृष्णकांत के हाथ उस जगह पर पहुंचे जहाँ वो बहुत दिनों से पहुंचना चाह रहे थे उसकी मुलायम मुलायम चूंचियां सौम्या ने अब अपने आपको कृष्णकांत के हवाले कर दिया था कृष्णकांत के उसके होट चूसते चूसते उसकी चुंचियों को अहिस्ता-अहिस्ता दबाना सहलाना शुरू किया सौम्या उसके कन्धों को सहला रही थी।

अंकिता ये सब चुप चाप बेडरूम के दरवाज़े के पीछे से सुन रही थी सौम्या ने उस वक़्त सलवार कुर्ता पहने हुआ था अभी तक कृष्णकांत के हाथ उसके कुर्ते के ऊपर हरकत कर रहे थे अगले ही पल वो उसके कुर्ते के अन्दर दाखिल हो गए  मत करो सौम्या ने अपने आप को छुड़ाते हुए नाज़ुक सी आवाज़ में कृष्णकांत से गुज़ारिश की।

लेकिन कृष्णकांत अनुभवी लम्पट था उसे मालूम था की सौम्या ज़्यादा विरोध नहीं करेगी सिर्फ शर्म से रोक रही थी वैसे भी उसे इतने इंतज़ार के बाद इतनी सुन्दर लड़की मिली थी आज तो वोह उसे चोद कर ही छोड़ेगा- पता नहीं फिर मिले न मिले उसके होट कृष्णकांत के चूसने से लाल हो चुके थे कृष्णकांत ने अनसुना कर दिया और फिर उसे अपनी बाँहों में समेट लिया।

मेरी जान कृष्णकांत ने उसके चेहरे और गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया आजतक कभी रिंकू ने इस अंदाज़ के साथ उसके साथ प्यार नहीं किया था अभी तक वो दोनों सोफे पर जुटे हुए थे कृष्णकांत उसे बिस्तर पर ले गया और उसे लिटा कर खुद उसके ऊपर लेट गया और उसके होटों को चूसना जारी रखा सौम्या उसके बोझ से दबी जा रही थी लेकिन उसे इस दबने में मज़ा आ रहा था। 

कृष्णकांत ने उसका कुर्ता उतारने की चेष्टा की नहीं नहीं प्लीज़ सौम्या ने रोकना चाह लेकिन कृष्णकांत कहाँ सुनने वाला था उसने झट कुर्ता ऊपर तक खींच दिया सौम्या ने अपनी बाहें फैला कर कुर्ते को को उतारने से रोकना चाह लेकिन कृष्णकांत ज़बरदस्ती उसका कुर्ता उतर कर कोने में फेंक दिया एक पल को तो उसके नंगे धड़ को देखता रह गया उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी। 

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जिसके अन्दर उसकी सुन्दर सुन्दर गोरी गोरी रसगुल्ले जैसी मुलायम चूंचियां कैद थी कृष्णकांत ने अगले ही पल उसकी सलवार भी उतर दी लड़कियों को नंगा करने में वो एक्सपर्ट था सौम्या ने ब्रा से मेल खाती पैंटी भी पहनी हुई थी वो फिर उसके ऊपर चढ़ गया और उसे दबोच कर उसके होटों के रस पीने लगा सौम्या को उसकी वर्दी के बिल्ले गड़ रहे थे।

कृष्णकांत अब उसकी गर्दन को चूम रहा था वो सौम्या के शरीर पर जहाँ-जहाँ चूमता वहीँ उसके शरीर में एक बिजली की लहर दौड़ कर पूरे शरीर में फ़ैल जाती और उसके मुंह से हलकी हलकी सिसकी भी निकलने लगती  आह्ह्ह ओह्ह न जाने कब सौम्या के हाथ कृष्णकांत के बालों को सहलाने लगे थे वो भी अब अपना सब कुछ कृष्णकांत के हवाले करके आनंद के सागर में डूबती जा रही थी। 

