जीजा हे लण्डधारी मेरी चूत हे कुंवार-Jija Sali Ki Chudai

जीजा हे लण्डधारी मेरी चूत हे कुंवारी

मेरा नाम सपना कंवर है और मैं राजस्थान के बीकानेर से हूँ मेरी हाईट 5 फीट 6 इंच है और साइज़ 34-30-34 है यह कहानी मेरे और जीजा जी के बीच में हुई सच्ची घटना है यह कहानी तब की है जब मैं 19 साल की थी मेरी दीदी मुझसे 6 साल बड़ी है और शादीशुदा है। 

दीदी के 2 बेटे हैं जीजा जी मेडीकल लाइन में जॉब करते हैं और दीदी भी साथ में ही रहती है जीजा जी जब भी हमारे यहां आते थे तो मुझे छेड़ते रहते थे मौका पाकर वह मेरे बूब्स दबा देते थे मैं भी गुस्से में कह देती थी- ये सब मेरे साथ मत किया करो अपनी पत्नी के साथ किया करो।

जीजा जी मेरी बात पर कहते थे कि आप मेरी साली हो और साली आधी घरवाली होती है इसलिए आपके ऊपर मेरा आधा अधिकार है मैं भी फिर कुछ नहीं बोलती थी ऐसे ही करते-करते उनका ये सब करना कुछ ज्यादा ही होने लग गया था वो मुझे फोन पर पॉर्न फिल्म दिखाने लग जाते थे और मेरे गालों को चूमने लग जाते थे।

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धीरे-धीरे मुझे भी ये सब अच्छा लगने लगा अब मैं भी जान-बूझकर उनके आस-पास ही मंडराने लगी थी जीजा जी मुझसे बोले कि आप जब मेरे यहाँ आओगी तो आपके साथ सुहागरात मनाऊँगा मैं बोली- वो तो आपने दीदी के साथ मना ली है ना जीजा जी बोले- तो फिर आपके साथ सुहागदिन मनाऊंगा मैंने भी कह दिया- ओके मना लेना।

मैं सोच रही थी कि दिन में कहाँ किसी को मौका मिलता है अभी मैं जीजा जी के कामुक व्यवहार से इतनी परिचित नहीं थी और सोच रही थी कि जीजा जी को मेरे साथ सुहाग दिन मनाने का मौका शायद ही मिल पायेगा क्योंकि वह तभी मिल सकता था जब मैं दीदी के घर जाऊं और हम दोनों को अकेले में रहने का मौका मिले।

ऐसा होने की संभावना न के बराबर थी इसलिए मैं जीजा जी के साथ मजे लेने लग जाती थी और टाइम पास करती रहती थी. जब जीजा जी शुरू में मेरे बदन को छेड़ने लगे थे तो मुझे उनकी हरकतों पर गुस्सा आता था मगर अब मेरा दिल खुद ही करने लगा था कि वह मुझे छेड़ दें उनके छूने से मेरे बदन में एक सरसरी सी उठ जाती थी मैं जीजा जी के बारे में ही सोचती रहती थी।

जब से उन्होंने वह सुहागदिन की बात कही थी तब से ही मेरे मन में उनके जिस्म को लेकर ख्याल आते रहते थे मगर मैं अभी अपनी तरफ से कोई भी पहल नहीं करना चाहती थी मन तो बहुत करता था मगर जीजा जी ने वादा किया था कि वो खुद ही मेरे साथ सुहागदिन मनाएंगे इसलिए मैं बस उस दिन का इंतजार कर रही थी।

इस बीच में जब मैं दीदी के घर गई तो मैंने कई बार जीजा जी को तौलिये में देखा था उनका मर्दाना शरीर देखकर मेरे मन में लहर सी उठती थी अब मैं उनके लिंग को देखने की ख्वाहिश करने लगी थी सोचती रहती थी कि किस तरह वो दीदी की चुदाई करते होंगे फिर दीदी ने उनके लंड से चुद कर बच्चा पैदा कर दिया मेरे मन में ये सारी बातें एक अलग ही रोमांच पैदा कर रही थीं। 

