पड़ोसन आंटी की चुत का बना दिया भोसड़ा- Aunty Ki Chudai         

हॉट आंटी न्यूड स्टोरी मेरे पहले सेक्स की है. मैंने जवानी में कदम रखा पर कोई चूत नहीं मिली थी। मेरा ध्यान मेरी सेक्सी पड़ोसन आंटी पर गया। मैंने कैसे उसे चोदा?

चूत और लण्ड के सभी खिलाड़ियों को मेरा प्रणाम। मैं आप सबके लिए एक कहानी लेकर आया हूँ।

में प्रदीप २२ साल का बिंदास लौंडा हूं।

मेरा हथियार 7 इंच लंबा है और बहुत मोटा है जो कि बड़ा ही मस्त चोदता है, मेरा लंड किसी भी चूत को भरपूर मजा दे सकता है।

मेरे चोदू लौड़े को भरे हुए शरीर की अनुभवी औरतों की चूत बहुत पसंद आती है।

इस तरह की औरतें अपने अनुभव से लंड को भी बड़ा मजा दे देती हैं।

तो मैं आपको सुनाने जा रहा हूं अपनी ऐसी ही एक देसी चुदाई की सेक्स कहानी।

उम्मीद है आपके लंड और चूत भी इस हॉट आंटी न्यूड स्टोरी को पढ़कर मस्त हो जाएंगे।

आज से 2 साल पहले मैं स्कूल  में था।

स्कूल पास करने के बाद अब मेरा मन भटकने लगा था … या यूं कहें कि अब मेरा लण्ड चूत मांगने लगा था।

इस उम्र में अक्सर ऐसा ही होता है, जो मेरे साथ भी हो रहा था।

स्कूल  की मस्त कमसिन जवान लड़कियों को देखकर मेरा लण्ड हर वक्त तना रहता था।

लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि किसी लड़की, भाभी या आंटी को मैं पटा लूँ।

मैं रोज मुठ मारता था और अपने लंड का वीर्य ऐसे ही बहाये चला जा रहा था।

मेरा ध्यान मेरे पड़ोस की आंटी सरिता पर भी रहता था।

मैंने सोचा कि मेरे प्यासे लंड को अपनी सरिता आंटी ही अपनी चूत का पानी पिला सकती हैं इसलिए मैंने उन पर खास ध्यान देना शुरू कर दिया।

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महिमा आंटी लगभग 32–34 साल की मस्त-बिंदास, गदराए हुए बदन की चिकने जिस्म वाली औरत है।

उसकी जवानी इतनी गर्म है कि अभी भी उसके जिस्म में हिलौरें लेते हुई उसकी मोटी चूचियों और उठी हुई गांड से बाहर छलकती रहती है।

उसके बड़े बड़े बोबे, गोरे चिकने हाथ, सुडौल चूतड़ किसी के भी लंड का पानी मिनटों में झड़वा दें।

किसी महिला के जिस्म में सबसे पहले किसी मर्द का ध्यान उसकी चूचियों पर जाता है।

सरिता आंटी के 32 इंच के दूध से भरे बोबे देखकर मेरा लंड भी एकदम से अकड़ कर खड़ा हो जाता था।

चूचियों के नीचे उसका गोरा, चिकना पेट और मखमली सी कमर देखकर उसको चोदने की तीव्र इच्छा मेरे मन में जाग उठती थी।

बच्चों के स्कूल जाने और अंकल के शॉप पर जाने के बाद आंटी घर पर अकेली ही होती थी।

अक्सर वो शाम को ही घर से बाहर निकलती थी।

अब मैं सरिता आंटी को मेरे को मेरे लण्ड के नीचे लाने की कोशिश में जुट गया।

मैं आंटी के यहाँ धीरे-धीरे मेरी पैठ बढ़ाने लगा।

मौका मिलते ही मैं आंटी को ताड़ने लगता था।

धीरे-धीरे आंटी मेरी हवस भरी नज़रों को पकड़ने लगी लेकिन वो कुछ कहती नहीं थी।

सेक्सी आंटी को ताड़ने के अलावा आगे कुछ करने में मेरी भी गांड फट रही थी।

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे मैं आंटी से मेरे मन की बात कहूं।