कृष्णकांत एक मिनट को सौम्या के ऊपर से उठा और झटपट अपनी पुलिस की वर्दी उतारने लगा उसका काला बालदार मांसल शरीर देखकर सौम्या की चूत में पानी आ गया कृष्णकांत ने अपने पूरे कपड़े उतार दिए  सिवाय चड्ढी के कृष्णकांत ने फिर से सौम्या को अपने आगोश में ऐसे ले लिया जैसे कोइ अजगर अपने शिकार को जकड़ लेता है। 

दोनों एक दूसरे के नंगे बदन के स्पर्श का आनंद ले लगे सौम्या का तो मन कर रहा था की वो यूँ ही इसी तरह हमेशा लिपटी रहे उसे कृष्णकांत के लंड का स्पर्श अपने कटी प्रदेश पर मिला जो इस वक़्त पूरा तन कर खड़ा था उसने अंदाज़ा लगाया की कम से साढ़े नौ इंच का रहा होगा और खूब मोटा और भारी था उसकी सहेली सच बोल रही थी कृष्णकांत उसके होठ चूस रहा था ऐसे जैसे उसे शायद फिर से न मिले।

थोड़ी देर बाद सौम्या से बोला अब तुम मेरे होठ चूसो सौम्या ने कृष्णकांत की गर्दन पर पीछे से हाथ रखा और उसके मोटे मोटे  काले काले  मरदाना होठ चूसने लगी उसके होठों से जब कृष्णकांत की मूंछ के बाल टकराते तब उसे बहुत सुखद एहसास होता उसे लगता जैसे वो वाकई में किसी मर्द से प्यार कर रही हो कृष्णकांत को भी मज़ा आ रहा था सौम्या के साथ वो न जाने क्या क्या करना चाहता था। 

उसने सौम्या की ब्रा खींच कर फ़ेंक दी और उसकी सुन्दर गोरी रसीली चूंचियों को आज़ाद कर दिया एक पल तो वो उसे देखता रहा इतनी सुन्दर लड़की और ऊपर से उसकी गुलाबी गुलाबी नाज़ुक मुलायम चूंचियां वो चूंचियों पर टूट पड़ा ऐसे जैसे कोइ भूखा आदमी खाने पर टूट पड़ता है वो दोनों हाथों में उसकी चूचियों को भर कर उनसे खेल रहा था सौम्या अपनी गर्दन घुमाये हलकी हलकी सिस्कारियां भर रही थी अहह उह्हहह।

कृष्णकांत अब उसकी चूंचियां अपने गाल पर रगड़ रहा था सौम्या को उसकी हलकी सी बढ़ी हुई शेव चुभ रही थी उसने कृष्णकांत को रोकना चाह लेकिन कृष्णकांत तो मदहोश था सौम्या उसे जितना रोकती वो और करता अगले ही पल वो उसकी चूंचियां चूसने लगा सौम्या को एक करेंट जैसा लगा ऐसा करेंट उसे बहुत दिनों के बाद लगा था उसने कृष्णकांत के सर को थाम लिया। 

और अपनी चूंचियां चुसवाने लगी उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और आहें भर के कृष्णकांत के बाल और कंधे को सहला लगी उह्ह कृष्णकांत को पता चल गया था की सौम्या को मज़ा आ रहा था उसकी चूंचियां वो बहुत शौक से चूस रहा था ऐसी सुन्दर लड़की उसने पहले कभी नहीं चोदी थी करीब १५ मिनट तक कृष्णकांत सौम्या की चूंचियों का रस पीता रहा उसके बाद वो उठा और अपनी चड्ढी उतार फेंकी।

उसका लालची लंड फुदक कर बाहर आ गया उसके लौड़े को बहुत भूख लगी थी और इतनी सुन्दर लड़की को देख कर उसकी भूख कई गुना बढ़ गयी थी सौम्या ने अब कृष्णकांत का प्रचंड लंड देखा- साढ़े नौ इंच लम्बा उसी की तरह तवे जैसा काला रंग खीरे जैसा मोटा उसकी नसें उभरी हुईं थी कृष्णकांत की चौड़ी विशाल बालदार कली जांघों के बीच खम्भे की तरह तन कर खड़ा। 