शायद मेरी जवानी मुझे यह सब सोचने पर मजबूर कर रही थी मगर जो भी था बहुत बेचैनी होने लगी थी मुझे आजकल मैं हर रोज इस बात के इंतजार में रहती थी कि कब जीजा जी को मेरे साथ अकेले में रहने का टाइम मिलेगा कुछ दिन गुजर जाने के बाद आखिरकार वह दिन भी आ ही गया मेरी जिंदगी में।

एक बार की बात है जब दीदी को कहीं शादी में जाना था मगर बच्चों के एग्जाम होने के कारण दीदी को अकेले ही शादी में जाना पड़ा दीदी ने मुझे बच्चों की देखभाल के लिए बुला लिया अगले दिन दीदी शादी में चली गई जीजा जी की नाइट ड्यूटी थी तो वो लुंगी बाँध कर कूलर के सामने पैर करके सो गए उन्होंने ऊपर से बनियान भी नहीं पहना हुआ था और उनकी छाती नंगी थी। 

उनके बाल कूलर की हवा में उड़ रहे थे मगर बालों के साथ ही नीचे जो लुंगी पहनी हुई थी वह भी बार-बार हवा में उड़ रही थी फिर अचानक से हवा लगने के कारण उनकी लुंगी ऊपर हो गई और जीजा जी की अंडरवियर दिखने लगी उनकी लुंगी के नीचे पहने अंडरवियर को देख कर मेरा मन और आंखें वहीं पर अटक गए मैंने उनकी जांघों को पहली बार देखा। 

इससे पहले मैंने उनको तौलिया लपेटे हुए ही देखा था और उनका नीचे का भाग नहीं देख पाई थी उनके अंडवियर में एक शेप बनी हुई थी मुझे पता था कि वह उनका लिंग है. मेरे मन में वासना सी उठने लगी और मैं वहीं पर खड़ी होकर उनकी उड़ती हुई लुंगी के नीचे अंडरवियर को देखने लगी पता नहीं मेरी चूत में एक अजीब सी सनसनी सी होने लगी थी उनको इस हालत में देख कर पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।

मैं कुछ मिनट तक उनको ऐसे ही देखती रही फिर मैं चुपके से बिना आवाज किये उनके और पास जाकर खड़ी हो गई अब मेरी नज़र में उनके लिंग की शेप पहले से ज्यादा उभर कर दिखने लगी थी उनका लिंग एक तरफ पड़ा हुआ था पास जाकर मेरे मन में मेरी आंखों के सामने अंडरवियर में लेटे हुए जीजा जी के और करीब जाने की इच्छा हुई मैं चुपके से उनके और करीब चली गई। 

अब तो लिंग की शेप साफ-साफ दिखाई देने लगी थी लुंगी हट चुकी थी और उनकी कमर पर ही बंधी रह गई थी मुझे पहली बार उनका लिंग देखने की इच्छा हुई मैं उनके पास जाकर पलंग पर बैठ गई जब मैं बैठ गई तो लिंग और करीब से दिखने लगा मगर मेरे बैठने के कारण कूलर की हवा जीजा जी तक नहीं पहुंच पा रही थी इस वजह से जीजा जी को शायद पता लग गया कि हवा आना बंद हो गई है। 

मगर मैं तो उनके अंडरवियर में छिपे हुए लिंग को देखने में खो गई थी मैंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि जीजा जी की आंख भी खुल सकती है अचानक जीजा जी जग गए और मुझे देखने लगे मैं तो उनका पेनिस देखने में ही मस्त हो रही थी जीजा जी ने कुछ देर तो मुझे देखा और बैठ कर मुझे अचानक से ही अपनी बांहों में भर लिया अचानक से ऐसा करने के कारण मैं सक़ते में आ गई। 