एक दिन मैं आंटी के घर ही बैठा था और वो उस वक्त नहाकर बाहर आई थी।

आंटी के गीले जिस्म को देखकर मेरा लण्ड बुरी तरह से तन गया।

तभी उसकी नज़र मेरे लण्ड के तम्बू पर पड़ी लेकिन वो मेरे देखने पर इसे इग्नोर कर गई।

कुछ देर बाद वो साड़ी बदलकर तैयार होकर आई और किचन में काम करने लगी।

अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं भी किचन में चला गया। दोनों तरफ से ख़ामोशी छाई हुई थी।

तभी आंटी ने कहा– मैं बहुत दिनों से देख रही हूं, तू मुझे कुछ ज्यादा ही घूर घूरकर देख रहा है।

आंटी के ऐसा कहते ही मेरी गांड फट गई; समझ में नहीं आ रहा था कि आंटी को क्या जवाब दूं?

लेकिन जवाब तो देना ही था।

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तभी मैंने हिम्मत करके कहा– हां आंटी। आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। आपको प्यार करने का दिल करता है।

आंटी- हां, वो तो तेरी हरकतों को देखकर मुझे समझ आ रहा है। लेकिन रोहित ये अच्छी बात नहीं है। मैं तुझसे बहुत बड़ी हूं और शादीशुदा हूं। मैंने ऐसी हरकतें जिंदगी में कभी नहीं कीं। मैं बहुत दिनों से तुझे समझाना चाह रही थी लेकिन आज मौका मिला है तो समझा रही हूं।

मैं- लेकिन आंटी आप मुझे अच्छी लगती हो। इसमें मेरी क्या गलती?

आंटी- तेरी कोई गलती नहीं है, लेकिन प्रदीप  इसका मतलब मैं तेरी बात तो नहीं मान सकती ना! मेरे बच्चे हैं, परिवार है। मेरी एक गलती मेरी जिंदगी ख़राब कर देगी। इसलिये तू यहां रोज रोज आना बंद कर। लोग देखते हैं और फिर बातें बनाते हैं।

मैं- आंटी लोगों का क्या! लोगों का तो काम ही होता है बातें बनाना। मैं आपसे दूर नहीं रह सकता आंटी। प्लीज मुझे एक मौका दो।

आंटी- प्रदीप  तुझे मौका देने का मतलब क्या होता है तू समझता है ना?

मैं- हां आंटी।

आंटी- और मैं ये नहीं कर सकती। ऐसे कामों में बहुत बदनामी होती है।

मैं- आंटी आप कुछ भी सोचो लेकिन आपको प्यार करने की मेरी बहुत ज्यादा इच्छा है।

आंटी- अब मैं तुझे क्या जवाब दू यार! तू खुद ही समझदार है। तेरी उम्र अभी इन सब चीज़ों में पड़ने की नहीं है। पढ़ाई कर, बस इसी में फायदा है।

मैं- वो तो मैं कर रही रहा हूं आंटी लेकिन अब मुझे आपकी ज़रूरत है।

ये सुनकर आंटी ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया।

अब आंटी की खामोशी बता रही थी कि उसकी चूत में भी लंड लेने की खलबली मची हुई है, बस वो नखरे दिखा रही थी।

फिर वो किचन से बाहर जाने लगी।

मैं आंटी के पीछे-पीछे बेडरूम में आ गया और हिम्मत करके आंटी को बाहों में कस लिया।

वो हटाते हुए कहने लगी- क्या कर रहे हो प्रदीप  … छोड़ो मुझे … कोई देख लेगा।

तभी मैंने आंटी के बोबों को ज़ोर से दबा दिया और फटाफट से उसे बेड पर पटक दिया।

अब मैं उसके ग़ुलाबी होंठों पर टूट पड़ा और होंठों पर लगी लिपस्टिक को चूसने लगा। आंटी मुझे दूर हटाने का दिखावा कर रही थी लेकिन मैं उस दिखावे को समझ रहा था। औरत कोई भी हो, वो इतनी आसानी से खुद को किसी मर्द के हवाले नहीं करती है।