और पत्थर की तरह सख्त उसका काला काला सुपाड़ा फूल कर गुलाब की कली तरह खिल गया था कृष्णकांत बिस्तर पर बैठी हुई सौम्या के किनारे आकर खड़ा हो गया और उसकी प्रतिक्रिया देखने लगा सौम्या अब कृष्णकांत की शकल देख रही थी कृष्णकांत ने धीरे से सौम्या के गुलाबी गालो को सहलाया और दूसरे हाथ से उसके चेहरे पर अपना लंड तान कर बोला लो चूसो इसे।

नहीं मुझे नहीं पसंद सौम्या नहीं चूसना चाहती थी उसने रिंकू को भी मना कर दिया था लंड चूसने से अरे तुम बड़ी अजीब लड़की हो पहली लड़की हो जो इसे चूसने से मना कर रही हो वर्ना लड़कियां तो पागल रहती हैं मेरा लंड चूसने के लिए सौम्या ने अपने चेहरा घुमा लिया कृष्णकांत उसके बगल बैठ गया और अपनी बाँहों में ले लिया दो मिनट के लिए चूस लो न अच्छा लगे तो छोड़ देना।

नहीं मुझे घिन आती है सौम्या ने विरोध किया थोड़ी देर चूसोगी तो घिन भी चली जाएगी देखो कितना मस्त लंड है मेरा ये जब तुम्हारे अन्दर घुसेगा तो बहुत मज़ा आएगा तुम्हे इतना कहते ही कृष्णकांत ने उसका एक हाथ अपने लंड पर रख दिया लौढ़ा पकड़ते ही सौम्या के शरीर में चार सौ चालीस वोल्ट का करंट दौड़ गया।

कृष्णकांत ने अपनी टांगे पलंग पर फैला लीं और सौम्या को झुका कर अपना लौड़ा चुसवाने की कोशिश करने लगा सौम्या पहले बहुत झिझकी लेकिन फिर कृष्णकांत ने ज़बरदस्ती उसके सर को पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया सौम्या ने कृष्णकांत के लंड के सुपाड़े को मुंह में ले लिया उसे उबकाई आने लगी लेकिन कृष्णकांत ने उसका सर अभी भी दबा रक्खा था।

चूसो न जैसे लोलीपोप चूसते हैं कृष्णकांत बोला सौम्या मन मार कर अपनी जीभ से उसका सुपाड़ा सहलाने लगी उसने किसी तरह बस उसके सुपाड़े के ऊपर का हिस्सा अपने मुंह में लिया हुआ था कृष्णकांत का बस चलता तो पूरा का पूरा लंड उसके मुंह में घुसेड़ देता और अपना वीर्य भी उसके गले में गिरा कर प्रेग्नेंट कर देता। 

लेकिन सौम्या ढंग से चूस नहीं रही थी- कृष्णकांत को मज़ा नहीं आ रहा था लेकिन वो फिर भी अपना लुंड चुसवा रहा था- वो सौम्या जैसी सुन्दर लड़की के गुलाबी-गुलाबी नाज़ुक होटों के बीच अपने काले-काले लंड को देखना चाहता था वो ये देखना चाहता था की सौम्या उसका लंड चूसते हुए कैसी लगती है।

दो मिनट तक सौम्या यूँ ही अपने होटों और जीभ से उसके लौढ़े को सहलाती रही फिर बोली अब बस करूँ कृष्णकांत मुस्कुराया और बोला हाँ ठीक है बस करो आओ आकर लेट जाओ सौम्या बिस्तर पर लेट गयी कृष्णकांत उठा और सौम्या की टांगे उठा कर उसके सामने घुटनों के बल खड़ा हो गया और उसकी टांगे अपने कन्धों पर रख लीं सौम्या समझ गयी थी की अब क्या होने वाला है।

कृष्णकांत इतना बड़ा अन्दर नहीं जा पायेगा कृष्णकांत की हंसी छूट गयी वो बहुत अनुभवी था हा हा हा घबराओ मत सब अन्दर चला जाता है लेकिन  लेकिन  मैं प्रेगनेन्ट हो गयी तो चल बेवक़ूफ़ अनवांटेड 72 खा लेना फालतू में डरती हो कृष्णकांत आराम से करना प्लीज़ इस पर कृष्णकांत कुछ नहीं बोला उसने चूत के मुहाने पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और कस के शाट मारा।