मैं उनकी बांहों से छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर वो और जोर से मुझे अपने पास चिपकाकर मेरे होंठों को चूसने लगे कुछ देर के बाद मैं भी होंठों को चूसने में उनका साथ देने लगी जीजा जी ने मुझे बांहों मे लेकर पलंग पर गिरा लिया और मेरी सलवार में हाथ डालकर मेरी छोटी सी चूत को मसलने लगे मुझे शर्म और मजा दोनों आ रहे थे मैं भी आनंद के सागर में उतरने लगी। 

अब जीजा जी ने मेरी चूत में उंगली का रास्ता बना लिया था मेरी चूत में उनकी उंगली जा चुकी थी मैं मस्त होने लगी धीरे-धीरे जीजा जी एक उँगली अंदर-बाहर आराम से करने लगे तो मैं दर्द और मजे से उछलने लगी ये देखकर वो उंगली तेज करने लगे और मेरे बूब्स नंगे करके चूसने लगे मैं तड़पने लगी और साथ में मजा भी आने लगा जीजा जी की उंगली मेरी चूत में तेजी के साथ चल रही थी। 

मेरे मुंह से कामुक सिसकारियाँ अपने आप ही बाहर आने लगी थीं मेरे साथ यह सब कुछ पहली बार हो रहा था इसलिए कुछ ही देर में मेरा पानी निकल गया और मैं निढाल हो कर आँखें बंद करके आराम से लेट गयी जीजा जी अब दोनों बूब्स काटने-दबाने में लगे हुए थे. फिर जीजा जी ने अंडरवियर निकाल कर मुझे अपना लिंग मेरे हाथ में पकड़ा दिया पहली बार मैंने लिंग को हाथ में लिया तो लगा कि कोई गरम लोहे की रॉड पकड़ ली है मैंने।

अब जीजा जी मेरे हाथ पर हाथ रखवाकर अपने लिंग को हिलवाने लगे और बूब्स को जोरों से पीने लगे. मैं फिर से गर्म होने लगी और मेरा हाथ अपने आप लिंग पर चलने लगा अब जीजाजी ने मुझे नंगा करके मेरी योनि को चाटना-काटना शुरू कर दिया मुझे आनंद आने लगा और मैं जोर-जोर से उनके लिंग की मुट्ठ मारने लगी मुझे हाथ में लिंग लेने का पहली बार का अहसास मिला था। 

मैं तो जीजा जी को वैसे भी पसंद करने लगी थी इसलिए मेरे हाथ की पकड़ जीजा जी के लिंग पर कसने लगी जीजा जी मुझे मजा दे रहे थे और मजे में मैं यह नहीं जान सकी कि लिंग को ज्यादा जोर से नहीं मसलना चाहिए. मैं तेजी के साथ उनके लिंग को ऊपर-नीचे करते हुए मुट्ठ मार रही थी मैंने उनके लिंग को लाल कर दिया अब जीजा जी ने भी चूत के दाने को काटना और चूसना तेज़ कर दिया। 

हम दोनों अब पानी छोड़ने वाले थे देखते ही देखते अचानक मेरा पानी फिर से बह गया जीजा जी का पानी अभी तक नहीं निकला था वह मेरे मुँह के पास लिंग को ला कर चूसने को कहने लगे मुझे चूसने के बारे में नहीं पता और मेरा मन भी नहीं कर रहा था उनके लिंग को अपने मुंह में लेने का मगर वो चाहते थे कि मैं उनके लिंग को मुंह में ले कर चूस लूँ मैंने लिंग को मुंह में लेने से मना कर दिया।

लेकिन वो बोले- देखो मैं भी तो तुम्हारी योनि को चूस रहा हूँ उनके कहने पर मैंने भी ऊपर से टोपे को मुँह में लिया और जीभ घुमाने लगी जैसे ही मेरी जीभ उनके लिंग को टच हुई तो जीजा जी उछल पड़े और मेरी चूत को और जोर से चूसने लगे अब मैं भी थोड़ा-थोड़ा करके आधा लिंग मुंह में भर कर चूसने लगी कुछ देर के बाद मैं जीजा के लिंग को पूरा मुंह में लेने लगी थी। 