अनुभवी औरत अपनी इच्छाओं को छुपा लेती है। बस आपको कोशिश करनी होती है कि सामने वाले की उन इच्छाओं को बाहर लाया जाए, और मैं भी यही कर रहा था।

तभी मैंने आंटी के पेटीकोट में हाथ घुसा दिया और मैं चूत ढूंढने लगा।

आंटी मेरा हाथ पकड़ कर बाहर निकालने की कोशिश करने लगी।

इधर मेरा लण्ड आंटी की चूत नापने के लिए कुलबुला रहा था।

फिर मैंने साड़ी का पल्लू खींच डाला और ब्लाउज को भी खोलने लगा।

आंटी- प्रदीप, अब रुक जाओ … आगे कुछ मत करो … प्लीज रहने दो।

मैं- नहीं, मैं नहीं रुक सकता आंटी, आज तो मैं आपको प्यार करके ही रहूंगा।

मैं जोर लगाकर बोबों को मसलने लगा, लेकिन वो ब्लाउज आसानी से खोलने नहीं दे रही थी।

तभी दरवाजे की घंटी बज गई।

आंटी ने मुझे पीछे की ओर धक्का देते हुए हटा दिया और साड़ी को ठीक करते हुए गेट खोलने गई।

देखा तो बच्चे स्कूल से लौट आए थे।

मेरे लंड को बड़ा झटका लगा, खड़े लंड पर चोट हो गई थी। मेरा लंड प्यासा का प्यासा रह गया।

मुझे बच्चों पर बड़ा गुस्सा आ रहा था कि उनकी वजह से मेरी चुदाई की इच्छा अधूरी रह गई।

अब आंटी किचन में बच्चों के लिए खाना तैयार करने लगी।

मैं किचन के सामने सोफे पर बैठा था।

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आंटी ऐसा दिखा रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो जबकि वो बहुत बड़े तूफान से टकरा चुकी थी।

मेरा काला मोटा लण्ड आंटी की गांड को ताड़ रहा था।

आंटी भी बीच बीच में मेरी तरफ देख रही थी।

अब आंटी की आँखों में मुझे लंड की भूख साफ साफ नज़र आ रही थी।

खैर, फिर मुझे बिना चुदाई किए हुए लौटना पड़ा।

अब अगले दिन मैंने आंटी के घर जाने की कोशिश की लेकिन आंटी ने गेट ही नहीं खोला।

मुझे समझ में नहीं आया कि कल जो आंटी चुदवाने के लिए तड़प उठी थी तो फिर आज आंटी ने कैसे अपने हथियार वापस डाल दिए!

ऐसे ही 3-4  दिन निकल गए लेकिन आंटी ने मुझे उनके घर के अंदर तक आने का मौका नहीं दिया।

फिर एक दिन आंटी हमारे घर आई और मुझे बुलाने लगी, आकर कहने लगी कि उनका सिलेंडर ख़त्म हो गया, नया सिलेंडर लाना है।

मैं तो मौके की तलाश में ही था। बिजली की तेजी से नया सिलेंडर लेकर आंटी के घर पहुंच गया।

मैंने सिलेंडर सेट कर दिया।

आंटी ने मुझे धन्यवाद दिया।

मौका पाकर मैंने भी आंटी को छेड़ दिया और कहा- आंटी, कुछ देना ही है तो वो दो जिसकी मुझे जरूरत है। वरना, अपना थैंक्यू अपने पास ही रखिये।

मेरी बात सुनकर आंटी सहम गई, वो जवाब नहीं दे पा रही थी।

तभी मैंने आंटी के कंधे पर हाथ रख दिया।

वो बोली- वो दे पाना तो मेरे लिए बहुत मुश्किल है। बहुत सोचा मैंने, लेकिन मैं तैयार नहीं हो पाई। बहुत रिस्क होता है ऐसे कामों में!