मम्मी सौम्या कराह उठी उसे अपना पहला अनुभव याद आ गया कृष्णकांत का लंड आधा उसकी चूत में समा गया था कृष्णकांत उसे पूरा अन्दर तक घुसेड़ दिया हाह्ह्ह! सौम्या ने कराहते हुए उछल कर कृष्णकांत के चौड़े चौड़े कन्धों को थाम लिया कृष्णकांत को बहुत मज़ा आ रहा था जिस चीज़ की कल्पना वो कई दिनों से कर रहा था आज उसके सामने घटित हो रही थी। 

कचनार की कली सी सुन्दर लड़की की गुलाबी गुलाबी मुलायम चूत में उसका काला-काला लंड घुसा हुआ था और सौम्या उससे लिपटी हुई छटपटा रही थी एक पल को को वो उसे यूँ ही देखता रहा फिर उसने अपनी कमर हिलानी शुरू की उसकी कमर के हिलने से सौम्या का छटपटाना और कराहना भी शुरू हो गया आह्ह उह्ह।

दरवाज़े के पीछे से अंकिता सारी आवाजें सुन रही थी बहुत मज़ा आ रहा था उसको इससे कहीं ज़्यादा मज़ा कृष्णकांत को आ रहा था उसका मुस्टंडा भूखा लंड आज सौम्या की रेशमी चूत की सैर कर रहा था सौम्या के चेहरे पर झलकता दर्द उसकी सिस्कारियां उसके मज़े को दुगना कर रहा था उसका मन करा था की सौम्या को उठा कर ले जाये और सारी उम्र उससे लिपटकर उसे चोदता रहे। 

कृष्णकांत सौम्या को चोदे जा रहा था बीच बीच में झुक कर सौम्या के होटों को चूस भी लेता था जब कृष्णकांत उसे चोदते-चोदते चूमता सौम्या उसका सर थाम लेती आज सौम्या को पता चला की तगड़े जवान बड़े लौढ़े वाले मर्द से चुदना कैसा होता है उसे समझ में अब आया की अंकिता कृष्णकांत का इतना गुणगान क्यूँ करती थी कृष्णकांत कुछ देर तक उसी पोज़ में चुदाई करता रहा।

फिर उसका मन पोज़ बदलने का हुआ आज वो हर तरीके सौम्या को भोगना चाहता था उसने अपना लंड निकाला सौम्या की जान में जान आई उसने कृष्णकांत के लंड को देखा- हैंडपंप की नली की तरह टाईट तन कर खड़ा था उसकी चूत के पानी में भीग कर चमक रहा था उठो उसने सौम्या को आदेश दिया सौम्या बिस्तर पर घुटनों के बल खड़ी हो गयी। 

उसने सौम्या को कमर से पकड़ कर पलटा और झुका दिया घोड़ी बन जाओ ऐसे सौम्या समझ गयी उसने अपने पंजे बिस्तर पर टिका लिए रिंकू ने आज तक कभी उसको ऐसे नहीं चोदा था कृष्णकांत उसकी गाण के पीछे घुटनों के बला खड़ा था उसने सौम्या के चूतड़ फैलाये और अपना लंड फिर गपाक से पेल दिया और सौम्या की कमर पकड़ कर चोदने लगा।

सौम्या की फिर सिस्कारिया निकलने लगीं आह्ह उह्ह हा ह कृष्णकांत प्लीज़ धीधीरे करो उई कृष्णकांत कहाँ सुन रहा था वो आज सौम्या के सुन्दर बदन का आनंद ले रहा था उसका गदराया लंड गपा-गप गपा-गप स्टीम इंजन के पिस्टन की तरह सौम्या की रेशमी चूत को चोद रहा था सौम्या की भी कल्पना सच हो गयी।

उसे उसी ब्लू फिल्म का ध्यान आया जिसमे काला अफ़्रीकी हब्शी गोरी लड़की को ठीक इसी तरह घोड़ा बना कर चोद रहा था उस हब्शी का भी औज़ार कृष्णकांत के जितना बड़ा था कृष्णकांत फुल स्पीड में जुटा था वो बिना थके कामातुर सांड की तरह सौम्या को चोदे चला जा रहा था चुदाई करते अब 20 मिनट हो गए थे अब सौम्या से नहीं सहा जा रहा था कृष्णकांत बस करोअहह प्लीज़ अहह।