अब मुझे भी लिंग को मुंह में लेकर चूसने में मजा आ रहा था. मैं जीजा जी के लिंग को तेजी के साथ चूसने लगी थी उनका लिंग बहुत ज्यादा टाइट हो गया था मेरे साथ यह पहली बार था कि मैं किसी के लिंग को मुंह में लेकर चूस रही थी इसलिए मुझे नहीं पता था कि लिंग से कितनी देर में वीर्य निकलता है मैं तो बस मजे से जीजू के लिंग को चूसने में लगी हुई थी।

चार-पांच मिनट में ही जीजा जी का पानी निकल गया मेरे मुँह में मुझे ऐसा अहसास होने लगा कि जैसे उल्टी होने वाली है मैं भागकर बाथरूम में गई और मैंने वहाँ पर उनके लिंग से निकला हुआ पानी थूक दिया वापस आकर मैं कपड़े पहनने लगी तो जीजा जी ने कहा- अभी तो आधा मजा ही लिया है साली साहिबा रुको थोड़ी देर फिर आपको असली मजा दूँगा।

उसके बाद जीजा जी मेरी चूचियों को फिर से दबाने लगे 15 मिनट के बाद फिर से उनका लिंग तन कर खड़ा हो गया मुझे अपने पास बुलाकर बोले- आजा जानम आज तुम्हें सुहागदिन का मजा देता हूँ मैंने कहा- मुझे डर लगता है जीजू वो बोले- चिंता मत कर मैं आराम से करूँगा जीजा जी ने मुझे गोद में उठाकर पलंग पर लेटा दिया और मेरे पैरों को ऊपर उठाकर जीभ से मेरी फुद्दी को गीला करने लगे।

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जब पूरी तरह से मेरी फुद्दी गीली और गर्म होकर फूल गई तो जीजा जी कहने लगे कि जान थोड़ा सा दर्द हो सकता है पर मैं आराम से डालूँगा तुम चिंता मत करना ये बोलकर जैसे ही वो मेरी फुद्दी के ऊपर अपना मूसल लिंग लगाने लगे तो इसी बीच में डोरबेल बज गई मैं अपने कपड़े समेट कर बाथरूम में भाग गई और जीजा जी ने मन ही मन में गालियाँ देते हुए लुंगी लपेट ली।

मेरे बाथरूम में छिप जाने के बाद जीजा जी ने गेट खोला तो सामने हमारी पड़ोसन खड़ी थी जीजा जी ने पूछा- क्या काम है तो वो बोली कि उसे मिक्सी चाहिए वह जीजा जी को ध्यान से देखने लगी उनकी लुंगी अभी भी ऊपर उठी हुई थी और अंदर से जीजा जी ने अंडरवियर भी नहीं पहनी हुई थी उनकी लुंगी को उनके तने हुए लिंग ने ऊपर उठा रखा था।

जीजा जी थोड़े से घबरा भी गये थे वे सोच रहे थे कि क्या करें और क्या न करें मगर पड़ोसन सामने खड़ी होकर उन पर नजर गड़ाए हुए थी जब कुछ पल तक जीजा जी ने कोई जवाब न दिया तो पड़ोसन ने खांसते हुए फिर से पूछा- मिक्सी कहाँ पर रखी हुई है वह अभी भी चोर नजरों से जीजा जी के लंड की तरफ ही देख रही थी जीजा जी को मुश्किल हो रही थी। 

एक तरफ तो उनका चुदाई करने का मूड बना हुआ था और कहाँ बीच में ये पड़ोसन आकर टपक पड़ी दूसरी बार पड़ोसन के पूछने पर जीजा जी ने झुंझलाते हुए जवाब दिया जीजा जी ने कहा- मुझे पता नहीं कि कहाँ पर रखी हुई है पड़ोसन बोली- आपकी साली जी कहाँ है उनको शायद पता होगा वो बोले- वो नहा रही है इतना सुनने के बाद भी वह पड़ोसन वहीं पर खड़ी रही।