मैं- अगर आंटी आप चाहो तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। चीज़ आपकी है।

आंटी- तू ऐसी चीज़ की डिमांड ही क्यों कर रहा है जिसको मैं नहीं दे सकती?

मैं- दे तो आप सकती हो, बस देना नहीं चाह रही हो। चलिये मर्ज़ी आपकी, मैं तो रिक्वेस्ट ही कर सकता हूँ आंटी, और क्या करूँ …

आंटी- यार तू अच्छा लड़का है लेकिन, ये सब गलत है।

मैं- आंटी बहुत प्यार करना चाहता हूं आपको। बहुत इच्छा हो रही है। बस आप मान जाओ।

अब आंटी चुप हो गई।

फिर बोली- यार तू मुझे मरवाएगा। आज तक मैंने तेरे अंकल के अलावा किसी के बारे में सोचा भी नहीं है। और तू मुझसे ये सब करवाने पर तुला हुआ है। यार बहुत मुश्किल है। किसी को कुछ पता चल गया तो?

मैं- किसी को कुछ पता नहीं चलेगा आंटी। घर की बात घर में ही रहेगी।

अब मैं आंटी का जवाब समझ गया था, उनके मन में हां थी।

मैंने आंटी को पकड़ा और उसके रसीले गुलाबी होंठों को चुसना शुरू कर दिया।

वो अभी भी मुंह नहीं खोल रही थी।

मैं उनके बदन से कसकर लिपट गया और चूत वाले हिस्से पर लंड लगाकर धकेलने लगा।

आंटी का बदन अब कांपने लगा। शायद उन्होंने कभी किसी पराये मर्द से चुदाई नहीं करवाई थी।

मैं अब जोर जोर से आंटी की चूचियों को दबाने लगा।

वो मेरा सहयोग तो नहीं कर रही थी लेकिन हटा भी नहीं रही थी।

अब मेरा एक हाथ आंटी की गांड पर पहुँच गया।

मैं दोनों हाथों से आंटी की मदमस्त गांड मसलने लगा।

आंटी की गांड मसलने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

तभी मैंने पीछे से साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठा दिया और आंटी की चड्डी नीचे सरका दी।

आहा! अब मैं आंटी की मस्त नंगी गांड को मसल रहा था।

मोटे मोटे चूतड़ मसलने में मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था।

ऊपर से मैं उसके होंठ चूस रहा था और नीचे से गांड भींच रहा था।

अब आंटी ने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।

बस, अब मैंने मौका देखा और उसे बेड पर ले गया।

बेड पर पटक कर मैं उसके बदन पर टूट पड़ा। अब मैंने फटाफट से मेरे कपड़े खोल फेंके और पूरा नंगा हो गया।

आंटी मेरे काले, मोटे, लंबे हथियार को निहारने लगी।

मुझसे सब्र नहीं हो रहा था।

अब मैं फटाफट से आंटी के ऊपर चढ़ गया और फिर उसके रसीले होंठों को मेरे होंठों में फंसा लिया।

पूच … मुच … की आवाजों से वो कमरा गूंज उठा।

मैंने उसका ब्लाउज और ब्रा दोनों उतार फेंके।

आंटी की नंगी चूची देख मेरे अंदर हवस का शैतान जाग गया जिसके मुंह में अब बहुत ज्यादा पानी आ रहा था।

टपकती जीभ से मैंने आंटी के निप्पल को चाटा और फिर एकदम से चूचे पर मुंह लगाकर पीने लगा।