लेकिन कृष्णकांत ने अनसुना कर दिया वो उसे राक्षस की तरह चोद रहा था वैसे वो ऐसे ही चोदता था लड़कियां परेशान हो जाती थी लेकिन उसका मन नहीं भरता था वो एक रात में कई कई बार चुदाई करता था पूरा पलंग हिल रहा था और कमरा सौम्या की सिस्कारियों से भरा हुआ था सौम्या ने एक हाथ से कृष्णकांत को रोकने की कोशिश की- उसने हाथ पीछे करके अपनी चूत पर रखना चाह लेकिन कृष्णकांत ने उसका हाथ पकड़ लिया। 

और उसके चूतड़ पर एक चपत चट से जड़ दी बड़ी मुश्किल से कृष्णकांत ने सौम्या का हाथ छोड़ा तभी अचानक कृष्णकान्त ने अपना लंड बाहर निकाला सौम्या की जान में जान आई उसे लगा की कृष्णकांत झड़ चुका है लेकिन वो गलत थी कृष्णकांत ने उसे अब पीठ के बल लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट कर फिर से चोदने लगा।

दोनों के लिए एक बहुत मज़ेदार एहसास था- दोनों के नंगे शरीर एक दूसरे से छू रहे थे दोनों एक दूसरे से बेल की तरह लिपटे चुदाई कर रहे थे सौम्या के हाथ कृष्णकांत की विशाल पीठ को सहला रही थी दोनों एक दूसरे के होटों को चूस रहे थे कृष्णकांत यूँ ही सौम्या के ऊपर चढ़ा उसके होठ चूसता उसकी चूत को भोगता रहा उसके लंड को बहुत मज़ा आ रहा था और वो झड़ने वाला था।

सौम्या मेरी रानी तुम बहुत सुन्दर हो तुम्हे बहुत दिनों से ताड़ रहा था आज तुम्हारे साथ करने का मौका मिला है छोडूंगा नहीं उसने सौम्या के कान में कहा उसका मन था की सौम्या की चूत में झड़ जाये तभी अचानक उसके मन में ख्याल आया- क्यूँ न वो उसकी चूंचियां भी चोदे उसने फिर से अपना प्रचंड लंड निकाला और सौम्या की छाती पर चढ़ बैठा।

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सौम्या की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कृष्णकांत ने अपना भीगा भीगा लंड उसकी छाती के बीचों-बीच रखा और दोनों चूंचियों को उसपर दबा कर रगड़ने लगा रिंकू ने उसके साथ ऐसे नहीं किया था अब कृष्णकांत से नहीं रहा गया सौम्या की मुलायम मुलायम सुन्दर सुन्दर गोरी गोरी चूंचियां उसके लंड से रगड़ रहीं थी।

और सौम्या खुद कृष्णकांत को निहार रही थी थोड़ा सा ही रगड़ने पर कृष्णकांत के मुंह से हलकी से आह निकली: अहहहह और कृष्णकांत सौम्या के सुडौल वक्ष पर झड़ गया उसकी चूचियां कृष्णकांत के आधा लीटर वीर्य में नहा गयी थी उसका वीर्य छिटक कर सौम्या की गर्दन और और चेहरे पर भी फैल गया था अब कहीं जाकर कृष्णकांत के अन्दर महीनो से जलती हुई आग बुझी वो सौम्या के ऊपर से हटा और बाथरूम में ले गया।

सौम्या सिंक पर झुक कर अपना चेहरा और छाती धोने लगी कृष्णकांत पीछे उसकी गांड पर अपना लंड चिपकाये खड़ा रहा उसके बाद कृष्णकांत ने खुद सौम्या के भीगे बदन और चेहरे को तौलिये से पोंछा इस सब के बाद उसने सौम्या को बाँहों में भर लिया दोनों एक दूसरे लिपट गए आज भी सौम्या और कृष्णकांत एक दूसरे से मिलने का मौका नहीं छोड़ते।

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