जीजा जी ने फिर से पूछा- कुछ और चाहिए क्या आपको पड़ोसन समझ गई कि जीजा जी उसको वहाँ से जाने के लिए कहना चाहते हैं वह वापस चली गई और जीजा जी ने दरवाजा बंद कर लिया उनका लिंग अब तक नीचे बैठ गया था बड़ी मुश्किल से जीजा जी ने उस पड़ोसन से पीछा छुड़ाया उसके बाद बच्चों के आने का टाइम भी होने वाला था और जीजा जी का भी मूड खराब हो गया था। 

जीजा जी उसी दिन मेरी चूत की चुदाई करना चाहते थे मगर उस पड़ोसन ने आकर सारा खेल खराब कर दिया हम दोनों का ही मूड खराब हो गया था लेकिन किया भी क्या जा सकता था इसलिए दोनों ने अपने कपड़े पहन लिये मुझे उनको चिढ़ाने का एक मौका मिल गया और हम दोनों का सुहागदिन अधूरा रह गया सुहागदिन भले ही अधूरा रह गया था मगर जीजा जी का लिंग देखने की इच्छा पूरी हो गई थी।

बल्कि उससे भी ज्यादा मुझे लिंग को चूसना और चूत चटवाना आ गया था. जीजा ने मुझे मजा तो दे दिया था इसलिए अब अगली बार का इंतजार करना मुश्किल हो रहा था. मैं जीजा जी का लिंग अपनी चूत में लेकर उसका अहसास करना चाहती थी. मैं जानना चाहती थी कि योनि में लिंग जाने पर चूत में कैसे मजा आता है.

मगर उसके लिए मुझे पता नहीं अब और कितना इंतजार करना था लेकिन इतना जरूर था कि जीजा जी के साथ मेरी रंगरेलियों की शुरूआत तो यहाँ से हो ही चुकी थी अब बस चुदाई के दूसरे मौके का इंतजार करना था उस दिन तो जीजा जी शाम को अपनी ड्यूटी पर चले गए और मैंने भी अपना घर का काम ख़त्म करके टीवी ऑन कर लिया 11 बजे रात तक मैं टीवी देख रही थी। 

दोनों बच्चे सो गए थे मगर मुझे दिन वाली घटना याद आ गयी थी दिन की घटना के बारे में सोच कर मेरी नींद तो जैसे गायब ही हो गयी थी करीब 11:30 पर उसी पड़ोसन ने फिर डोरबेल बजाई तो मैंने सोचा कि जीजा जी मेरे लिए सुहागदिन ना सही सुहाग रात मनाने के लिए आये हैं मगर जब मैंने गेट खोला तो देखा और पड़ोसन को देख कर मूड ऑफ हो गया।

तब तक पड़ोसन घर में घुस गई और मेरी तरफ़ देख कर बोली आजकल जमाना ख़राब है और कोई भी किसी का ध्यान नहीं रखता है उसकी बात मेरी समझ में नहीं आई तो मैंने कहा आपको क्या काम है और क्या चाहिये वो मेरी बात सुनकर हँसने लगी और बोली आज तुम अकेली ही सो जाओगी क्या मैं- नहीं मेरे साथ बच्चे भी सो रहे हैं वो बोली- इनके पापा रात को आएंगे क्या।

मैं- उनकी नाइट ड्यूटी है और वो सुबह 8 बजे तक आएंगे आपको कोई काम है तो बताओ मैं उनको फोन कर देती हूँ वह बोली- नहीं रहने दो ऐसा कोई ज़रूरी काम नहीं है उसके बाद वह मेरे पास बैठ कर अपनी निजी जिंदगी की बातें मुझे बताने लगी वह कामुक बातें कर रही थी जिससे मैं फिर से गर्म होने लगी थी मैंने कहा अगर तुम्हें कुछ और जरूरी काम नहीं है तो मैं अब सोना चाहती हूँ। 