मैं किसी बच्चे की तरह आंटी की चूची से दूध खींचने की कोशिश करने लगा।

मोटे मोटे दूध पीने में बहुत मजा आ रहा था।

इतने दिनों से मैं इन चूचियों की झलक पाने के लिए बेताब था। आज जब ये मिल गए थे तो मैं कोई कसर नहीं छोड़ रहा था इनको मसलने में।

लेकिन पकड़ बहुत मजबूत थी तो आंटी दर्द से तड़प उठी- आह्ह … आईई … आराम से कर … बहुत दर्द हो रहा है।

मैंने आंटी के बोबों को मसल मसलकर लाल कर डाला।

मुझसे सब्र नहीं हो रहा था।

मेरा लण्ड अब आंटी की चूत की गहराई नापने के लिए झल्ला रहा था।

तभी मैं झट से नीचे आया और आंटी की टांगें ऊपर करके पैंटी खींच कर निकाल दी।

आंटी की चूत गुलाबी सी थी जिस पर हल्की झांटें भी उगी हुई थीं।

मैं आंटी की टांगें फैलाकर चूत के छेद में लंड सेट करने लगा।

वो अब सहमी सहमी सी नज़र आ रही थी- बहुत बड़ा लग रहा है तेरा तो … आराम आराम से डालना यार!

मैं- हां आंटी। इस बारे में आप चिन्ता ही मत करो, सब आराम से करूँगा।

अब मेरा लण्ड आंटी की चूत में सेट हो चुका था।

मैंने आंटी की टांगों को कंधों पर रख लिया और फिर ज़ोर से लंड चूत में ठोक दिया।

मेरे लंड के एक ही झटके में आंटी घायल हो गई।

उसका सारा अनुभव फेल हो चुका था।

वो दर्द से कराहने लगी- आईईई … ऊईईई मर गईईई। बाहर निकाल इसे … बहुत दर्द हो रहा है।

लंड आंटी की चूत को फाड़ता हुआ अंदर सेट हो चुका था लेकिन मैंने कहने पर लंड को बाहर निकाल लिया।

आंटी ने राहत की सांस ली।

लेकिन ये राहत बहुत देर तक नहीं रही, मैंने दोबारा से लंड चूत पर लगाकर अंदर धकेल दिया।

मैं आंटी को अब धमाधम चोदने लगा।

आंटी दोबारा से चीख पड़ी।

मैंने धीरे धीरे आंटी को सहलाते हुए चुदाई शुरू की।

मुझे तो आंटी की गर्म चूत मारने में बहुत मजा आ रहा था।

मेरा लंड पहली बार चूत का स्वाद चख रहा था।

लंड की ठुकाई से आंटी के बोबे जोर जोर से उछल रहे थे।

आंटी को बजाने में मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैं सिसकारियां लेते हुए आंटी से कह रहा था- आह्ह महिमा … बहुत रपचिक है तू … बहुत दिनों से तुझे बजाने की सोच रहा था, आज जाकर मेरा सपना पूरा हुआ है। आज तुझे जमकर पेलूंगा।

आंटी- आह्ह आईई … आआ आईईआ आ आराम … से … तेरा मोटा लंड मेरी जान निकाल रहा है … हय … ऊईई मर गई।

आंटी की दर्द भरी चीखें बेडरूम में गूंज रही थीं।

मैं आंटी को झमाझम बजा रहा था।

तभी आंटी की चीखें रुक सी गई और कुछ ही पलों में आंटी की चूत गाढ़े सफ़ेद माल से भर गई।

मेरा लण्ड झमाझम आंटी की झील में कूद रहा था।

लंड की ताबड़तोड़ ठुकाई से आंटी की चूत से पानी बाहर छलकने लगा।

मैं उसकी टांगों को हवा में लहरा कर चूत में जमकर लण्ड ठोक रहा था।

सामने आंटी और अंकल की तस्वीर लगी थी जिसमें आंटी अंकल के साथ मुस्करा रही थी और यहाँ मैं अंकल के सामने ही उनकी स्वीटहार्ट को चोद रहा था।