अगर तुम और कुछ बात करना चाहती हो तो हम सुबह कर लेंगे इतना कहने के बाद वह अपने घर पर वापस चली गयी रात्रि में करीब एक बजे के लगभग जीजा जी का फोन आया कि गेट खोलकर रखो मैं चुपचाप अंदर आऊंगा नहीं तो पड़ोसी देख सकते हैं मैंने गेट अंदर से खोल दिया और इंतज़ार करने लगी दोनों बच्चे गहरी नींद में सो रहे थे।

तभी जीजा जी अंदर आ गए और मुझे बांहों में भर कर अंदर वाले कमरे में ले गए एक गद्दा नीचे बिछा दिया और अपने पूरे कपड़े उतार दिये उसके बाद जीजा जी नंगे होकर मेरे कपड़े उतारने लगे मुझे शर्म आने लगी मैंने जीजा जी को लाइट बंद करने को कहा तो उन्होंने ज़ीरो वॉट का बल्ब जला दिया और बाकी की सब लाइटों को बंद कर दिया।

अब जीजा जी मेरे बदन को हर जगह से चूमने लगे. मेरे पूरे बदन में चींटियां सी रेंगने लगीं और मैं जैसे आसमान में उड़ने लगी जीजा जी के साथ सेक्स करने के लिए अपने आपको तैयार करने लगी मैंने उनका लिंगराज पकड़ कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया जीजा जी से भी अब रहा नहीं जा रहा था तो वो भी मेरी फुद्दी में उँगली डाल कर हिलाने लगे और लिंग घुसाने का रास्ता बनाने लगे।

जब एक उंगली आराम से जाने लगी तो जीजा जी दो उँगली डालने लगे. लेकिन इस बार मुझे दर्द होने लगा तो मैंने उनका हाथ हटाने की कोशिश की. मगर वो जानते थे कि फिर मैं उन्हें नहीं करने दूँगी तो उन्होंने मुझे एक हाथ से पकड़ लिया और मेरे निप्पल को चूसने लगे मुझे भी अच्छा लगने लगा मैं पहली बार किसी के साथ सेक्स कर रही थी तो डर भी लग रहा था। 

मगर मन भी कर रहा था कि आज नहीं किया तो कल करना पड़ेगा तो क्यों न आज से शुरूआत कर ली जाये मैंने सोचा कि जो होगा वो देखा जाएगा अब मैं अपने आप को सेक्स के लिए मन से तैयार कर चुकी थी मैं मस्ती में आ गई और जीजा जी के साथ मिलकर उनके चुम्बनों का जवाब चुम्बनों से देने लगी जीजाजी मेरी इस हरकत से खुश हो कर जोरों से मेरे रसीले होंठों को पीने लगे। 

उन्होंने दो उंगलियों से मेरी फुद्दी को चौड़ी करना शुरू कर दिया जब मेरी फुद्दी पूरी तरह से गीली होकर दो उंगलियां लेने लगी तो जीजा जी बोले- अब तैयार हो जाओ मैंने कहा- थोड़ा तेल लगा लो तो वो तेल लाकर पूरी फुद्दी में और अपने मूसल लिंग पर लगाने लगे तेल लगा कर मेरे सेक्सी जीजा ने अपने मूसल लंड को चिकना कर लिया और एक पुराना कपड़ा गद्दे पर बिछा दिया।

उसके बाद उन्होंने मेरे दोनों पैर फैलाकर मूसल लिंग को मेरी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया मेरे पैरों को अपने कन्धों पर रखकर लिंग को सेट कर लिया और अब बस अंदर घुसने की तैयारी करने लगे मेरा हाथ अपने एक हाथ से पकड़ लिया और फिर एक करारा झटका मार दिया मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरी चूत में चाकू घुसा दिया मैं दर्द के कारण तड़पने लगी। 