तभी ताबड़तोड़ ठुकाई से आंटी फिर से पानी पानी हो गई।

अब तो आंटी का जिस्म पसीने में लथपथ हो चुका था।

तभी मैं आंटी की टांगों को फोल्ड करके उनके सिर की तरफ ले गया।

मैंने आंटी को टांगें पकड़ा दीं।

अब मैं थोड़ा सा खड़ा होकर चूत को बजाने लगा।

आंटी फिर से दर्द से कराहने लगी- आह्ह आह्ह … आह्ह … सिसस्स आह्ह आह्ह … आईईई ओह मम्मी।

मैं भी सिसकारते हुए- ओह महिमा … कसम से … आह्ह! बहुत मज़ा आ रहा है!

मैं गांड हिला हिलाकर आंटी को बहुत बुरी तरह से बजा रहा था।

मेरा लंड एकदम सटीक तरीके से आंटी की चूत में वार कर रहा था।

आंटी- आह्ह आह्ह … आह्ह … आह्ह ओह … रोहित … तू तो बहुत पक्का खिलाड़ी निकला … ऐसा तो मैंने सोचा भी नहीं था।

इतने में ताबड़तोड़ ठुकाई से एक बार फिर से आंटी का पानी निकल गया।

वो फिर से पसीने में भीग चुकी थी।

आंटी- यार रोहित बससस्स … मेरी टांगें दर्द करने लग गई हैं। अब दूसरे तरीके से चोद ले।

मैं- आंटी बसस्स … थोड़ी देर और पकड़े रहो।

फिर मैंने बहुत देर तक आंटी को फोल्ड करके बजाया।

बड़ी मुश्किल से अब आंटी को राहत मिली।

धमाधम ठुकाई से आंटी की चूत का बहुत बुरा हाल हो चुका था।

आंटी की चूत का कचूमर बन चुका था।

अब मैंने जल्दी से पेटिकोट और साड़ी को भी खोल फेंका। अब हॉट आंटी न्यूड हो चुकी थी।

मैंने उसे घोड़ी बनने के लिए कहा।

वो नखरे करने लगी और बोली- अरे यार … ऐसे ही चोद ले!

मैं- नहीं, घोड़ी बनना पड़ेगा आंटी।

काफी कहने के बाद वो घोड़ी बनी।

मैंने जल्दी से चूत के छेद में लंड सेट किया और फिर कमर पकड़ कर ज़ोर से चूत में लंड पेल दिया।

वो फिर से मेरे लंड के कहर में ठुकने लगी।

कुछ देर धीरे चोदने के बाद मैंने आंटी की चूत में ज़ोर ज़ोर से झटके मारने शुरू कर दिए।

वो दर्द में कराहने लगी- आईईई आईईईई … आह्ह आह्ह … आह्ह आह्ह … ऊऊऊह … धीररे … धीरररे से … प्लीज!

तभी ताबड़तोड़ झटकों से आंटी का पानी निकल गया।

चूत का पानी उसकी टांगों से होता हुआ बेड पर गिरने लगा।

आंटी- बस कर प्रदीप अब … बहुत थक गई हूं।

मैं-  सरिता, अभी तो और बजाने दो यार … अभी से कैसे थक गई!

आंटी- बजाने के लिए मैं मना नहीं कर रही हूं। जितनी मर्ज़ी चाहे उतनी बजा लेना, लेकिन बस थोड़ी देर आराम दे।

सच में मेरा लण्ड आंटी को बहुत बुरी तरह से घायल कर चुका था।

मेरे लण्ड ने आंटी के जिस्म का पुर्ज़ा पुर्ज़ा हिला दिया था जिससे आंटी की चूत भोसड़ा बन चुकी थी।

अब मैंने आंटी की चूत में से लण्ड बाहर निकाल लिया और आंटी को छोड़ दिया।

आपको मेरी हॉट आंटी न्यूड स्टोरी कैसी लगी मुझे कमेंट करके ज़रूर बतायें।

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