जीजा जी वहीं रुक गये और मेरे होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगे मैंने अपनी योनि में आज से पहले कभी लिंग नहीं लिया था इसलिए दर्द बहुत ही ज्यादा हो रहा था दो मिनट तक जीजा जी ऐसे ही पड़े रहे और फिर बोले- बस अब जो दर्द होना था वो हो गया अब मजे ही मजे होंगे मैं भी जीजा की बात से सहमत हो गई थी क्योंकि मेरी योनि का दर्द कम होना शुरू हो गया था।

मैंने धीरे से पूछा- आपने एकदम से क्यों डाल दिया आपको पता है कि इस तरह कितना दर्द हुआ मुझे जीजा जी बोले- झटके से डालने में दर्द कम होता है नहीं तो पता नहीं कितनी देर तक होता अब जीजा जी आराम से थोड़ा-थोड़ा करके हिलने लगे तो उम्म्ह अहह हय याह मुझे दर्द फिर से होने लगा मगर कुछ ही देर में फिर मैंने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया। 

दो मिनट तक वो ऐसे ही करते रहे और मेरे मुँह को अपने मुँह से बंद करके फिर एक बार जोर का शॉट मारा तो इस बार मैं बेहोश सी हो गई मुझे पता नहीं था कि लौड़ा पहले पूरा नहीं गया था मैंने सोचा था कि पूरा चला गया मगर पहले शॉट पर केवल दो इंच ही गया था दूसरे शॉट में जड़ तक घुस गया था मेरी हालत खराब हो गई थी और खून की एक पिचकारी सी मेरे पैरों में से बहने लगी। 

नीचे बिछा हुआ कपड़ा खून से भीग कर लाल हो गया जीजा जी ने मेरा मुँह अपने मुँह से बंद कर रखा था तो मैं चीख भी नहीं सकती थी बस तड़प कर रह गई जब मेरी आंखों से आंसू आने लगे तो जीजा जी कहने लगे कि अब पूरा घुस गया है और अब दर्द नहीं होगा वो मुझे प्यार से सहलाने लगे और पटाने लगे पर मुझे बहुत ही ज्यादा दर्द हो रहा था मैंने सोच लिया था कि आज नहीं करवा पाऊंगी।

जब तक चूत में लिंग नहीं लिया था तो लग रहा था चूत में लिंग जायेगा तो बहुत मजा आयेगा लेकिन मेरे साथ तो उल्टा हो गया था मुझे नहीं पता था कि चूत में लिंग जाने पर इतना दर्द भी होता है मैं जीजा के मूसल लंड को झेलने में खुद को असमर्थ महसूस करने लगी थी मगर अब तो लिंग योनि में घुस चुका था उसको मेरी कुंवारी चूत का खून मुंह लग गया था। 

अब जीजा जी के लिंग को बाहर निकलवा पाना बहुत ही मुश्किल काम था मेरे पास चुदने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं था मेरे मन की हालत को देख कर जीजा जी को पता चल गया कि मैं सेक्स के लिए तैयार नहीं हो पा रही हूँ इसलिए वो मेरे निप्पल को दबाने लगे मैंने कहा कि मुझे जाने दो मुझे बहुत दर्द हो रहा है वो बोले- बस दो मिनट तक करने दो नहीं तो मैं अधूरा रह जाऊंगा।

जीजा जी अब हिलने लगे धीरे-धीरे मैं भी दर्द सहन करने लगी कुछ देर बाद मेरी फुद्दी सुन्न सी हो गई और मुझे दर्द कम होने लगा जीजा जी ने अब अपनी स्पीड थोड़ी सी बढ़ाई और मेरे चेहरे को देखने लगे उनको पता लग गया था कि मेरी चूत में अब दर्द नहीं हो रहा है जीजा जी मेरी चूचियों को दोनों हाथों से दबाने लगे मुझे राहत तो मिली पर दर्द तो हो ही रहा था। 

मैं सहन कर रही थी कुछ देर बाद मुझे अपनी फुद्दी में गीला सा महसूस हुआ और अंदर सनसनी सी महसूस हुई मुझे अच्छा भी लगा अपनी स्पीड को बढ़ाते हुए जीजा जी ने मेरे गालों को चूमना शुरू कर दिया अब मैं भी उनका विरोध नहीं कर रही थी मेरे जीजा मेरी चूत को चोदने में लगे हुये थे चुदाई करते हुए वो फ्री होने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

मेरा पानी एक बार निकल चुका था जीजा जी पूरी गति के साथ मेरी चूत में लंड को घुसाने लगे थे मैंने अब उनकी गर्दन को बांहों में भर लिया और अब मैं भी गर्म होने लगी जीजा जी खुश होकर जोरों से मेरी फुद्दी को चोदने लगे जब दूसरी बार मुझे महसूस हुआ कि अब मेरा पानी निकलने ही वाला है तो मैंने जीजा की तरफ अपने होंठों को बढ़ा दिया जीजा जी ने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और मेरी चूत को चोदते रहे।

जीजा जी इतनी देर से नई सील पैक फुद्दी को ठोक रहे थे तो कितनी देर रह सकते थे. उनका भी शरीर अब अकड़ने लगा और फुद्दी में पानी की नदी बहा दी दोनों ने एक साथ ही पानी छोड़ दिया और मैंने अपनी आंखे बंद कर लीं मैं इस चरमोत्कर्ष का आनंद लेने लगी जीजा जी मेरे ऊपर निढाल हो कर गिर पड़े मैंने जीजा जी को ऊपर से हटा दिया तो वह मेरी बगल में लेट गये।

उसके बाद जब वो सामान्य हो गये तो उठ कर बाथरूम में चले गये. मेरा बदन मेरा साथ ही नहीं दे रहा था मैं वहीं बेड पर पड़ी हुई सोच रही थी कि मेरी फुद्दी का आज उद्घाटन हो गया है मजा तो आया मगर अब कुछ बुरा भी लग रहा था पता नहीं कैसी भावना थी वो मैं समझ नहीं पाई मैं यह सब सोच रही थी कि जीजा जी बाथरूम से बाहर आ गये बाहर आकर कहने लगे कि सपना तुम भी अपने आप को बाथरूम में जाकर साफ कर लो।

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जब उनकी आवाज मेरे कानों में गई तो मैं अपने ख्यालों से बाहर आ गयी. मैंने जीजा जी को बताया कि मुझ से उठा नहीं जा रहा है उसके बाद जीजा जी ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और खुद ही मुझे बाथरूम में लेकर गये मैंने अपने आप को साफ कर लिया और जीजा जी ने फिर से मुझे उठा कर बेड पर लेटा दिया उसके बाद जीजा जी ने लाइट ऑन कर दी हम दोनों अभी तक नंगे ही थे। 

मैंने नीचे गद्दे पर देखा तो पूरे गद्दे पर लाल खून के निशान हो गये थे मैं यह सब देख कर डर गई मगर जीजा जी ने मेरे बालों में हाथ फिराना शुरू कर दिया उसके बाद जब मैं कपड़े पहनने के लिए उठने लगी तो जीजा जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी चूची को दबाते हुए कहने लगे कि एक राउंड और कर लेते हैं मैंने उनको साफ मना कर दिया मैंने जीजा जी को बोल दिया कि कल दिन में करना। 

मैं सच में उस वक्त दोबारा जीजा जी का मूसल लंड अपनी योनि में नहीं लेना चाहती थी मेरी चूत में पहले से ही बहुत दर्द हो रहा था. मैंने जीजा जी को सारी बता दी और जीजा जी मान भी गये जीजा जी ने खुद अपने हाथों से मुझे मेरे कपड़े पहना दिये उसके बाद उन्होंने मुझे बच्चों वाले कमरे में सुला दिया जीजा के साथ मेरा सुहागदिन तो नहीं हो सका मगर चुदाई की शुरूआत हो गई थी यह थी मेरी कहानी अगर आपको कहानी पसंद आई हो तो मुझे मेल करके जरूर बताना ताकि मैं आगे भी आप लोगों के लिए अपनी और भी कहानियाँ लिख सकूँ।

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